12 अप्रैल 2015

नेताजी से संबधि‍त क्लासीफाइड फायलें सार्वजनि‍क करें




--जर्मन प्रवासी सूर्य कुमार बोस चाहते हैं अपने बाबा की दबा रखी गयी हकीकत सामने लाना



(नेताजी सुभाष चन्‍द्र बोस ने हि‍टलर से 29मई 1942 को की थी
मुलाकात।यह दो राष्‍ट्र अध्‍यक्षोें की शि‍ष्‍टाचार भेंट थी)
 नई दिल्ली। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस से संबधित मामलों का उठाया जाना प्रधानमंत्री पद को अब तक सुशोभित करते रहे नेताओं का बेहद अप्रिय रहा है। नेताजी के बारे में खोज खबर करने को केंद्र
 की ओर से गठित मुखर्जी आयोग तक की पहुंच पी एम कार्यालय में क्लासीफायड दस्तावेज के तौर पर रखी उन फायलों तक नहीं हो सकी जिन्हें कि वर्तमान में 'डी क्लारसी फाइड' करने की मांग जोर पकडी हुई है। आयोग के द्वारा नेताजी की मौत 18अगस्त 1945 में
 को ताइवान में प्लेन क्रैश में होने के प्रचलित तथ्य को खारिज कि‍या जा चुका है।   अब जब प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र् मोदी जर्मन में पहुंचे हुए है तो एशियायी देशो के प्रवासियों ही नहीं राजनायिकों तक की नजरें श्री मादी की नेताजी के पौत्र सूर्यकुमार बोस  के साथ होने वाली मुलाकात परटिकी हैं.श्री बोस जर्मन सरकार को बता चुके हैं कि वह प्रधानमंत्री से मुलाकात करना चाहते हैं और इस मुलाकात में नेताजी से जुडी गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक करने की मांग करेंगे।
श्री बोस ने कहा, नेताजी केवल अपने परिवार के ही नहीं हैं। उन्होंने खुद कहा था कि सारा देश उनका परिवार है। इस लिये सिर्फ उनके परिवार का ही नहीं सभी नागरिकों का कर्तव्य है कि वे गोपनिय फाइलों को सार्वजनिक करने की मांग उठाये।
  वैसे हैमबर्ग में भारत-जर्मन संघ के अध्यक्ष सूर्य को कल भारतीय दूतावास में आयोजित मोदी के स्वागत कार्यक्रम में आमंत्रित किया जा चुका है, बस कोशिश है कि पी एम से मुलाकात के दौरान कुछ ऐसा न हो जाये जो पी एम और भारत सरकार के लिये कोई बडी समस्या उत्प न्नप कर दे।
उल्लेजखनीय है कि नेहरू काल में जासूसी कराई गई उनमें सूर्य कुमार बोस भी शामिल हैं।

 --नेताजी के नाती हैं ‘सूर्य कुमार बोस’

 नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बड़े भाई शरत चंद्र बोस के बेटे का नाम अमीय नाथ बोस था। सूर्य कुमार इन्हीं अमीय नाथ के पुत्र हैं। वह जर्मनी के शहर हैम्बर्ग में इंडो-जर्मन एसोसिएशन के साथ जुड़े हुए हैं, जिसकी नींव नेताजी ने ही रखी थी।


(नेताजी के नाती  सूर्य कुमार बोस)
सूर्य कुमार का जन्म 1949 में कलकत्ता में हुआ था। उन्होंने कलकत्ता यूनिवर्सिटी में फिजिक्स की पढ़ाई की। 1972 में वे जर्मनी गए और इंजीनियरिंग कंपनी सीमंस से जुड़ गए। 1974 में वियना गए और वहां यूएन में सिस्टम एनालिस्ट बने। 1980 में फ्रांसीसी सॉफ्टवेयर कंपनी कैप जेमिनी से जुड़े .1989 में सूर्य कुमार बोस ने अपनी कंसल्टेंसी फर्म बोस इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी बनाई। इसका ऑफिस हैम्बर्ग में है। सूर्य कुमार नेताजी के विचारों के प्रसार के लिए लगातार संघर्षरत रहे हैं। एकीकरण से पहले वो पश्चिमी जर्मनी में सुभाष चंद्र बोस की भूमिका पर शैक्षणिक संस्थानों में लेक्चर देते आए हैं। कहा जाता है कि उनकी सक्रियता के कारण भी नेहरू काल में आईबी को उन पर नज़र रखने के आदेश दिए गए। सूर्य कुमार खुद कहते आए हैं कि जनता पार्टी की सरकार बनने से पहले तक पश्चिमी जर्मनी में वो जहां भी व्याख्यान देने जाते उन्हें उस हॉल में भारतीय दूतावास का जासूस नज़र आ जाता था।