1890 में आगरा के संगमरमर कारीगर |
संगमरमर की नक्काशी में माहिर हिंदू कलाकार परिवार
श्री जगन्नाथ कुम्भकार परिवार और चौहान परिवार जैसे हिंदू कारीगर परिवार अपनी पारंपरिक नक्काशी और पत्थर जड़ाई के लिए प्रसिद्ध हैं। ये परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी कला को सहेजते और नवाचार करते आए हैं। इनकी कारीगरी में राजपूत और स्थानीय शैलियों का प्रभाव दिखता है।
मुघल स्थापत्य कला की नक्काशी में माहिर मुस्लिम कलाकार
गोकुलपुरा में मुस्लिम कारीगरों का भी विशेष योगदान रहा है। जैसे:श्री मोहम्मद इब्राहिम खान परिवार: यह परिवार ताजमहल जैसी मुघल स्थापत्य कला की नक्काशी में माहिर है। इनके काम में मुघल और फारसी नक्काशी की झलक मिलती है।
अब्दुल सत्तार खान: एक जाने-माने मुस्लिम कारीगर, जिन्होंने पारंपरिक संगमरमर की नक्काशी के साथ आधुनिक डिजाइनों को भी अपनाया और कला को नई दिशा दी।
सांस्कृतिक मेल और सहयोग
हिंदू और मुस्लिम कारीगर आपसी सम्मान और सहयोग से काम करते हैं। दोनों समुदायों
की कला शैलियाँ गोकुलपुरा के उत्पादों में मिश्रित होकर एक अनूठा कलात्मक रूप बनाती हैं। इस मिलन से ही आगरा की नक्काशी विश्व प्रसिद्ध हुई है।आधुनिक युग में सामूहिक प्रयास
आज भी गोकुलपुरा के हजारों कारीगर हिंदू-मुस्लिम मिलकर पारंपरिक कला को जीवित रख रहे हैं। वे न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी अपने उत्पादों को भेजते हैं। यह सहयोग गोकुलपुरा की कला को समय के साथ टिकाए रखने में मदद करता है।