आगरा जूता उद्योग का इतिहास बड़ा दिलचस्प और पुराना है। कहा जाता है दुनिया में लगभग हर पांचवीं जोड़ी जूते आगरा में बने होते हैं।1526 में भारत में मुगल शासन की स्थापना के बाद, दिल्ली के अतरिक्त आगरा व्यापार का महत्वपूर्ण केंद्र था। हालाँकि, आगरा के चमड़ा उद्योग को सम्राट अकबर के समय में मुख्य प्रोत्साहन मिला। अकबर ने अपने सैनिकों को जूते पहनने का आदेश दिया था । उस समय तक मुगल सेना बिना जूते पहने नंगे पांव लड़ती थी। पूरे साम्राज्य से जूता बनाने वालों को आगरा बुलाया गया था और प्रति वर्ष कई हजार जूतों के जोड़े बनाने का काम शुरू हुआ। सैनिकों के लिए थोड़े मुड़े हुए पैर की उंगलियों वाली सख्त पहनने वाली चमड़े के जुटे बनाये जाते थे।जूतों के अलावा मुगल ढालें भी थीं जो सैनिकों के लिए चमड़े की बनी होती थीं।आज भी आगरा में जूते के लिए मुख्य बाजारों में से एक हींग की मंडी के नाम से जाना जाता है, जिसमें 5000 से अधिक दुकानें हैं। एक सर्वेक्षण से पता चला है कि भारत के लगभग 65 प्रतिशत जूतों का निर्माण का आगरा में ही होता है।
25 मार्च 2023
22 मार्च 2023
'जल है तो जीवन है', चार्टेड एकाऊंटेंटों ने , अमूल्य जलनिधि बचाने का हिन्दू नव वर्ष पर किया आह्वाहन
जल संरक्षण को समर्पित नुक्कड नाटक के सहभागियों के साथ आगरा का चरर्टेड एकाऊंटेट परिवार। |
आगरा:'जल है तो कलहै, समाजके सुखद भविष्य के लिये पानी बचायें ' यह आह्वान आगरा के चार्टरर्ड एकाऊंटेंटों एवं वित्तविशेषज्ञों के द्वारा कर भविश्य के दायित्व के लिये मुख्य सामाजिक दायित्व का अहसास बुद्धवार 22, मार्च को विश्व जल दिवस के अवसर पर जन मानस को करवाया गया। 'द इंस्टिट्यूट ऑफ़ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ़ इंडिया ' की आगरा शाखा एवं आगरा सिकासा के सयुक्त तत्वावधान में
21 मार्च 2023
आगरा की औपनिवेशिक वास्तुकला भी देखना पसंद करते हैं अब विदेशी पर्यटक
आगरा शहर में मुग़ल कालीन इमारतों के अतरिक्त औपनिवेशिक समय की स्थापत्य विरासत देखने को मिल सकती है। आगरा ब्रिटिश काल के दौरान क्षेत्रीय रूप से महत्वपूर्ण केंद्र थे। हर की विविध वास्तुशिल्प विरासत की ज्यादातर संरचनाएं आगरा के एमजी रोड और सिविल लाइंस इलाके में हैं। साथ ही आगरा के छावनी छेत्र में भी औपनिवेशिक समय की बहुत सारी इमारतें देखी जा सकती हैं। जहाँ बहुत ही आकर्षक बंगले अब भी मौजूद हैं। कई इमारतों को संरक्षित भी किया गया है क्योंकि ये चर्च या अकादमिक या प्रशासनिक भवन हैं, जो अभी भी उपयोग में लिए जाते हैं। आगरा में पहला, लॉरी का होटल जो दिल्ली में इंपीरियल होटल के बराबर था, जो अपने समय में रॉयल्टी, राष्ट्राध्यक्षों और मशहूर हस्तियों की मेजबानी करता था । दूसरा, आकर्षक ग्रैंड इम्पीरियल होटल (जिसे पहले मेट्रोपोल के नाम से जाना जाता था) औपनिवेशिक समय की यादें ताजा करता है।
20 मार्च 2023
सामाजकि सरोकारों के प्रति प्रतिबद्धता के साथ देशज फाऊंडेशन ट्रस्ट का स्थापना दिवस
- ममता सिंह ,अंजलि सिंह माया
देवीए देवकी नन्दन सोनए राज गोपाल वर्मा भी सम्मानितों मेंग्रांट होटल में आयोजित देशज देशज फाऊंडेशन ट्रस्ट द्वारा आयोजित
कार्यक्रममें विशिष्ठ आतिथ्य एवं अन्य । फोटो:असलम सलीमी
आगराः स्वैच्छिक सेवा प्रयासों और स्वाध्याय से साहित्य
व संस्कृति को संमृद्ध करने वालों को मान्यता
