श्रीनगर के निशात क्षेत्र में स्थित एक मुस्लिम कुम्हार परिवार, उमर कुम्हार और उनके पिता अब्दुल सलाम कुम्हार, दीवाली के लिए मिट्टी के दीये बनाते हैं। 2023 में, उन्होंने 20,000 दीयों का ऑर्डर पूरा किया, जिनकी कीमत प्रति दीया ₹10 थी, जिससे उन्हें लगभग ₹2,00,000 की आय हुई। इन दीयों की मांग जम्मू, हिमाचल प्रदेश और कश्मीर घाटी के विभिन्न हिस्सों से थी।
अब्दुल सलाम कुम्हार ने बताया कि दीवाली उनके परिवार के लिए खुशी और एकता का पर्व है। वे अपने बनाए गए दीयों के माध्यम से विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच प्रेम और भाईचारे
का संदेश फैलाना चाहते हैं।उत्पादन प्रक्रिया और वितरण
उमर कुम्हार और उनके परिवार ने दीवाली के लिए 1,000 से 1,200 दीयों का उत्पादन प्रतिदिन किया। इन दीयों को सजाना, पैक करना और वितरण करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य था, लेकिन उन्होंने इसे सफलता पूर्वक पूरा किया। इन दीयों को गुलाम कादिर कदन, जो कुलगाम जिले के एक व्यापारी हैं, को आपूर्ति किया गया, जो इन्हें कश्मीर घाटी के विभिन्न हिस्सों में वितरित करते हैं।
सांप्रदायिक सद्भाव और भाईचारा
उमर कुम्हार का मानना है कि दीवाली का पर्व सभी समुदायों के लिए है। उन्होंने बताया कि उन्होंने गुप्त गंगा मंदिर के लिए 200 दीयों की आपूर्ति की, जो उन्होंने नि:शुल्क प्रदान किए। इससे यह स्पष्ट होता है कि दीवाली के दीयों का निर्माण और वितरण सांप्रदायिक सद्भाव और एकता को बढ़ावा देता है।
चुनौतियाँ और आर्थिक स्थिति
हालांकि दीवाली के दौरान दीयों की मांग बढ़ जाती है, लेकिन कुम्हार समुदाय को उचित मूल्य नहीं मिल पाता। उदाहरण के लिए, कुम्हार ग्राम, दिल्ली में कुम्हार परिवारों को उनके उत्पादों का उचित मूल्य नहीं मिलता। वे एक दीया ₹2 में बेचते हैं, जबकि व्यापारी उसे ₹10 में बेचते हैं। इससे कुम्हारों को केवल 5% लाभ होता है, जो उनके लिए पर्याप्त नहीं है।