18 जुलाई 2025

राजस्थान के शेखावाटी छेत्र को ओपन एयर आर्ट गैलरी कहा जा सकता है

 

शेखावाटी में प्रत्येक हवेली अपनी एक अनूठी कहानी कहती है। इन हवेलियों में  परंपराओं और क्षेत्र के धनी व्यापारियों के प्रभावों के मिश्रण को देखा जा सकता है। राजस्थान का शेखावाटी क्षेत्र को एक ओपन एयर  संग्रहालय कह सकते हैं। नवलगढ़ की घुमावदार छोटी छोटी  गलियों में खो जाना अपने आप में एक अजूब रोमांच है। यहाँ हर मोड़ पर एक भूली-बिसरी हवेली, एक गुप्त मंदिर या स्थानीय जीवन में तल्लीनता का एहसास होता है।

शेखावाटी स्थित फतेहपुर शहर में  नादिन ले प्रिंस हवेली सुन्दर हवेलियों में से एक है , जिसे पहले नंद लाल देवरा हवेली के नाम से जाना जाता था, का निर्माण 1802 में देवरा नामक एक व्यापारी परिवार के नंदलाल देवरा ने करवाया था, जो क्षेत्रीय राजा के दरबार में प्रशासक थे।

नादिन ले प्रिंस हवेली निस्संदेह पूरे प्रांत की सबसे अच्छी तरह से संरक्षित हवेली है, इसे  1998 में नादिन ले प्रिंस नामक एक जानी मानी फ्रांसीसी कलाकार ने इस उत्कृष्ट हवेली को खरीदा था और स्वयं भित्तिचित्रों और हवेली की विरासत का जीर्णोद्धार किया था। वह प्रतिष्ठित फ्रांसीसी चित्रकार


जीन-बैप्टिस्ट ले प्रिंस की वंशज हैं।वह  कई वर्षों से अपना समय फ्रांस और भारत के बीच बिताती हैं।

 फ्रांसीसी कलाकार नादिन ले प्रिंस का इसी हवेली में  एक स्टूडियो है और वे भारत के बारे में चित्रकारी करती हैं। दो सभ्यताओं का यह विरोधाभास उनके लिए एक अद्भुत स्रोत है, और सृजन, प्रश्नों, आनंद और खोज के लिए अनुकूल है। उनकी प्रत्यक्ष वास्तविकता एक प्रश्नवाचक है और इस पर पुनर्विचार की आवश्यकता है। यह दर्शक को भावनाओं और प्रतिबिंबों का सुझाव देता है।