8 सितंबर 2021

जोधपुर झाल जलाशय को पं दीन दयाल सरोवर बनाये जाने में चैंबर देगा योगदान

-- ‘नान रोस्टर’ नहरी पानी से पुर्न जीवित हो सकेगा टी टी जैड के लिये महत्वपूर्ण जलाशय

चैंबर अध्‍यक्ष मनीष अग्रवाल, सिकन्‍दरा राजवाह कट(इन्‍सेट में) लगवाना
 चाहते हैं रैग्‍युलेटर।साथ में हैं श्री सीताराम जी।फोटो:असलम सलीमी
आगरा  ताज सिटी के वायु पर्यावरण प्रदूषण को कम करने में नेशनल चैंबर आफ इंडस्‍ट्रीज ऐंड कमर्स आगरा ने शासन से महत्‍वपूर्ण पेशकश की है।अपने प्रस्‍ताव पर स्‍थानीय स्‍तर पर वार्ता करने के साथ ही लखनऊ में भी संबधितों से मुलाकात करेंगे। चैंबर की पेशकश पं.दीन दयाल सरोवर जलाशय योजना में योगदान को लेकर है।  जहां मथुरा के फरह,गोबर्धन विकास खंडों की अतिदोहित स्थिति में सुधार  लिये अवश्यक है, वहीं आगरा के नहरी तंत्र तथा यमुना के माध्यम से आगरा के लिये भरपूर जल उपलब्धता का स्त्रोत होगा । यह जलाशय मथुरा की टेल और आगरा के हैड पर स्‍थित  कैनाल के टर्मिनल पॉइट पर है। नेवीगेशन कैनाल के रूप में आगरा नहर के संचालन तक नहरों में जरूरी जलस्तर बनाये रखने के लिये इसका उपयोग किया जाता रहा      वर्तमान में भी भूजल में व्यापक सुधार के लिये महत्वपूर्ण है। दरअसल रबी ,खरीफमें जहां पाच पाच पानी जरूरी होते हैं, वहीं जायाद में नहरी पानी की मांग अतिसीमित हो जाती है। एस्केपों के माध्यम से डिसचर्ज होने वाला पानी जलाशय के लिये पर्याप्त है। ताज ट्रिपेजियम जोन में धूलीय कडों की सघनता को अतिसीमित करने से यह पर्यावरण की दृष्टि से भी उपयोगी है।

नेशनल चैंबर आफ इंडस्ट्रीज ऐंड कामर्स यू पी आगरा के अध्यक्ष मनीष अग्रवाल के द्वारा चैंबर एवं जलाधिकार फाऊंडेशन के प्रतिनिधियों के साथ झाल क्षेत्र का निरीक्षण कर योजना में सिचाई विभाग की योजना के अनूसार सहयोग देने की संभावनाओं को दृष्टिगत आंकलन किया गया।

चैंबर अध्यक्ष श्री अग्रवाल ने बताया कि जोधपुर झालं जलाशय का पंडित दीनदयाल सरोवर के रूप में विकसित किया जाना एक बहुउद्देश्यीय महत्वाकांक्षी योजना है।फिलहाल   आगरा नहर के सिकंदरा राजवाह का सुदृढ़ीकरण के कार्य की आवश्यकता है।  दरअसल सिकंदरा रजवाह योजना की ही नहीं सुर सरोवर कीठम झील के लिए डिस्चार्ज होने वाले पानी की व्यवस्था की भी यही रीढ़ है। नहर की पटरी जहां कमजोर होगी वह अर्थवर्क करवाया जाना है। इस हेतु चेंबर हर संभव सहयोग के लिए तत्पर है।  इस संबंध में सिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता के साथ चेंबर शीघ्र ही एक बैठक करने जा रहा है।  यदि सिंचाई विभाग अपनी सहमति और डिजाइनआदि उपलब्ध करवा देगा तो जरूरी सैल्युस गेट भी उपलब्ध करवाने के बारे में प्रयास किया जायेगा जिससे नहर भी सुरक्षित रहें और एक बूंद पानी भी व्यर्थ न हो।
ज्ञातव्य हो कि नहरी पानी के इंटेक और डिस्चार्ज प्वाइंटों पर रेगुलेटर होना नहर और जलसंचय व्यवस्था के लिए हमेशा आवश्यक होती हैं।  ऐसे सभी कार्य नहर विभाग के द्वारा नहरों के संचालन हेतु सामान्यतः करवाए जाते रहते हैं किंतु सामयिक दृष्टि से ये महत्वपूर्ण कार्य होते हैं।

