30 अगस्त 2021

एयर इंडिया का आगरा कार्यालय बन्द ,लगा ताला कर्मचारी स्थानान्तरित

-- जब भी पयर्टन सत्र शुरू होगा ,एयरपोर्ट की रौनक रहा 'महाराजा' जरूर याद आयेगा

( राजीव सक्‍सेना ) 
आगरा: ' मलिहाबाद के रंगीं गुलिस्तां
 अलविदा',    जी हां सेंटपीटर्स कॉलेज के   स्टूडैंट रहे प्रख्यात शायर जोश मलिहाबदी  ने     कभी  अपने गांव 'मलिहाबाद'(लखनऊ ) से  हमेशा   के लिये रूखसत लेते हुए यही कहा था।  
    'जोश ' ने अपने गांव से अलविदा की बेला में कहा   था  'जज्बाती कुंज--रंगीं में पुकारेंगी हवाएँ 'जोश जोश',सुन के मेरा नाम मौसम ग़मज़दा हो जाएगा'  समय  बदलाहालात तब्दील हुए लेकिन नहीं बदला तो 
तो जोश का यादगारी फसाना। अब आगरा से 'महाराजा ' अलविदा
हो रहा है,रिटायर्ड तो वह पहले से ही किया हुआ था । यानि सबको सफर करवाते रहने वाली एयर इंडिया का 67 साल पहले 1953 में शुरू हुआ सफर पूरा हो रहा है। हालात ऐसे हैं,जिनके चलते सिर्फ यादें ही रह जानी है।

सिविल एयरपोर्ट आगरा पर एयर इंडिया के पैसिंजर हैंडलिंग को बना साइट आफिस बन् हो गया है। एयरपोर्ट अथार्टी आफ इंडिया ( आई) ने इस आफिस के लिये इस्तेमाल किये जाने वाले कमरों की चाभियां एयर इंडिया मुख्यालय से मांग ली है। इसके लिये जितना जल्दी हो सके करने को कहा गया है,क्यों कि जब तक कार्यालय के लिये इस्तेमाल किये जाने वाले स्थान की सुपुर्दगी नहीं होगी तब तक एयर इंडिया के नाम किराया लगाया जाता रहेगा।

पजेशन हैंडओवर करने को कहा गया

सिविल एयरपोर्ट आगरा के डायैरेक्टर श्री अंसारी ने एयर इंडिया के आगरा एयरपोर्ट से आप्रेशन फिलहाल बन् होने की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि एयरपोर्ट अथार्टी से जो स्थान कमरे आदि आपने आप्रेशन के लिये एयर इंडिया ने लिये हुए है, बन् पडे है, अथार्टी की ओर से उनसे आग्रह किया गया है,अगर आगरा में अब एयरलान की उडाने जारी रखने का कोयी कार्यक्रम नहीं है तो अपने पजेशन को हैंडओवर कर दें।एक जानकारी में में उन्होंने कहा कि अगर रैग्युलर आप्रेशन बन् हो जाने के बावजूद कोयी नान शैड्यूल् या चार्टर फ्लाइट आती भी है तो हम उसे पूरी सेवा देंगे।

एयरपोर्ट अथार्टी से भी कहीं पुरानी है एयर इंडिया

एयरपोर्ट अथार्टी इंटरनेशनल एयरपोर्ट अथार्टी के रूप में 1972 में गठित हुई थी ,लेकिन इसका आगरा के सिविल एन्कलेव के आप्रेशन से कोयी संबध नहीं था।नेशनल एयरपोर्ट अथार्टी (एन आई) के 1986 में  गठन के बाद आगरा एयरपोर्ट ,अथार्टी के नियंत्रण में आया। 1995 में दोनों अथार्टियों का विलय हो गया बस तभी से एयरपोर्ट अथार्टी यहां नागरिक उड्डयन प्रबंधित कर रही है।आगरा एयरपोर्ट पर तैनात रहा बहुत सा स्टाफ आगरा में ही बस गया है, इन सभी के लिये एयर इंडिया का आगरा से विदा होना बेहद कष्टकारी है।ओपिन स्काई पॉलिसी के बाद कई एयरलाइंसों ने अपने आप्रेशन यहां से किये लेकिन जिन्होंने ने भी इंडियन एयर लाइंस या  एयर इंडया के साथ काम किया है,उनके लिये बीता समय स्वर्णिम यादें है।

आगरा:यूपी का पहला सिविल फ्लाइट केन्द्र

एक दिलचस् तथ् यह है कि आगरा में एयर इंडिया ,उस एयर पोर्ट अथार्टी से भी कही पुराना है,जो अब उससे चाबी मांगने की आधिकारिक भूमिका में है। दरअसल आगरा का सिविल एन्कलेव ही नहीं वायुसेना परिसर ही एयर इंडिया का मुख्याधार टाटा एयरबेज का विकसित किया हुआ है। 1938 में यह परिसर शुरू हुआ था। टाटा एयरलाइंस की करांची,मुम्बई ,ग्वलियर ,आगरा के बीच अप ऐंड उाउन फ्लाइट यहीं से शुरू हुई थी। यह मेल लाने और लेजाने वाली डौक्योटा वायु यान की मूल रूप से  फ्लाइट थी। सुविधा अनुसार सवारियां भी इसमें सवार हो जाती थीं।जिस गेट से होकर डौक्योटा के हैंगर तक आया जाता था ,उसे आजतक वायुसेना के सैनिक और अधिकारी 'टाटा गेट' के ही नाम से ही पुकारते हैं।

