27 सितंबर 2021

अलविदा 'एयर इंडिया " नीलामी की प्रक्रिया की औपचारिकतायें शुरू

-- आगरा का कार्यालय एयरपोर्ट अथार्टी के सुपुर्द , गुम हो गयी महाराजा की हनक

' अलविदा आगरा "
आगरा, समुद्र और इंटरनेशनल वार्डरों से सैकडों कि मी दूर ताज सिटी को इंटरनेशनल एवं नेशनल एयरकनैक्‍टिविटी
देने की शुरूआत करने वाली  एयरलाइंस
ने अब अपना आप्रेशन  आगरा में बन्‍द कर दिया है। इंटरनेशनल टूरिजम डे पर आयोजित कई समारोह महानगर में आयोजित हुए, इनमें से कई में वक्ताओं ने एयर इंडिया की सेवाये आगरा से विदा होने को लेकर भी चर्चा की।ये सभी चर्चायें एयर इंडिया के घाटे और सरकार के फैसले तक ही सीमित रहीं। दरअसल एयर इंडिया ही वह पहली एयर लाइंस है,जिसने इंटरनेशनल टूरिज्म से आगरा की प्रभावी सुविधाजनक हवाई यात्रा की शुरूआत की थी। हालांकि एयर इंडिया की बिक्री प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और इसे पूरा होने में कुछ वक्त लगेगा किन्तु आगरा में इसके आप्रेशन अब पूरी तरह से बन्द हो चुके हैं।

आगरा एयरपोर्ट स्थित अपने आफिस और काऊंटर आद को भी एयर लाइंस एयरपोर्ट अथार्टी आफ इंडिया को सोंप चुकी है। टाटा समूह के जे आर डी टाटा ने अक्तूबर 1932 में टाटा एयरलाइंस के नाम से एयर इंडिया की शुरुआत की थी,स्थापना के समय से ही कंपनी की मेल फ्लाइट आगरा में शुरू हो गयी थी। हकीकत में आगरा का खेरिया एयरपोर्ट मूल रूप से टाटा एयरलाइंस का ही एस्टेब्लिशमेंट है, जिसे दूसरे विश्वयुद्ध में जापानियों के विरुद्ध मोर्चाबन्दी के लिये अधिकर  में ले लिया था। बाद में सैनिक आप्रेशनों की जरूरत क मुताबिक इसका विस्तार करडाला।

भारीमन से कहा अलविदा

आगरा में एयर इंडिया से पुराने समय से लगाव रहा है,किसी भी प्रतिस्पर्धी एयरलाइंस की तुलना में

काश चालू रखी जा सकती 'एयर इंडिया"
में एयरइंडिया से यात्रा करना प्रथमिकता रही है. नेशनल चैबर आफ इंडस्ट्रीज यू पी आगरा के अध्यक्ष श्री मनीष अग्रवाल का कहना है, कि प्राइवेट एयरलाइंसों के आप्रेशनों को बढावा दिये जाने के विरूध्द वह नहीं हैं, इसके बावजूद एयर इंडिया को चालू रखना जरूरी मानते हैं. चैंबर की एनवायरमेंट सैल के चेयरमैन श्री राजीव गुप्ता का कहना है एयर इंडिया का उत्तर भारत में सबसे पुराना रिश्ता 'ताज सिटी से है. यहां से लिंक खुजराहो,वाराणसी और काठमांडू की फ्लाइट काफी लोकप्रिय रही .फिलहाल भारीमन से अपनी मनपसंद एयरलाइंस को 'अलविदा  कहने के अलावा और कोयी विकल्प नहीं है.

केंद्रीय नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एयर इंडिया की नीलामी प्रक्रिया की जानकारी में बताया है कि एयर इंडिया के निजीकरण की प्रक्रिया चल रही है, इसके तहत जो  तकनीकी बोलियां और वित्तीय बोलियां प्राप्त हुई हैं .उन्होंने कहा कि  तकनीकी बोलियों की समीक्षा की जा रही है, जिसके बाद ही वित्तीय बोलियां खोली जाएंगी., उन्होंने कर्ज में डूबी सरकारी विमानन कंपनी के लिए प्राप्त बोलियों की संख्या के बारे में विस्तार से बताने से इनकार किया।

