11 नवंबर 2025

वैद्य रामदत्त की गली: आगरा की ऐतिहासिक धरोहर और आयुर्वेदिक परंपरा

 

आगरा का पुराना शहर सिर्फ ताजमहल और किलों का घर नहीं है, बल्कि यह छोटी-छोटी गलियों, उनके इतिहास और उन गलियों में बसी परंपराओं का भी केंद्र है। इनमें से एक महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध गली है वैद्य रामदत्त की गली। यह गली अपने समय में आयुर्वेदिक चिकित्सा और पारंपरिक ज्ञान का केंद्र मानी जाती थी।

सदियों पहले वैद्य रामदत्त ने अपने रोग-उपचार केंद्र की स्थापना इसी गली में की थी। उनके समय में लोग दूर-दूर से जड़ी-बूटियों, नाड़ी-पठन और आयुर्वेदिक उपचार के लिए इस गली में आते थे। गली की पतली और संकरी सड़कें आज भी उस जमाने की हलचल की याद दिलाती हैं। हर ईंट और हर दीवार में इतिहास की गूँज सुनाई देती है।

 वैद्य रामदत्त का जीवन और उनकी चिकित्सा पद्धति

वैद्य रामदत्त सिर्फ एक चिकित्सक नहीं थे, बल्कि वे स्थानीय समाज के मार्गदर्शक और स्वास्थ्य के संरक्षक माने जाते थे। उनके पास आयुर्वेद का गहन ज्ञान था और वे रोगियों का इलाज प्राकृतिक

10 नवंबर 2025

आगरा की सड़कों पर कैमरे की आँख: 1950 का दौर

 

1950 का दशक आगरा के लिए केवल ताज महल या लाल किला ही नहीं, बल्कि शहर की सड़कों पर जिंदगी के छोटे‑छोटे दृश्य भी उतने ही जीवंत थे। उस समय बड़े‑बड़े फॉर्मेट कैमरे, ट्राइपॉड और फिल्म रोल्स वाले फोटोग्राफर शहर के माहौल को अपने लेंस में कैद करने की कोशिश करते थे।

 स्टूडियो से सड़क तक

उस समय आगरा में कुछ प्रसिद्ध फोटोग्राफ़ी स्टूडियो थे, जैसे Priya Lall & Sons Photo Studio, जो 1878 में स्थापित हुआ था। यहाँ मुख्यतः पोर्ट्रेट और परिवारिक फोटो खींचे जाते थे। लेकिन कुछ फोटोग्राफ़र ऐसे भी थे, जिन्होंने अपने बड़े कैमरे लेकर सड़क की जीवंत झलक को कैद करने की ठानी।

इन फोटोग्राफ़रों के लिए चुनौती थी,बड़े कैमरों को ले जाना कठिन था।हर तस्वीर के लिए फिल्म रोल सीमित था। शहर की हलचल और लोग अक्सर कैमरे के प्रति आशंकित रहते थे।

 सड़क‑फोटोग्राफ़ी के दृश्य

1950 के आगरा में आप रिक्शा, बैलगाड़ी, हाथ में सामान लिए दुकानदार, बच्चों का खेल और बाजार की हलचल देखते। बड़े कैमरे के साथ फोटोग्राफ़र इन क्षणों को सावधानी से फ्रेम करते।

एक आम दृश्य: ताज महल की सफेदी के पीछे, सड़क पर बैठे रिक्शा चालक

3 नवंबर 2025

कबीर की वाणी से गूंज उठा आगरा – क्वीन एम्प्रेस मैरी लाइब्रेरी में सुधीर नारायण का कार्यक्रम ढाई आखर प्रेम का

 

आगरा की ऐतिहासिक क्वीन एम्प्रेस मैरी लाइब्रेरी में आयोजित कार्यक्रम ‘ढाई आखर प्रेम का’ प्रेम, भाईचारा और सामाजिक सौहार्द की अनूठी मिसाल बन गया। इस विशेष आयोजन में प्रख्यात ग़ज़ल गायक सुधीर नारायण ने संत कबीर दास की रचनाओं को सस्वर प्रस्तुत कर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया।

सुधीर नारायण ने कहा कि अंधविश्वास, व्यक्ति पूजा, पाखंड और ढोंग के खिलाफ जो संदेश कबीर दास ने 15वीं सदी में दिया था, वह आज और भी प्रासंगिक हो गया है। हाल ही में अमेरिका सहित कई देशों का दौरा कर लौटे श्री नारायण ने बताया कि अब विदेशों में भी कबीर के दोहे और सबदों को समझने की जिज्ञासा बढ़ी है।

 कबीर की वाणी का वैश्विक असर

कार्यक्रम के दौरान सुधीर नारायण ने कहा कि इंटरनेट के माध्यम से कबीर दास का दर्शन अब विश्व के हर कोने तक पहुँच चुका है। उन्होंने बताया कि आज दुनिया भर में लोग कबीर की साखी, सबद और रमैनी को न केवल जानते हैं बल्कि उन्हें गहराई से समझते भी हैं। उन्होंने आगरा में अपने पहले कार्यक्रम के रूप में इस मंच को चुनने पर खुशी जताई और कहा कि क्वीन एम्प्रेस मैरी लाइब्रेरी का