देने की दस साल से चल रही परंपरा को अनवरत रखते हुए देशज फाऊंडेशन ने अपने वर्ष 2023 के वर्षिक कार्यक्रम के अवसर पर कई हस्तियों को सम्मनित किया । आगरा के ग्रंाड
होटल में रविवार 19मार्च को हुए इस कार्यक्रम में उ प्र सहित
केरलएएन सी आरए के कई प्रख्यात सेवाभावियों की सहभागिता रही।
19 मार्च 2023
महात्मा गांधी आयुर्वेदिक इलाज के दौरान 11 दिनों तक रहे थे आगरा में
आगरा का नाम हर्बल दवाओं से इलाज के लिए पुराने समय से जुड़ा हुआ है। एक बार महात्मा गांधी भी 1929 में एक स्थानीय वैद्य के इलाज के दौरान 11 दिनों तक आगरा में रहे थे । उनका इलाज यहाँ के वैद्य रामदत्त शर्मा द्वारा किया गया था। एक मशहूर आयुर्वेदिक डॉक्टर थे। आगरा में छोटी और पुरानी गली है, जो वैद्य रामदत्त शर्मा को समर्पित है। आगरा की वैद्य गली, आगरा किले और जामा मस्जिद के बीच सैंडविच, आयुर्वेदिक चिकित्सा का एक प्रमुख केंद्र था, और कई चिकित्सक यहाँ देश भर से आये लोगों का इलाज करते थे। उन्हें पारंपरिक हर्बल दवाओं और आयुर्वेद के पल्स रीडिंग का विशेष ज्ञान था। एक समय था जब आगरा ही नहीं बल्कि दूर-दूर से भी मरीज यहां रामदत्त वैद्य से हर प्रकार के इलाज के लिए आते थे। आज भी उनके परिवार के वंशज उसी अंदाज में मानवता की सेवा के लिए पुश्तैनी ज्ञान का अभ्यास करते हैं। वैद्य का अर्थ है एक आयुर्वेदिक चिकित्सक जिसे पारंपरिक जड़ी-बूटियों तथा आयुर्वेद का ज्ञान है। 'आयुर' का अर्थ है 'आयु' और 'वेद' का अर्थ है 'बढ़ाना', इसलिए आयुर्वेद बताता है कि प्राकृतिक जड़ी-बूटियों से आयु कैसे बढ़ाई जाए।
17 मार्च 2023
लाला दीन दयाल के आगरा के पुराने फोटो ब्रिटिश लाइब्रेरी का आकर्षक हिस्सा हैं
बहुत से लोग पुराने फोटो फेंक देते हैं किन्तु बाद में उन्हें पछताना पड़ता है। ब्रिटिश लाइब्रेरी लंदन के इंडिया ऑफिस फोटोग्राफ संग्रह में भारत और पाकिस्तान और एशिया के अन्य हिस्सों से 1850 के बाद से लगभग 250,000 पुराने फोटो का सबसे बड़ा संग्रह है । इन चित्रों में में अफगानिस्तान, तिब्बत, नेपाल, सिक्किम, बर्मा (म्यांमार) और चीन के भी पुराने फोटो देखे जा सकते हैं। लाला दीन दयाल के आगरा के फोटो इस संग्राहलय में रिमार्केबल हैं। ब्रिटिश लाइब्रेरी में उपलब्ध होने पर पुराने फोटो जोड़ना जारी रखती है।इन फोटोस को प्रशासकों, यात्रियों और अन्य निजी व्यक्तियों के व्यक्तिगत संग्रह तक से इकट्ठा किया गया है । भारत में अंग्रेजों के इतिहास के क्षेत्र में विशेष रूप से अच्छा संग्रह है ।यहाँ लाला दीन दयाल से लेकर फ्रेडरिक फीबिग, लिनिअस ट्राइप, जॉन मरे, फेलिस बीटो, रॉबर्ट और हैरियट टाइटलर, सैमुअल बॉर्न, एडमंड डेविड लियोन जैसे महान फोटोग्राफरों के फोटो देखने को मिल सकते हैं।
12 मार्च 2023
भारत में वाहन न तो रुकते हैं और न ही पैदल चलने वालों को रास्ता देते हैं
पैदल आबादी के लिए भारत के अधिकांश शहर काफी असुरक्षित दिखाई देते हैं। अफसोस की बात है कि भारतीय सड़कों को कभी भी पैदल चलने वालों की सुरक्षा के लिए प्राथमिकता के साथ डिजाइन नहीं किया जाता है। आमतौर पर पैदल चलने वालों को सड़कों पर एक छोटा सा क्षेत्र आवंटित किया जाता है जो सड़क बनाने के बाद बचा रह जाता है। अधिकांश सड़कों पर तो पैदल चलने वालों के लिए भी जगह नहीं नज़र आती है।सड़क पर चलने और ओवरटेक कर रहे किसी वाहन, तेज रफ्तार या चालक के विचलित होने पर प्रभावित होने का पेडेस्टेरियन्स को हमेशा जोखिम रहता है । दिल्ली के कनॉट प्लेस में चंद अंडरग्राउंड रास्ते अवश्य बना दिए गए हैं , किन्तु सुरक्षा की दृष्टि से ये रात में बंद कर दिए जाते हैं। सड़कों पर जेबरा क्रासिंग का हर जगह आभाव है। देखा गया है कि अधिकांश शहरों की सड़कों पर ट्रैफिक लाइट अधिकतर खराब सी रहती है।