विमानन कंपनी पर 60 हजार करोड़ का कर्ज

वर्तमान में एयर इंडिया पर 60,074 करोड़ का कर्ज है, लेकिन अधिग्रहण के बाद खरीदार को 23,286.5 करोड़ रुपये ही चुकाने होंगे। शेष कर्ज को विशेष उद्देश्य के लिए बनाए गए एयर इंडिया एसेट होल्डिंग्स लिमिटेड को ट्रांसफर कर दिया जाएगा। इसका मतलब है कि बाकी का कर्ज खुद सरकार उठाएगी।

केवल 23,286 करोड़ ही चुकता करने हैं

लेकिन इस कर्ज़ में से अधिग्रहण के बाद खरीदार को लगभग 23,286 करोड़ रुपये ही चुकाने होंगे ,बाकी का कर्ज़ ख़ुद सरकार उठाएगी. इसके लिये ऋण विशेष इकाई का गठन किया है. साथ ही अब सरकार ने 76 फ़ीसदी के बजाय पूरे 100 फ़ीसदी हिस्सेदारी बेचने भी स्वीकार किया हुआ है।

भारत सरकार जिन शर्तों पर एयर इंडिया को बेचना चाहती थी , उनपर ग्राहक न मिलने से उसे कुछ उदारता बरतनी पडी है।यही नहीं अगर वर्तमान शर्तों में भी खरीदार अगर कुछ सहजता लाने की अपेक्षा करेगा तो उनमें भी उदारता प्रदान करने के संकेत हैं।

एयरमेल डे पर पोस्‍टल डिपार्टमेंट के द्वारा जारी फ्स्‍ट डे कवर
,आंकित हैं जे आर डी टाटा उनकी एयर लाइंस का एयरक्राफ्ट

टाटा समूह का लगाव

टाटा समूह का इंडियन एयरलाइंस से पुराना लगाव है ,राष्ट्रीय करण से पूव्र तक मूल रूप से यह टाटा ग्रुप की ही कंपनी थी।खरीदारों के लिये रखी गयी शर्तों में से एक के मुताबिक एयर एंडिया के खरीदार की नेट वर्थ कम से कम 3,500 करोड़ होनी अनिवार्य है, जब कि बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के अनुसार टाटा सन्स प्राइवेट लिमिटेड की नेट वर्थ 6.5 ट्रिलियन रुपये है।

उल्लेखनीय है कि जेआरडी टाटा ने एयर इंडिया की 1932 में शुरुआत की थी. , द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 1946 में टाटा एयरलाइंस को सार्वजनिक कंपनी के रूप में एयर इंडिया लिमिटेड के नाम से परिवर्तित कर दिया गया। दो वर्ष बाद बंबई और क़ाहिरा, जिनेवा तथा लंदन के बीच अंतर्राष्ट्रीय सेवाएं प्रदान करने हेतु इसे एयर इंडिया एंटरनेशनल लिमिटेड नाम दिया गया।'भारत कोष में उल्लेखित जानकारी के अनुसार   1953 में इंडियन एयरलाइंस का राष्ट्रीयकरण किया गया तथा दो निगम बनाए गए। एक घरेलू सेवाओं के लिए, इंडियन एयरलाइंस कॉर्पोरेशन के नाम से (जिसमें एयर इंडिया लिमिटेड तथा छह छोटी कंपनियों का सम्मिश्रण हुआ) तथा दूसरी अंतर्राष्ट्रीय सेवाओं के लिए, एयर इंडिया के रूप में छोटा कर दिया गया, परंतु 1994 में पुन: एयर इंडिया लिमिटेड कर दिया गया।

दो विडर हैं आमने सामने

हालांकि एयर इंडिया को खरीदने आगे आने वालों की आधिकारिक संख्या नहीं खोली गयी है किन्तु अनौपचारिक रूप से दो सीलबन्द लिफाफे प्राप्त हुए हैं . इनमें से एक टाटा समूह का है, इसकी जानकारी टाटा समूह के द्वारा ही सार्वजनिक की हुई है उल्लेखनीय है कि वर्तमान में भी टाटा समूह विस्तारा और एयर एशिया का भारत में संचालन रही है। अगर एयर इंडिया को खरीद लिया जाता है तो ग्रुप इन दानों को मिलाकर एक बडी कंपनी के रूप में संचालन की योजना परकल्पित किये हुए है।