आगरा की प्राकृतिक सुंदरता और पर्यावरण संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया जा रहा है। सूर सरोवर बर्ड सैंक्चुअरी, जो यमुना एक्सप्रेसवे के करीब स्थित है और पक्षियों का एक महत्वपूर्ण आवास स्थल है, अब और भी बड़ा होने वाला है। उत्तर प्रदेश सरकार ने इसे लगभग 800 हेक्टेयर तक विस्तार देने का प्रस्ताव नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) को सौंपा है। इस योजना का मकसद न सिर्फ पक्षियों के लिए सुरक्षित आवास बढ़ाना है बल्कि आगरा और आसपास के इलाकों के पर्यावरण को भी संतुलित रखना है।
अभी सूर सरोवर की सीमा करीब 380 हेक्टेयर के आसपास है, जिसे अब इसके नजदीकी सुरदास रिजर्व फॉरेस्ट ब्लॉक से जोड़कर लगभग दोगुना किया जाएगा। साथ ही, लगभग 14.5 हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि को भी इस क्षेत्र में शामिल करने की योजना है। सरकार ने यह लक्ष्य रखा है कि यह विस्तार 2026 के पहले पांच महीनों के भीतर पूरा कर लिया जाए। इस विस्तार के साथ इस क्षेत्र को एक इको-सेंसिटिव ज़ोन घोषित करने की प्रक्रिया भी तेज कर दी गई है, जिससे पर्यावरणीय संरक्षण को मजबूती मिलेगी।
आगरा में पर्यटक स्थल के रूप में उभरता सूर सरोवर
सूर सरोवर बर्ड सैंक्चुअरी आगरा के लिए सिर्फ एक पक्षी आवास स्थल नहीं, बल्कि शहर की सांसों जैसा है। यहां हजारों प्रवासी और स्थानीय पक्षी हर साल आते हैं, जिनमें पेंटेड स्टॉर्क, ग्रे हरॉन और कई दुर्लभ प्रजातियां शामिल हैं। इस सैंक्चुअरी का विस्तार आगरा के लिए पर्यटन के लिहाज से भी महत्वपूर्ण साबित होगा। जब यह क्षेत्र बड़ा होगा, तो पर्यटकों के लिए नए अवसर पैदा होंगे, साथ ही स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के रास्ते भी खुलेंगे। ग्रामीण क्षेत्रों के युवा इको-गाइड, पक्षी दर्शन ट्रेनर और स्थानीय दुकानदार के रूप में रोजगार पा सकेंगे।
स्थानीय लोगों में इस योजना को लेकर उत्साह है। खेरिया मोड़ इलाके के ग्रामीण प्रधान राजेश सिंह ने कहा कि पहले यह इलाका साफ-सफाई और पर्यावरण के लिहाज से ठीक नहीं था, लेकिन अब इस सैंक्चुअरी के विस्तार से पूरे इलाके की हवा साफ होगी और बच्चों को प्रकृति के करीब जाने का मौका मिलेगा। वहीं पर्यावरण कार्यकर्ता रेखा चौधरी ने सरकार
से आग्रह किया है कि इस योजना को सिर्फ कागज पर न छोड़कर वास्तविक रूप से लागू किया जाए ताकि आने वाली पीढ़ियां भी इसके फायदे उठा सकें।इस विस्तार के बाद सूर सरोवर सिर्फ आगरा का नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश का पर्यावरण संरक्षण का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन जाएगा। यह पहल आगरा के लिए नई उम्मीद लेकर आई है, जिससे शहर का नाम केवल ताजमहल तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि यह प्राकृतिक पर्यटन स्थल के रूप में भी उभरकर सामने आएगा। यह एक बड़ा संदेश है कि शहर की विरासत सिर्फ ऐतिहासिक स्मारकों तक सीमित नहीं बल्कि इसकी प्राकृतिक सुंदरता और जैव विविधता में भी है।
इस योजना को सफल बनाने के लिए स्थानीय प्रशासन, पर्यावरण विशेषज्ञ और आम जनता को मिलकर काम करना होगा। साथ ही सरकार को भी इस पर समय-समय पर निगरानी रखनी होगी ताकि ये क्षेत्र प्रदूषण मुक्त और जीव-जंतुओं के लिए सुरक्षित बना रहे। आगरा के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है, जो आने वाले वर्षों में पर्यावरण संरक्षण और पर्यटन विकास के नए रास्ते खोलेगा।