चेंबर अध्यक्ष ने बताया कि जोधपुर झाल आगरा नहर का टर्मिनल है।  ओखला से 100 मील (107.9 34 किलोमीटर) की दूरी तय करके नहर झाल के ठीक अपस्ट्रीम में समाप्त हो जाती है।  इसका पानी टर्मिनल राजवाह, सिकन्दरा राजवाह में विभक्त हो जाता है। पांच सौ मीटर के बहाव के बाद सिकन्दरा राजवाह से ही कीठम एस्केप निकलता है।

कीठम एस्केप अब एस्केप न रहकर रैग्युलर नहरी चैनल का रूप ले चुका है। सूर सरोवर जलसेंचुरी का जलस्तर 19 फीट तक बनाये रखना एस्केप पर लगे गेटों से नियंत्रित होता है।

आगरा नहर दरअसल मूल रूप में नौवाहन के लिये 1875 मे शुरू हुई थी। सिकन्दरा  राजवाह इसी नौवाहन चैनल का भाग है, इससे होकर दिल्ली से आने वाली मालवाही वोटें आगरा तक पहुंचती थीं।  टर्मिनल  राजवाह और सिकंदरा राजवाह के बीच की लगभग 55 हेक्टेयर जमीन पर जलाशय था।  जब नहरों  का सरप्लेस पानी संगृहीत रहता था और सिकंदरा रजवाह में पानी की कमी के समय इसे छोड़कर कर नौ वाहन के उपयुक्त रखने की व्यवस्था थी।

इसी जलाशय को मुख्यमंत्री आदित्यनाथ जी की अध्यक्षता में गठित बृजतीर्थ परिषद के प्रोजेक्ट के तहत पं. दीन दयाल सरोवर के रूप में विकसित करने की  सिचांई विभाग आगरा ने संस्तुति की हुयी है। प्रदेश के लुघु एवं सूक्ष्म उद्योग मंत्री श्री उदयभान सिह यहां का अधिकारिक निरीक्षण कर चुके है।

 जलाधिकार फाउंडेशन के राजीव सक्सेना ने कहा कि जोधपुर झाल एवं आगरा टर्मिनल में यदि ये छोटे छोटे सुधार हो जाते हैं तो पानी का व्यर्थ बहाव बंद हो जायेगा।  साथ ही पानी के इन्टेक एवं डिस्चार्ज तथा संगृहीत जल का  ठीक प्रबंधन होने  पानी समुचित रूप से मिलता रहेगा। फाऊंडेशन के जिलाध्यक्ष एवं आगरा कॉलेज इंजीनियरिंग संकय में कम्प्यूटर साइंस विभाग के अध्यक्ष  श्री अनुराग शर्मा ने कहा है कि जलशय का बनाया जाना ताज संरक्षित क्षेत्र में नम्यता बढाने वाला एवं वायुप्रदूषण को कम करने वाला होगा। उन्होंने कहा कि  इसके लिए क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को आगे आना  होगा और विभागीय अधिकारीयों को इच्छा शक्ति उत्पन्न करनी होगी। जोधपुर झालं जलाशय का पंडित दीनदयाल सरोवर के रूप में विकसित किया जाना एक बहुउद्देश्यीय महत्वाकांक्षी योजना है।  आगरा नहर के सिकंदरा राजवाह का सुदृढ़ीकरण के कार्य की आवश्यकता है।  दरअसल सिकंदरा रजवाह योजना की ही नहीं सुर सरोवर कीठम झील के लिए डिस्चार्ज होने वाले पानी की व्यवस्था की भी रीढ़ है। नहर की पटरी जहां कमजोर होगी वह अर्थवर्क करवाया जाना है। इस हेतु चेंबर हर संभव सहयोग के लिए तत्पर है।  इस संबंध में सिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता के साथ चेंबर शीघ्र ही एक बैठक करने जा रहा है।  यदि सिंचाई विभाग अपनी सहमति और डिजाइनआदि उपलब्ध करवा देगा तो जरूरी सैल्युस गेट भी उपलब्ध करवाने के बारे में प्रयास किया जायेगा जिससे नहर भी सुरक्षित रहें और एक बूंद पानी भी व्यर्थ न हो।