1941 में यह परिसर जापान के विरुद्ध युद्ध कर रही मित्र सेनाओं के नियंत्रण में पहुंच गया।लेकिन सिविल फ्लाइट तब भी जारी रहीं।

 बन् होने पर आश्चर्य

एक पूर्व सिविल एन्कलेव के मैनेजर ही नहीं कई एग्जूक्यूटिव अधिकारियों को एयर इंडिया के आगरा में कार्यकलाप बन् हो जाने पर अत्यधिक आश्चर्य है। इनका कहना है कि ताजमहल जेसे प्रमुख पर्यटन आकर्षण वाले महानगर में जहां प्राईवेट प्रमोटरों को निवेश और अवसर की संभानाये समझायी जा रही है,वहीं एयर इंडिया कार्यालय में ताला लग लग गया है। उन्होंने आश्चर्य जताया कि आगरा के जनप्रतिनिधियों में से किसी को भी इसके प्रति कोयी संवेदना नहीं है।

 आगरा का पुराना रिश्ता

इंडियन एयरलाइंस और एयर इंडिया का एयरपोर्ट से पुराना रिश्ता है।सिंगिल इंजन के दो वाययानों ( Havilland Puss Moths) के साथ शुरू हुआ सफर टाटा सन् एयर लाइन के रूप में शुरू हुआ एयरलाइंस का सफर कैसे चलता रहा पता ही नहीं लगा।टाटा एयर सर्विस और बबाद में टाटा एयरलाइंस का ट्रैवलरों पहचान बनना अपने आप में एक दिलचस् चरण था। स्वतंत्रा के बाद टाटा एयरलाइंस 29 जुलाई 1946 को लिमिटिड कंपनी में तब्दील हो गयी और इसका नाम एयर इंडिया हो गया।लेकिन इसका महाराजा मस्कट (Mascot) वही रहा जो कि टाटा एयरलाइंस का था।उसने 56 वर्ष पूरे करने के बाद आराम फर्माया।अब यह संसार का प्रसिद्ध शुभंकर माना जाता है।

1953 में टाटा की एयर इंडिया , का राष्ट्रीय करण हुआ तब से भारत सरकार नागरिक उड्डयन क्षेत्र की एकाधिकारी बन गयी। 2004 में ओपिन स्काई पॉलिसी आने तक एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस क्रमश: इंटरनेशनल और डौमेस्टिक क्षेत्रो में आप्रेशन करते रहे।15जुलाई2007  में इंडियान एयरलाइंस और एयर इंडिया के विलय करने की प्रक्रिया शुरू हुई जो कि 26फरवरी 2011 को पूरी हो सकी ।तभी से एयर इंडिया के नाम से ही एयर इंडिया लि. की एयरलाइंस  संचालन अब तक हो रहा है।

लोगो

एयर इंडिया के द्वारा सबसे लम्बी अवधि तक महाराजा मस्कट (Mascot) को अपनाया गया, दरअसल इसको 1946 में टाटा एयरलाइंस ने अपना चेहरा बनाया।1953 तक महाराजा एयर इंडिया का मस्कट बना रहा।  राष्ट्रीय करण के बाद भी यही एयर इंडिया की पहचान रहा। इंडियान एयरलाइंस का अपना एक अलग लोगो रहा किन्तु महाराजा ही हावाई उडानों का इस्तेमाल करने वालों में अपनी पैंठ बनाये रहा।एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस का विलय 2007 में होने तक यह एयर इंडिया की पहचान बना रहा।  इसको बनाने वाले थे आर्टिस् उमेश राव जो कि जे वाल्टर थम्पसन लि. के लिये कार्यरत थे। जबकि कल्पनाकार के रूप में इसे बनवाने वाले थे टाटा एयरलांस के कामर्शियल डायरैक्टर बॉबी कूकरज(  Bobby Kookaas ) जिन्हों ने टाटा एयरलाइंस और बाद में एयर इंडिया के लिये लगातार 33 साल सेवायें दीं। एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस के आपस में विलय की शुरूआत होते ही दोनों एयरलाइंसों के लोगो इस्तेमाल किेये जाना बन् हो गये और एक नया लोगो को प्रचलित किया गया। एयर इंडिया के नये लोगो के रूप में  बीच में नारंगी रंग के 'कोणार्क चक्र' के साथ लाल रंग का उड़ता हुआ हंस है। उड़ता हुआ हंस एयर इंडिया के विशेष लोगो 'सेंटोर' से परिवर्तित किया गया है, जबकि 'कोणार्क चक्र' भारत के लोगो का स्मरण कराता है।

एयर इंडिया 2014 में एयर लाइंसों के समूह स्टार एयरलाइंस का सदस् हो गयी,तब से लोगों के नीचे “A Star Alliance Member” भी आंकित होने लगा।वर्तमान में यही लोगो प्रचलन में है।लेकिन 1953 तक लोकल और बाद में 2007 तक मस्कट रहा महाराजा आज भी भारतीयों खास कर आगरा के लोगो के लिये उडान क्षेत्र से संबधित मुख् पहचान है।