--मेयर और रामलीला कमेटी को लिखे गये पत्र
शांता घाट सूर सरोवर पर 'शांता' पेंटिंग, इन्सेट में पूर्व वन अधिकारी
पूर्व बन अधिकारी श्री आनन्द कुमार श्रीवास्तव।फोटो:असलम सलीमी |
श्री गुप्ता सामाजिक सरोकारों के प्रति सरोकार रखने वाले संगठन लोक स्वर के अध्यक्ष हैं, ने
यह मुहिम इसी संगठन के माध्यम से चालू रखी है। उन्होंने ने कहा कि प्रयासों के तत्काल फलीभूत न हो पाने से वह निराश नहीं हैं,उम्मीद रखते हैं कि हालात बदलेंगे और 2022 की रामलीला की बारात के समय वह पुन: कोशिश करेंगे। उम्मीद है कि उस समय तमाम लोग भी उनके प्रयासों में हम-कदम होंगे।तीन साल से चलाये हुए हैं
मुहिम
उल्लेखनीय है, कि श्री गुप्ता ने वैसे सबसे पहलला पत्र 29 सितम्बर 2018 में रामलीला कमैटी को लिखा था, जिसके प्रत्युत्तर में कमेटी की ओर से एक सदस्य महोदय के द्वारा टेलीफोन पर संवाद कर सुझाव को अच्छा तो बताया गया किन्तु पत्र देर से भेजेाजाने को कारण बता कर अगले साल आवेदन करने को कहा था। लेकिन कोविड -19 के प्रकोप के बाद पूरे साल माहौल बिगडा रहा। अब 9अगस्त 2021 के रामलीला आयोजन के समय फिर सुझाव और अवेदन भेजा दिया ।
रामलीला कमेटी के अध्यक्ष और मेयर को लिखा नवीनतम पत्र ।(इन्सेट में लोकस्वर अध्यक्ष श्री राजीव गुप्ता) |
श्री गुप्ता ने रामलीला
कमेटी के कार्यवाहक अध्यक्ष श्री नवीन जैन को भी 17अगस्त 2021 को एक पत्र लिखा ,वह मेयर
के रूप में सांस्कृतिक धरोहर और बौद्धिक विरासत के प्रति अति संवेदनशील व्यक्ति
हैं।संयोग से इस बार में राम लीला कमेटी के द्वारा राम बारात स्थगित कर दी गयी है
। लेकिन इसके बावजूद श्री गुप्ता का मानना है कि अगर उनकी ओर से पत्र का प्रतित्युत्तर ही आ जाता है तो वह अगले साल
के प्रयास के लिये प्रेरक तथा संदर्भ साक्ष्य के रूप में अति महत्वपूर्ण रहेगा।
श्री गुप्ता कहते हैं कि जब भी शांता की शोभा
झांकी राम बारात में शामिल करने की अनुमति मिलेगी राष्ट्रीय चम्बल सेंचुरी
प्रोजेक्ट सेवानिवृत्त उपसरक्षक श्री आनन्द कुमार को अवश्य आमंत्रित करेंगे। 'मानस' भक्त
श्री आनंद के कार्यकाल में ही शांता के
नाम का सूर सरोवर में एक घाट बनाया जाना संभव हुआ। जो उनके बारे में जनमानस तक
जानकारी पहुंचाने का सशक्त माध्यम साबित
हुआ।
अपने प्रयास के प्रति
समर्पित होने के बावजूद श्री गुप्ता मानते हैं कि 'सब रामजी की इच्छा पर निर्भर करता है। जब उनकी कृपा होगी तो जरूर निकलेगी 'शांता ' की शोभा
झाकी '
शांता थी ऋषि श्रंग की पत्नी
रामचन्द्र जी की बडी बहिन
शांता का आगरा वासी थीं और कीठम से लगे रुनकुता क्षेत्र के गांव सींगना में रहती
थीं। दरअसल शांता श्रंगी ऋषि की पत्नी थीं,जो
विभंडक ऋषि और अप्सरा उर्वशी के पुत्र थे।
वाल्मीकि रामायण में उनका उल्लेख हैं , राजा
दशरथ के पुत्र प्राप्ति के लिए
पुत्रकामेष्टि यज्ञ तथा अश्वमेध यज्ञ श्रंगी ऋषि ने ही करवाये थे।
पूर्व में इन्हीं श्रंगी