सुरक्षित रूप से पार करने का जोखिम क्योंकि, भारत में वाहन न तो रुकते हैं और न ही पैदल चलने वालों को रास्ता देते हैं। कभी-कभी, पैदल चलने वालों को भी पार करने के लिए दो सड़कों के बीच की बॉउंड्री पर कूदना भी पड़ता है, क्योंकि बहुत से स्थानों पर कोई बुनियादी ढांचा उपलब्ध नहीं है। यदि आप बुजुर्ग हैं तो यह जिम्नास्टिक आपको अस्पताल तक पहुंचा सकती है।
11 मार्च 2023
इंदौर की स्वछता तकनीकि कनाडा भी शुरू करेगा अपने देश में
स्वच्छता के लिए इंदौर शहर भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी ख्याति पा रहा है। भारत और कनाडा के स्टार्टअप वेस्ट मैनेजमेंट की नई तकनीकों पर एक साथ काम करेंगे । जिसमें इंदौर का स्टार्टअप ‘स्वाहा’ भी शामिल है, जो सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट में विशेष रूप से काम करता है। इस तकनीक को कनाडा सरकार भी अपने यहाँ शुरू करना चाहती है ।इसी प्रोग्राम के सम्बन्ध में कनाडा के हाई कमीशन की ट्रेड कमिश्नर मीना भुल्लर कुछ दिन पूर्व इंदौर भ्रमड़ पर आई थीं । स्वाहा को IIT से मैकेनिकल इंजीनियरिंग करने वाले दो युवाओं,ज्वलंत शाह और रोहित अग्रवाल ने 2016 में जन्म दिया था । इस स्टार्टअप का मकसद कचरे को खाद में बदलना था। उन्होंने ऐसी तकनीक इजाद की, जिसमें कचरे को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के बजाय वहीं निपटान किया जा सके। स्टार्टअप ने एक विशेष मोबाइल वेस्ट प्रोसेसिंग वैन बनाई। कंपनी आईपीएल मैच में भी काम कर चुकी है और इस साल अमरनाथ यात्रा के दौरान निकलने वाले कचरे का निस्तारण भी कर चुकी है।
7 मार्च 2023
वे बाहर अँधेरे से घिरे हैं लेकिन उनके भीतर एक रोशनी है
नई दिल्ली - वेटर्न फोटो पत्रकार शिप्रा दास को सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा दिए गए राष्ट्रीय फोटोग्राफी पुरस्कारों में लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया।उनकी फोटो बुक द लाइट विदइन, ए डिफरेंट विजन ऑफ लाइफ 12 साल लंबे प्रोजेक्ट की पराकाष्ठा है। जब शिप्रा दास ने एक ऐसी किताब बनाने का फैसला किया जो नेत्रहीनों के जीवन को चित्रित करेगी, तो वह नहीं चाहती थी कि यह सहानुभूति और दया के सामान्य मिश्रण को प्रेरित करे। शिप्रा चाहती थी कि यह विस्मय और सहानुभूति की भावना पैदा करे कि नेत्रहीनों को समाज में कितनी खूबसूरती से एकीकृत किया गया है।वेटर्न फोटो पत्रकार ने अपने प्रोजेक्ट के 12 वर्षों के दौरान, उन्होंने अपने कैमरे के लेंस का उपयोग नेत्रहीनों को हमारी सामान्य दुनिया के हिस्से के रूप में देखने, उनके प्रति हमारे दृष्टिकोण को बदलने की उम्मीद में मदद करने के लिए किया। जैसा कि प्रसिद्ध शायर गुलज़ार ने किताब की प्रस्तावना में कहा है, "वे बाहर अँधेरे से घिरे हैं लेकिन उनके भीतर एक रोशनी है।"
17 फ़रवरी 2023
वाराणसी की प्राचीन मार्शल आर्ट मुस्ति युद्ध कला होती जा रही है अब गायब
