26 अक्टूबर 2025

आगरा: पत्रकारिता की विरासत और बदलता मीडिया परिदृश्य

 

आगरा, ताजमहल की नगरी आगरा न केवल स्थापत्य और पर्यटन के लिए जानी जाती है, बल्कि यह उत्तर भारत की पत्रकारिता का भी एक ऐतिहासिक केंद्र रहा है। आज जब डिजिटल मीडिया तेज़ी से आगे बढ़ रहा है, तब भी आगरा की मिट्टी में छपी स्याही की खुशबू इतिहास की गवाही देती है।

1850 के दशक में जब देश में सामाजिक और राजनीतिक चेतना का उदय हो रहा था, तब आगरा से निकलने वाले छोटे छोटे समाचार पत्र लोगों के विचारों को दिशा दे रहे थे। इतिहासकारों के अनुसार, आगरा से निकलने वाला लोकमित्र और सैनिक जैसे प्रकाशन ब्रिटिश शासन के विरुद्ध आवाज उठाने वाले शुरुआती पत्रों में गिने जाते हैं। उस दौर में, छपाई की तकनीक सीमित थी, फिर भी स्थानीय मुद्रक और संपादक अपने प्राणों की बाज़ी लगाकर सच्चाई जनता तक पहुँचाते थे।

स्वतंत्रता आंदोलन के समय आगरा के पत्रकारों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही। सैनिक पत्र ने 1930 के दशक में स्वदेशी आंदोलन और गांधीवादी विचारों का प्रचार करते हुए, स्थानीय जनजागरण

में योगदान दिया। यही वह दौर था जब आगरा के प्रेस घरानों ने सामाजिक सुधार और भाषाई एकता को समाचार-पत्रों के माध्यम से दिशा दी।

1948 में आगरा से शुरू हुआ अमर उजाला आज उत्तर भारत का सबसे प्रमुख हिन्दी दैनिक बन चुका है। इसकी यात्रा एक छोटे से प्रिंट हाउस से शुरू होकर 20 से अधिक संस्करणों तक पहुँची लेकिन इसकी आत्मा अब भी आगरा के गलियारों में बसती है। बाद में दैनिक जागरण और राष्ट्रीय सहारा ने भी अपने आगरा संस्करण शुरू किए, जिससे यह शहर हिन्दी पत्रकारिता का एक सशक्त केंद्र बन गया।

हालाँकि समय के साथ-साथ शहर की पत्रकारिता ने कई चुनौतियाँ भी झेली हैं। एक समय था जब संजय प्लेस और दरेसी क्षेत्र में हर गली में कोई न कोई प्रिंटिंग प्रेस हुआ करता था। टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, आज वह प्रिंटिंग परंपरा घटती जा रही है  पाठक डिजिटल माध्यमों की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं, और स्थानीय अख़बारों को अपनी साख बनाए रखने के लिए नई रणनीतियाँ अपनानी पड़ रही हैं।

फिर भी आगरा की पत्रकारिता की आत्मा आज भी जीवित है। स्थानीय रिपोर्टर गलियों, बाज़ारों और विश्वविद्यालय परिसरों में समाज के हर रंग को शब्द देते हैं। आगरा विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग से हर वर्ष सैकड़ों विद्यार्थी निकलते हैं जो स्थानीय और राष्ट्रीय मीडिया में योगदान दे रहे हैं।

संवेदनशील मुद्दों  जैसे यमुना प्रदूषण, धरोहर संरक्षण, पर्यटन सुरक्षा और महिला सशक्तिकरण  पर स्थानीय अख़बारों का निरंतर कवरेज यह दर्शाता है कि ताज के शहर में कलम की ताकत अब भी कायम है।

आज जब मोबाइल स्क्रीन पर “ब्रेकिंग न्यूज़” की बाढ़ है, आगरा की पत्रकारिता हमें याद दिलाती है कि सच्ची खबर सिर्फ गति से नहीं, बल्कि गहराई और जिम्मेदारी से बनती है।

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