4 जून 2022

पब्‍लिक पार्क पर्यावरणीय गतिविधियों के केन्द्र बिन्दु बनेंं

 -- विलायती बबूल और खरपतवारों की भरमार का हरियाली अच्‍छादन पर प्रतिकूल असर 

शहर के गीन कवर को लेकर'गुड मोर्निंग आगरा ' के संरक्षक के सी जैन
एवं पर्यावरण को लेकर अन्‍य जागरूक  पालीवाल पार्क में चिन्‍तनरत।

आगरा:  मुगलों ने जहां आगरा में तमाम बाग बगीचे शाही परिवारों की सुख सुविधा के लिये बनवाये,वहीं सेठों,जातिय समूहो ने  जातिय संरख्चनाओं के हिसाब से बनवाये वही अंग्रेजों ने आम नागरिकों के उपयोग के लिये शहर में कई पार्क विकसित किये।सरे काऊंटी (इंग्‍लैंड ) में प्रशिक्षित युवा अल्‍वर्ट एडवर्ड पीटर ग्रीसन ने दिल्‍ली के लुटियन जोन, मथुरा, धौलपुर को हराभरा करने का श्रमसाध्‍य अभियान आगरा से ही शुरू किया था,वह भी सार्वजनिक पहुंच सुलभ रखने की प्रतिबद्धता के साथ। लंदन के कीव गार्डन ( Kew Gardens,southwest London) से कल्‍पनाओं को संजोकर आये ग्रीसन ने अपने अभियान की शुरूआत खारे पानी से जूझते  आगरा से की। पालीवाल पाक वह पहला पार्क था ,जहां ग्रीसन ने अपने हरित अभियान को शुरू किया था और तमाम नाइत्‍तफाकियों के

बसबजूद अब भी शुद्ध वायु के लिये शहर का फेंफडा मानाजाता है।

पार्कों को लेकर 'गुड मार्निंग ' का चिंतन  

सुकड़ते हुए घरों और बस्तीयों व कॉलोनियों में हरियाली की कमी को देखते हुए क्यों न सार्वजनिक पार्क पर्यावरणींय गतिविधियों के केन्द्र बिन्दु बने, जहां स्थानीय पेड़ पौधे हों जो आक्रामक प्रजातियां जैसे विलायती बबूल और सुबबूल आदि से दूर हों, जहां सिंचाई नाले और सीवर के शोधित जल से स्प्रिन्कलर व ड्रिप पद्धति से हो, अधिक पानी की आवश्यकता वाले पेड़ न हों, बच्चों को पार्कों से जोड़ने के लिए वहां झूले हों, खेलने का स्थान हो, यही नहीं ऐसे सार्वजनिक पार्कों में स्तरीय जन सुविधाऐं हों। यह बातें विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर गुड मोर्निंग आगरा की चर्चा में आयीं।

बदहाल नागरिक सुविधायें

संस्था के संरक्षक एवं वरिष्ठ अधिवक्ता के0सी0 जैन ने बताया कि आगरा के सार्वजनिक पार्कों में जन सुविधाऐं न के बराबर हैं, वे गंदी रहती हैं जिसके कारण लोग उन्हें प्रयोग नहीं करना चाहते हैं। पालीवाल पार्क में भी यही स्थिति है। पार्क के मध्य भाग में स्थित जन सुविधा की हालत खस्ता है। पार्क में लगाये गये ओपन जिम के उपकरण भी कुछ ही दिन में टूट गये हैं जो मजबूत लगने चाहिए। पार्क में लगाये गये सी0सी0टी0वी0 कैमरा व आर0ओ0 प्लान्ट भी सही से काम नहीं कर रहे हैं। पार्क की सफाई भी उचित नहीं है तो आखिर कैसे और अधिक लोगों को पार्क से जोड़ा जा सकता है। दिल्ली विकास प्राधिकरण द्वारा पार्कों के रख-रखाव और सफाई की व्यवस्था निविदा के माध्यम से नियुक्त एजेंसी द्वारा करायी जाती है। ऐसी ही व्यवस्था आगरा के सार्वजनिक पार्कों में लागू करनी चाहिए।

कंपनियों के सोशल वैल्‍वेयर फंड से जोडा जाये  

सी0सी0टी0वी0 कैमरा व आर0ओ0 की व्यवस्था का वार्षिक रख-रखाव किसी एजेंसी को देना चाहिए ताकि उचित रख-रखाव सम्भव हो सके। कारपोरेट सोशल रेस्पोन्सबिलिटी के माध्यम से बड़ी कम्पनियों को सार्वजनिक पार्कों के रख-रखाव के लिए जोड़ा जा सकता है जैसा कि अनेक बड़े शहरों में सफल प्रयोग रहा है। पेड़ों पर प्रजातियों के नाम व जानकारी के लिए क्यूआर कोड प्लेट लगायी जानी चाहिए जैसा कि दिल्ली के लोधी गार्डन में है। पालीवाल पार्क में साईकिल ट्रैक भी होना चाहिए और पार्क का एक भाग बच्चों और महिलाओं के लिए आरक्षित होना चाहिए। कुल मिलाकर अच्छी स्थानीय हरियाली, अच्छा रख-रखाव, अच्छी सुविधाऐं शहरवासियों को पार्क से जोड़ सकेंगी जिससे स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनो ही दृष्टि से लाभ पहुंचेगा। 

यूके लिप्‍टस या चीड से बचें

 पार्क में पेड़ लगाते समय यह ध्यान में रखना होगा कि ऐसे पेड़ न लगाये जायें जो भूगर्भ जल का अधिक दोहन करें, चाहें वह यूकेलिप्टस हों या फिर चीड़ या केसिया सामियां आदि। विलायती बबूल भी भूगर्भ जल के लिए अभिशाप है और उसे किसी भी कीमत पर नहीं पनपने देना चाहिए क्योंकि आगरा भूगर्भ की दृष्टि से क्रिटिकल व ओवर एक्सप्लोइटेड है। आगरा के वन भी विलायती बबूल के कारण नष्ट हो चुके हैं और वहां से स्थानीय प्रजातियां पूरी तरह से विलुप्त हो चुकी हैं। हमें चाहिए कि हम पार्कों में और अपने वनों में तमाल, शमी, रेमजा, कदम्ब, कैंथ, बेलपत्र, कुम्ठा, गूलर, पीपल, पाखड़ बरगद आदि स्थानीय प्रजातियों को बढ़ावा दें जिन्हें कम देखभाल की भी जरूरत होती है।

 पार्क हित चिंतन में सहभागी

गुड मोर्निंग आगरा की बैठक में डा0 सुशील चन्द्र गुप्ता, अतुल गुप्ता, किशोर जैन, राजा लक्ष्मण प्रसाद, चौ0 सतीश डागौर, रमेश भारती, मथुरा प्रसाद कोली, संजीव अग्रवाल, संजय अग्रवाल, आर0बी0 सिंह, अनिल अग्रवाल आदि सम्मिलित थे। सभी ने पालीवाल पार्क को एक आदर्श पार्क बनाये जाने की मांग की।