वाराणसी की मुस्ति युद्ध कला के बारे में शायद आपने सुना हो। 1960 के दशक में यह एक लोकप्रिय कला रूप था, किन्तु बनारस में अब यह बहुत कम दिखाई देता है। संस्कृत भाषा में मुस्ति (मुट्ठी) और युद्ध (लड़ाई) से, नाम का अर्थ है "मुट्ठी लड़ाई" (लड़ाई, लड़ाई तथा संघर्ष )।अब यह कला आमतौर पर वाराणसी में मुकी मुक्केबाजी को संदर्भित करता है, जो एकमात्र जीवित निहत्था शैली है। पंजाब राज्य में में, लोह-मुस्ती के रूप में जानी जाने वाली मुक्केबाजी का एक सशस्त्र रूप अभी भी प्रचलित है, जिसमें पहलवान एक हाथ में लोहे की अंगूठी पहनते हैं, हालांकि अब इसका उपयोग मुक्केबाजी के लिए नहीं किया जाता है। बनारस में मुस्ति युद्ध शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास में बहुत सहायक मन जाता है । मुक्केबाजी को इस पारंपरिक भारतीय मार्शल आर्ट का परिष्कृत रूप कहा जाता है ।
13 फ़रवरी 2023
आगरा की पुरानी हवेलियां में आज भी छिपी हैं बीते युग की कहानियां
आगरा की सेठगली और इसके इर्द गिर्द में बहुत सी 19वीं सदी की पुरानी हवेलियां हैं जिनमें लोहे की विशेष रेलिंग देखने को मिलती है। उस समय लोहे की ढलाई से बनाई गई ये रेलिंग ग्रेट ब्रिटेन से आयात की जाती थीं। ये सुन्दर रेलिंग उस धन का प्रतीक थीं जो इन सुरक्षित दीवारों के पीछे रहता था। इन अधिकांश बहुमंजिला हवेलियों में अखाड़े या पारंपरिक जिम थे। उस समय सार्वजनिक पुलिस प्रणाली बहुत कुशल नहीं थी। इसी कारण नगर के धनी सेठ अपनी निजी सुरक्षा के लिए मजबूत पहलवानों को नौकरी पर रखते थे। इन हाउस जिम में ये पहलवान नियमित अपना प्रशिक्षण करते थे। इनमें से कुछ हवेलियों पर अभी भी किरायेदारों का कब्जा है और कुछ को व्यावसायिक स्थानों में बदल दिया गया है। इन हवेलियों के जीर्ण शीर्ण खिड़की के शीशे आज भी बीते युग की कहानियां सुनाते हैं।
11 फ़रवरी 2023
भारत की आर्थिक क्रांति में महिलाओं का महत्वूर्ण योगदान
आगरा में जी-20 प्रतिनिधिमण्डल की उपस्थिति तथा केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की अध्यक्षता में महिला सशक्तिकरण के लिए महामंथन कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्जवलित कर किया गया। जी-20 प्रतिनिधिमंडल के समक्ष भारतीय क्लासिकल नृत्य कत्थक की मनमोहक सांस्कृतिक प्रस्तुति कलाकारों द्वारा दी गयी, जिससे मेहमान भावविभोर व गदगद नजर आये। इस अवसर पर केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि जी 20 अध्यक्षता भारत को मिलना, यह केवल गर्व का विषय ही नहीं, बल्कि संभावनाओं को बढ़ाने का अवसर है। हमारे पास इस समय 8.1 मिलियन स्वयं सहायता समूह हैं। हमारे पास 90 मिलियन ऐसी महिलाएं हैं, जो जमीनी स्तर पर 32 बिलियन डॉलर फंड का प्रबंधन करती हैं। ये एक आर्थिक क्रांति है जो जी 20 देशों को जाननी चाहिए। उन्होंने मुद्रा योजना का अपने संबोधन में जिक्र करते हुए कहा कि इसके तहत महिला उद्यमियों को मुफ्त ऋण प्रदान किया जा रहा है, इस पर भी बात की जानी चाहिए। हमने 320 मिलियन के छोटे-छोटे कर्ज पूरे देश में दिए हैं। इस योजना का भी लाभ उठाने वाली 70 फीसदी महिलाएं ही हैं। यही नहीं इन महिला उद्यमियों ने कर्ज भी सफलतापूर्वक चुकाया है।जी-20 मेहमान आगरा किला में लाईट एण्ड साउण्ड शो देखने भी गए , जहॉ उनका पुलिस घुड़सवार, नगाड़ा और शहनाई वादकों ने वाद्य यंत्र बजाकर भव्य स्वागत किया गया तथा मेहमानों के ऊपर पुष्प वर्षा भी की गयी।