28 फ़रवरी 2018

यमुना नदी में फ्रेश वाटर के पड़ने जा रहे हैं ' लाले '

‘ताजेवाला’  से राजस्‍थान खोदेगा नहर ‘आगरा कैनाल ’  मे बढेगी हिस्‍सेदारी 

अब खुदेगी ताजेवाला से बीकानेर तक नहर
आगरा : यमुना नदी में आगरा –दिल्‍ली के बीच मोटर वोटें चलें या नहीं किन्‍तु अगर नदी के लोअर बेसिन के जल प्रबंधन की मौजूदा स्‍थिति में सुधार नहीं किया गया तो गोकुल बैराज (मथुरा जनपद )के डाउन स्‍ट्रीम में पचनदा के बीच पडने वाले आगरा , फीरोजाबाद , शिकोहाबाद और इटावा जनपदो को भारी पेयजल किल्‍लत का सामना करना पड जायेगा। अभी हाल मे ही दिल्‍ली में यमुना नदी रिव्यू कमिटी की मीटिंग में 1994  के  हरियाणा, यूपी,
दिल्ली, राजस्थान व हिमाचल प्रदेश के बीच यमुनानदी जल बटवारे को ताजा किया । हालांकि अब यह समझौत अप्रासंगिक हो चुका है, मानसून की स्‍थिति में बदलाव आ चुका है । क्‍लाईमेट चेंज एक हकीकत के रूप में सामने  है । अब जब यमुना में  पानी ही नहीं है तो भी  राजस्थान पाइप लाइन से पानी ले जाना चाहता है। रिवयू कमेटी ने जो फैसले किये हैं उनमें उनमें से एक यह भी है कि यमुना नदी के रहे बचे पानी  में से  3198 क्यूसेक पानी राजस्थान को उपलब्‍ध करवाना होगा ।जयपुर वाले  अपने हिस्‍से का 9 प्रतिशत पानी उठाने के लिये ताजेवाला हैडवर्क्‍स से एक चैनल बनवायेंगे । ठीक इसी प्रकार ओखला से भी राज्‍य के भाग  का  पानी को उठाने के लिये मौजूदा नहरी तंत्र के अपने हिस्‍से में पडने वाली नहरों को सुधारेगा।
  इसी प्रकार नदी में जलप्रबंधन की स्‍थिति  सुधार करवाने संभावनाओं के नाम पर तीन दशक पूर्व की उस योजना पर अमल करने का निश्‍चय किया गया  जिसके तहत हिमांचल प्रदेश की सीमा में यमुना नदी की सहायक नदियों पर  लखवर -व्‍यासी , किशाऊ और रेनुका डैम परियोजना डैम परियोजना पर काम शुरू 
केन्‍द्रीय मंत्री श्री नितिन गडकरी की अध्‍यक्षता में हुई इस बैठक के सभी फैसलों पर अगर अमल हो सका तो कुल मिलाकर उ प्र खास कर आगरा में यमुना नदी में मानसून काल तक में भरपूर पानी रहने वाले दिनो की संख्‍या आधी भी नहीं रह जायेगी।जिस वर्ष मानसून गडबडायेगा उन सालों में तो बेहद अजीब गरीब स्‍थिति होगी।  
आगरा को इस बैठक में हुए फैसलों से सबसे ज्‍यादा नुकसान होना है। मानसून काल में भी यमुना नदी में पहाड का पानी मिलना नामुमकिन हो जायेगा।  इस समय यमुना नदी के मुख्‍य बाबैराज  हथनीकुंड में जलबहाव न्यूनतम स्तर है। हथनीकुंड बैराज पर कैचमेंट एरिया व उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की ओर से नदी में बहकर आए पानी की पैमाइश होती और यहीं से यूपी व हरियाणा दिल्ली के लिए पानी का बटवारा होता है। जब पानी ही नहीं है तो फिर आगरा के जलसंस्‍थानों को तो नाकारा साबित होना ही था। 
‘यमुना नदी ‘ का मान,  जनमानस में
श्री बृज खंडेलवाल: रिवर कनैक्‍ट कॉपेन लीडर
'यमुना आरती सभा' एत्‍मादौला व्‍यू पौंइट पर आरती करके ‘यमुना नदी ‘ का मान,  जनमानस में  पुर्नस्‍थापित करने में लगी हुई है ,अन्‍यथा आगरा के माननीय भी अपनी विशेषाधिकार प्राप्‍त होने की स्‍थिति का यमुना नदी की दशा सुधारने में अब तक कोई उपयोग नहीं कर पाये हैं।यमुना नदी अपर बेसिन रिव्‍यू कमेटी की बैठक के फैसलों पर अब तक आगरा और मथुरा जनपद का एक भी माननीय कुछ भी नहीं बोला है।जबकि इस बैठक का सबसे ज्‍यादा असर इन्‍हीं दोनो जनपदो पर पडना है। यह बात अलग है कि  अध्‍यात्‍म और जनसंवेदनाओं को जोडने के इस अभिनभ प्रयोग को जमीन पर अंजाम देने वाले श्री बृज खंडेलवाल की जब तक आलोचना करने से भी नहीं चूकते ।