ऋषि ने दशरथ जी के साढू राजा रोमपाद के राज्य में पडी सूखा विभीषिका को अपने अध्यात्मिक
तपबल से दूर करवाया था। बाद में उन्होंने
वर्षा करवाने के लिये यज्ञ भी करवाया था। जिसपर प्रसन्न होकर रोमपाद ने
अपनी पुत्री शांता का विवाह उनसे कर दिया था। दरअसल शांता राजा दशरथ की कौशल्या
से उत्पन्न पुत्री थीं। जिन्हे दशरथ ने अपने साढू रोमपाद और उनकी पत्नी वर्षनी
को गोद दे दिया था। वर्षनी महारानी कोशल्या की बडी बहिन थीं।
सूर सरोवर के निकट सींगना
गांव में श्रंगी ऋषि का आश्रम बना हुआ है। वैसे श्रंगी भ्रमण करने के आदि थे, कई अन्य
स्थानों पर भी उनके आश्रम बने हुए हैं।लोक बृतांतो के अनुसार सींगना गांव का नाम
ही श्रंगी के सींगों के कारण पडा था। पौराणिक बृतांतों में उल्लेखित श्रंगी का
नाम तो आगरा में काफी लोग जानते हैं किन्तु ऋषि पत्नी शांता के बारे में आगरा
वासियों को कम ही जानकारी थी।
संस्कृति प्रेमी फारैस्ट
अफसर को नहीं भूले
राष्ट्रीय चम्बल सेंचुरी
प्रोजेक्ट के पूर्व उपसंरक्षक श्री आनंद कुमार श्रीवास्तव कीठम क्षेत्र के
पौराणिक बृतांतों में अत्यधिक रुचि रखते थे। अपने कार्यकाल के दौरान उन्हों ने सूर सरोवर के एक
घाट का 2019 में जीर्णेद्धार कर उसका
नमकरण शांता के नाम पर शांता घाट करवाया था।
उ प्र वन विभाग के द्वारा
2020 में सूर सरोवर परिसर में आयोजित बर्ड फैस्टेविल के अवसर पर आये प्रदेश के वन एवं पर्यावरण मंत्री
श्री दरा सिह चौहाने ने देश भर से आये पर्यावरण विदों के साथ ,घाट का
निरीक्षण कर इसके जीर्णोद्धार कार्य को एक सार्थक प्रयास बताया था। वर्तमान में
इसी घाट से सूर सरोवर भ्रमणार्थियों के लिये नौका बिहार की सुविधा है। घाट को अकबर
के चितेरे गोबर्धन की शांता संबधित एक पेंटिंग से सुसज्जित किया गया है। सरोवर
में नौका बिहार करते पर्यटक घाट और पेंटिंग के प्रति बरबस ही आकर्षित हो जाते हैं , इनमें से
अधिकांश फोटो व सैल्फी जरूर लेते हैं।
वन मंत्री को भी भाया
राष्ट्रीय चम्बल सेंचुरी
प्रोजेक्ट के पूर्व उपसंरक्षक श्री आनंद कुमार श्रीवास्तव कीठम क्षेत्र के
पौराणिक बृतांतों में अत्यधिक रुचि रखते थे। अपने कार्यकाल के दौरान उन्हों ने सूर सरोवर के एक
घाट का 2019 में जीर्णेद्धार
कर उसका नमकरण शांता के नाम पर शांता घाट करवाया था।
उ प्र वन विभाग के द्वारा 2020 में सूर
सरोवर परिसर में आयोजित बर्ड फैस्टेविल
के अवसर पर आये प्रदेश के वन एवं पर्यावरण मंत्री श्री दरा सिह चौहाने ने
देश भर से आये पर्यावरण विदों के साथ ,घाट का निरीक्षण कर इसके जीर्णोद्धार कार्य को एक सार्थक
प्रयास बताया था। वर्तमान में इसी घाट से सूर सरोवर भ्रमणार्थियों के लिये नौका
बिहार की सुविधा है। घाट को अकबर के चितेरे गोबर्धन की शांता संबधित एक पेंटिंग से
सुसज्जित किया गया है। सरोवर में नौका बिहार करते पर्यटक घाट और पेंटिंग के प्रति
बरबस ही आकर्षित हो जाते हैं , इनमें से अधिकांश फोटो व सैल्फी जरूर लेते हैं।