-- आगरा नगर निगम को भेजा पूर्ण ब्याज माफी का प्रस्ताव
श्री मनीष अग्रवाल चैंबर अध्यक्ष |
श्री अग्रवाल ने कहा कि चैंबर इस संबध में नगर निगम के संबधित पदासीनों से मिलेगा साथ ही मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्य नाथ से भी संपर्क करेगा। चैम्बर द्वारा उत्तर प्रदेश के सभी महापौरों से अनुरोध किया गया है वे भी सभी
मिल कर गृह कर पर ब्याज मांफी के लिए माननीय मुख्यमंत्री महोदय से अनुरोध करें क्योंकि यह उद्यमियों एवं सरकार दोनों के ही हित में है।इस अवसर पर पूर्व अध्यक्ष अमर मित्तल ने कहा कि नगर
निगम अधिनियम में कुछ बुनियादी कमी है उन्हें दूर करने के लिए चैम्बर द्वारा
लगातार पत्राचार हो रहा है जैसे अधिनियम भवन केवल २ प्रकार के है - आवासीय एवं
अनावासीय। अनावासीय प्रकार है जैसे दूकान, कारखाना अस्पताल, स्कूल, होटल,
ऑफिस, बैंक, मॉल आदि।
इनकी विभिन्न परिस्थियाँ है। अतः इन सभी
के लिए कानून और व्याख्या अलग अलग होनी चाहिए।
नगर निगम प्रकोष्ठ के चेयरमैन विष्णु भगवन अग्रवाल
ने बताया कि उद्यमी पूरा टैक्स देना चाहता है।
उसे निगम स्वीकार नहीं करता है और मनमाने ढंग से कर आरोपित कर रहा है जो कि
व्यपारियों एवं उद्यमियों को स्वीकार्य नहीं है। धारा 178 के अंतर्गत फैक्ट्री के
क्षेत्र का आंकलन करने में 20 प्रतिशत क्षेत्र अनिवार्य रूप से छोड़ना है और 50
प्रतिशत कर की छूट गोदाम, गैराज, लंच
रूम आदि की देनी है जो नहीं दी जा रही हैं तथा क्षेत्र जिसमें खेती हो या मंदिर हो
वह पूरी छूट का पात्र है। चैकीदार व कामगार की रिहाईसी कोठरी भी छूट की हकदार
है।
पूर्व अध्यक्ष मुकेश अग्रवाल ने कहा कि निगम उन्हीं
क्षेत्रों में कर ले सकता है जो क्षेत्र उसने टेकओवर(अधिग्रहीत) कर लिए हो और
उसमें 5 साल तक विकास किया है अन्यथा नहीं।
निगम 2014 से कर की मांग कर रहा
है। जब कि नियमावली ही 2016 में प्रकाशित हुयी है और कोई समय पर नोटिस नहीं दिया
गया है। 6 साल से अधिक पुराने समय से
डिमांड करना और टैक्स चुकता करने के बाद दोबारा मांग करना अनुचित है।
श्री अग्रवाल ने कहा कि मांग नोटिस देने की तारीख के बाद के समय से
बनती है। जहां असेसमेंट नहीं हुआ है। रेट्रोस्पेक्टिव इफेक्ट (पूर्वव्यापी प्रभाव)
से कर नहीं लिया जा सकता है। जैसा कि
वोडाफोन के केस में इंटरनेशनल कोर्ट, हैग ने स्थिर
किया है। अतः टैक्स का आकलन नई तिथि से नोटिस देने के बाद ही किया जा सकता है।
राकेश
चौहान ने अवगत कराया कि उत्तर प्रदेश नगर निगम 1959 की धारा 178 में स्पष्ट दिशा
निर्देश है कि यदि कोई भवन 90 दिन से अधिक बंद या खाली रहता है तो उस समय का गृहकर
शून्य हो जाएगा। इसमें यह भी दिशा निर्देश है की पूर्व सूचना देनी
होगी। लॉकडाउन के समय में सूचना देना संभव
नहीं था। चूँकि केंद्र सरकार द्वारा
लॉकडाउन लगाया गया था। अतः यह अध्यादेश
स्वतः ही इस कानून के काम आएगा। नगर निगम
द्वारा नाप फुट में दिखाई जाती है जबकि मेजरमेंट में फुट कहीं नहीं है। अतः नाप
मीटर में होनी चाहिए।
उपाध्यक्ष
अनिल अग्रवाल, उपाध्यक्ष सुनील सिंघल एवं कोषाध्यक्ष गोपाल
खंडेलवाल ने कहा है कि चैम्बर द्वारा उत्तर प्रदेश के महापौरों को
पत्र लिखकर जो पहल की है उसका परिणाम अच्छा आएगा।
उम्मीद है सरकार नियमानुकूल तर्कों
पर सकारात्मक रुख अपनाते हुए शीघ्र अग्रिम कार्यवाही करेगी तथा ब्याज मांफी के प्रस्ताव को स्वीकार करते
उद्यमियों व व्यापारियों को शीघ्र रहत पहुंचाएगी इससे सर्कार को अच्छा राजस्व
प्राप्त होगा।
श्री अग्रवाल ने कहा कि चैंबर इस संबध में नगर निगम
के संबधित पदासीनों से मिलेगा साथ ही मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्य नाथ से भी
संपर्क करेगा। चैम्बर द्वारा उत्तर प्रदेश
के सभी महापौरों से अनुरोध किया गया है वे भी सभी मिल कर गृह कर पर ब्याज मांफी के
लिए माननीय मुख्यमंत्री महोदय से अनुरोध करें क्योंकि यह उद्यमियों एवं सरकार
दोनों के ही हित में है। इस अवसर पर पूर्व अध्यक्ष अमर मित्तल ने कहा कि नगर निगम
अधिनियम में कुछ बुनियादी कमी है उन्हें दूर करने के लिए चैम्बर द्वारा लगातार
पत्राचार हो रहा है जैसे अधिनियम भवन केवल २ प्रकार के है - आवासीय एवं
अनावासीय। अनावासीय प्रकार है जैसे दूकान, कारखाना अस्पताल, स्कूल, होटल,
ऑफिस, बैंक, मॉल आदि।
इनकी विभिन्न परिस्थियाँ है। अतः इन सभी
के लिए कानून और व्याख्या अलग अलग होनी चाहिए।