8 अप्रैल 2015

हेमा मालि‍नी के आर ओ प्लांट से पहले आगरा में भी हो चुके हैं प्रयोग

-जल नि‍गम और पानी कारोबारि‍यों ने अटकवाये थे कामयाबी में रोडे
(आर ओ पलांट से बोतलों में पानी भरतीं
'नई आशा'ग्रुप की महि‍लाये)
 आगरा, मथुरा की सांसद श्रीमती हेमा मालि‍नी के द्वारा अपने नि‍र्वाचन क्षेत्र के सोंख गांव में पीने के पानी का इंतजाम आर ओ प्‍लांट लगवाकर कि‍या गया है,ए टी एम पद्यति‍ से इसका संचालन होगा। उत्तर प्रदेश में अपने कि‍स्‍म का यह पहला प्रयोग बताकर प्रचारि‍त कि‍या जा रहा है।
(‘नई आशा स्‍वयं सहायता समूह की टीम घर
घरपहुंचाती थी आर ओ प्‍लांट से भरी बोतलें)

 
वैसे इस प्रकार का पहला प्रयोग प्रदेश में तो नहीं लेकि‍न
 आगरा मंडल के अकोला गांव में जरूर हुआ था कि‍न्‍त कामयाब नहीं हो सका था। 
मथुरा के अधिकारियों के अनुसारपानी को साफ करने की तकनीक आरओ से युक्त यह एटीएम मशीन उत्तर प्रदेश में अपनी तरह की पहली मशीन होगी. इस तरह की एक मशीन से 2,500 परिवारों के लिए पीने के पानी मिल सकेगा. पानी देने वाली एटीएम मशीन से पानी लेने
के लिए इच्छुक परिवारों को एक प्री-पेड कार्ड उपलब्ध कराया जाएगा.
पेयजल की कीमत काफी कम रखी गई है. एटीएम मशीन से पानी लेने वाले को प्रति लीटर 10 से 20 पैसे भुगतान करना होगाजबकि स्कूली छात्रों को पानी मुफ्त में दिया जाएगा.

 
एक अधिकारी ने बताया कि
 20,000 लीटर वाले इस संयंत्र को स्थापित करने में करीब 18.56 लाख रूपये की लागत आयी है।अब तक सोंख को इस समय पाइप के जरिए 10 किलोमीटर दूर से पेयजल की आपूर्ति की जाती रही है।
 --आगरा में हुआ प्रयोग:नई आशा
महि‍लाओं के द्वारा नई आशा स्‍वयं सहायता समूह के नाम से स्‍वयं सहायता  सेवा समूह का 2013 में गठन कि‍या और अपने प्रोजेक्‍ट का नाम नई आशाके नाम से प्रचारि‍त कि‍या।यों तो समूचा आगरा ही पानी के संकट से जूझ रहा है कि‍न्‍तु ट्रांस यमुना क्षेत्र का टेढी बगि‍या का क्षेत्र खास तौर से पीने के पानी की एक एक बूंद के लि‍ये मौहताज है।वार्ड नम्‍बर 24 के नि‍हार का नगला में इन महि‍लाओं के द्वारा अपने प्रोजेक्‍ट की शुरूआत की गयी।उनका पानी दस दस लि‍टर की बतलों में पैक होता था और कुछ ही दि‍न में पूरेक्षेत्र में इसकी पहचान शुद्ध जल के रूप में बन गयी थी।अब पात नहीं प्रोजेक्‍ट कि‍स रूप में संचालि‍त है या नहीं कि‍न्‍तु इतना जरूर है कि‍ पानी की कालाबाजरी को इस प्रोजेक्‍ट के चलने से धक्‍का जरूर लगा था और टैकर माफि‍या के जोडतोड के चलते रहे खेलों की जानकारी सरकारी अधि‍कारि‍यों को पहलीबार मि‍ली थी। वैसे योजना के पीछे प्ररक की मुख्‍य भूमि‍का आगरा की मलि‍न बस्‍ति‍यों में काम कर रहे सेंटर फार अर्बन एंड रीजनल एक्‍सीलैस (क्‍योर) आगरा की रही थी। क्‍योरके परि‍योजना अधि‍कारी राजेश कुमार के अनुसार योजना तो कामयाब रही कि‍न्‍तु समाज सेवा के इस प्रयास के लि‍ये पानी के कारोबारि‍यों सेटकराव के नये अनुभव भी हमारी टीम को हुए ।
--अकोला में लगा आर ओ प्‍लांट शो पीस में तब्‍दील कि‍या
नई अशा जैसा ही एक कम्‍यूनि‍टी प्रयास खारेपानी की समस्‍या से तृस्‍त अकोला गांव में भी हुआ ।यहां तत्‍कालीन सांसद राजबब्‍बर के प्रयासों से एक आर ओ प्‍लांट लगवाया गया।लोगों को जल प्रबंधन समि‍ति‍ बनाकर इसकी वि‍तरण व्‍यवस्‍था करनी थी।कि‍न्‍तु गांव की आंतरि‍क राजनीति‍ और जनस्‍वास्‍थ्‍य के प्रति‍ संकीर्ण दृष्‍टि‍कोण से इसका संचालन कुछ समय ही संभव हो सका।जल नि‍गम की इस व्‍यवस्‍था को गडबडा देने में सबसे सक्रि‍य नकारात्‍मक भूमि‍का रही।जो भी हो अंतत:गांव वालों को मीठे पानी की उपलब्‍धता का मि‍श्‍न अधूरा रह गया और लगाया गया आर ओ प्‍लांट शोपीस में तब्‍दील करडाला गया ।