ज्ञातव्य हो कि नहरी पानी के इंटेक और डिस्चार्ज प्वाइंटों पर रेगुलेटर होना नहर और जलसंचय व्यवस्था के लिए हमेशा आवश्यक होती हैं।  ऐसे सभी कार्य नहर विभाग के द्वारा नहरों के संचालन हेतु सामान्यतः करवाए जाते रहते हैं किंतु सामयिक दृष्टि से ये महत्वपूर्ण कार्य होते हैं।

चेंबर अध्यक्ष ने बताया कि जोधपुर झाल आगरा नहर का टर्मिनल है।  ओखला से 100 मील (107.9 34 किलोमीटर) की दूरी तय करके नहर झाल के ठीक अपस्ट्रीम में समाप्त हो जाती है।  इसका पानी टर्मिनल राजवाह, सिकन्‍दरा राजवाह में विभक्त हो जाता है। पांच सौ मीटर के बहाव के बाद सिकन्‍दरा राजवाह से ही कीठम एस्‍केप निकलता है।

कीठम एस्‍केप अब एस्‍केप न रहकर रैग्‍युलर नहरी चैनल का रूप ले चुका है। सूर सरोवर जलसेंचुरी का जलस्तर 19 फीट तक बनाये रखना एस्‍केप पर लगे गेटों से नियंत्रित होता है।

आगरा नहर दरअसल मूल रूप में नौवाहन के लिये 1875 मे शुरू हुई थी। सिकन्‍दरा  राजवाह इसी नौवाहन चैनल का भाग है, इससे होकर दिल्ली से आने वाली मालवाही वोटें आगरा तक

पहुंचती थीं।  टर्मिनल  राजवाह और सिकंदरा राजवाह के बीच की लगभग 55 हेक्‍टेयर जमीन पर जलाशय था।  जब नहरों  का सरप्‍लेस पानी संगृहीत रहता था और सिकंदरा रजवाह में पानी की कमी के समय इसे छोड़कर कर नौ वाहन के उपयुक्‍त रखने की व्यवस्था थी।इसी जलाशय को मुख्‍यमंत्री आदित्‍यनाथ जी की अध्‍यक्षता में गठित बृजतीर्थ परिषद के प्रोजेक्‍ट के तहत पं. दीन दयाल सरोवर के रूप में विकसित करने की  सिचांई विभाग आगरा ने संस्तुति की हुयी है। 

 जलाधिकार फाउंडेशन के राजीव सक्सेना ने कहा कि जोधपुर झाल एवं आगरा टर्मिनल में यदि ये छोटे छोटे सुधार हो जाते हैं तो पानी का व्यर्थ बहाव बंद हो जायेगा।  साथ ही पानी के इन्टेक एवं डिस्चार्ज तथा संगृहीत जल का  ठीक प्रबंधन होने  पानी समुचित रूप से मिलता रहेगा। जलाधिकार फाऊंडेशन के आगरा अध्‍यक्ष डा अनुराग शर्मा ने कहा है, इसके लिए क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को आगे आना होगा और विभागीय अधिकारीयों को इच्छा शक्ति उत्पन्न करनी होगी।