31 अक्टूबर 2025

आगरा से अंतरिक्ष तक: एक अनोखी जीवनगाथा

आगरा के साहसी व्यक्तित्व: अरविंदर “अरवी” सिंह बहाल की कहानी

अरविंदर “अरवी” सिंह बहाल, आगरा के एक ऐसे प्रेरक व्यक्तित्व हैं जिन्होंने साहस, लगन और जिज्ञासा के जरिए अपनी अलग पहचान बनाई है। उन्होंने अपने जीवन में न केवल व्यवसाय में सफलता हासिल की, बल्कि दुनिया के लगभग सभी देशों की यात्रा कर अपनी सीमाओं को चुनौती दी। उनके जीवन की कहानी यह दिखाती है कि उम्र और परिस्थितियाँ कभी भी सफलता की राह में बाधा नहीं बन सकतीं।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

अरवी बहाल का जन्म आगरा में हुआ। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा यहीं पूरी की और युवावस्था में नई ऊँचाइयों को छूने की ख्वाहिश लेकर विदेश की ओर कदम बढ़ाया। उन्होंने शिक्षा के साथ‑साथ अपने साहसिक गुणों को भी विकसित किया और विभिन्न प्रकार के अनुभवों से अपने जीवन को समृद्ध किया।

व्यवसाय में सफलता

अरवी बहाल ने अपने व्यवसायिक जीवन की शुरुआत में कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन अपने दूरदर्शिता और मेहनत से उन्होंने सफल व्यवसायी के रूप में नाम कमाया। उन्होंने रियल एस्टेट और निवेश के क्षेत्र में अपना मुकाम बनाया और अपने व्यवसाय को अंतरराष्ट्रीय स्तर

26 अक्टूबर 2025

आगरा: पत्रकारिता की विरासत और बदलता मीडिया परिदृश्य

 

आगरा, ताजमहल की नगरी आगरा न केवल स्थापत्य और पर्यटन के लिए जानी जाती है, बल्कि यह उत्तर भारत की पत्रकारिता का भी एक ऐतिहासिक केंद्र रहा है। आज जब डिजिटल मीडिया तेज़ी से आगे बढ़ रहा है, तब भी आगरा की मिट्टी में छपी स्याही की खुशबू इतिहास की गवाही देती है।

1850 के दशक में जब देश में सामाजिक और राजनीतिक चेतना का उदय हो रहा था, तब आगरा से निकलने वाले छोटे छोटे समाचार पत्र लोगों के विचारों को दिशा दे रहे थे। इतिहासकारों के अनुसार, आगरा से निकलने वाला लोकमित्र और सैनिक जैसे प्रकाशन ब्रिटिश शासन के विरुद्ध आवाज उठाने वाले शुरुआती पत्रों में गिने जाते हैं। उस दौर में, छपाई की तकनीक सीमित थी, फिर भी स्थानीय मुद्रक और संपादक अपने प्राणों की बाज़ी लगाकर सच्चाई जनता तक पहुँचाते थे।

स्वतंत्रता आंदोलन के समय आगरा के पत्रकारों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही। सैनिक पत्र ने 1930 के दशक में स्वदेशी आंदोलन और गांधीवादी विचारों का प्रचार करते हुए, स्थानीय जनजागरण

25 अक्टूबर 2025

रसगुल्ला हाउस – आगरा की मिठास की धरोहर

 

सन् 1958, आगरा शहर में तेज़ रफ्तार ज़िंदगी के बीच भी, कुछ जगहें थीं जो समय के साथ अपने पुराने रंग और खुशबू को बचाए रखती थीं। ऐसी ही एक जगह थी रसगुल्ला हाउस, जो सदर बाजार और आगरा कैंट रेलवे स्टेशन के पास खुला। उस समय यहाँ आना मतलब था – घर जैसी मिठास का अनुभव करना।

पढ़ाई से लौटते छात्र, रेलवे स्टेशन पर उतरते यात्री, और आस-पड़ोस के लोग – सभी यहां रुकते, ताज़ा रसगुल्लों और जलेबियों की मिठास में खुद को खो देते। पुराने लकड़ी के टेबल, दीवारों पर झूलते पुराने फोटोग्राफ, और ताज़ा बेक्ड मिठाइयों की खुशबू – हर चीज़ में एक पुराना समय बसता था।

रसगुल्ला हाउस सिर्फ मिठाई का ठिकाना नहीं था। यह लोगों के लिए मिलने-जुलने की जगह, बचपन की यादों की बस्ती और छोटे-छोटे जीवन की खुशियों का घर था। यहाँ की रसगुल्लों की नरमी