20 अप्रैल 2020

' रावण संहि‍ता ' में भी काफी कुछ है भवि‍ष्‍य और तप से बल हांसि‍ल करने को

कुशीनगर ( उ प्र) मे है 'रावण संहि‍ता'अध्‍ययन केन्‍द्र।
-- गूढ जानकारि‍यों से भरपूर है  प्रकांड वि‍द्वान 
दशानन की यह रचना
आगरा: रामानन्‍द सागर की दुबारा प्रसारि‍त रामायण से मर्यादा पुरुषोत्‍तम राम  के आदर्श एक बार जहां मनमंथन कर गये,वहीं रामण को लेकर भी तमाम अनुत्‍तरि‍त प्रसंग  भी ताजा कर गये। खास कर अगर वि‍द्वि‍ता और बल से लोक कल्‍याण न कर व्‍यक्‍ति‍गत द्वेश पूरे कि‍ये जायें तो हालात बदलते देर नहीं लगती। प्रति‍क्रि‍या स्‍वरूप वि‍भीषण अवतरि‍त हो जाते हैं। यहां तक कि‍ राजपाठ तक से हाथ धोना पडता है। राम कथा पर रचि‍त 'रामायण' तो अपने आप में राज्‍य और समाज चलाने के मार्ग दर्शन का आर्दर्श ग्रंथ है ही कि‍न्‍तु 'रावण सहि‍ता ' का भी अपना सीमि‍त महत्‍व है। राजकाज के लि‍ये ताकत हांसि‍ल करने तथा भवि‍ष्‍य की चुनौति‍यों का आभास करने की क्षमता अर्जि‍त करने को दृष्‍टि‍गत महत्‍वपूर्ण है। शि‍व भक्‍त रावण ने इसे रचा था और अगर वह रामायण का 'वि‍लेन'  नहीं होता
तो सारास्‍वत ब्राह्मण के द्वारा रचि‍त यह ग्रंथ  भी भरपूर महत्‍व पाता। 
-- रावण सहिता
रामण से संबाधि‍त बौद्धि‍क व उसकी कर्मकांड क्षमता से संबधि‍त जानकारि‍यां रवण संहि‍ता में लि‍पि‍बद्ध हैं। इस ग्रंथ की पौराणि‍काल ग्रंथ की प्रति‍ उ प्र के कुशीनगर जनपद के  गुरवलिया के पाठक परि‍वार के पास सुरक्षि‍त है। 


'शि‍व भक्‍ति‍'शक्‍ति‍ लक्ष्‍य' 
 प्रचलि‍त कथा के अनुसार परि‍वार के बुजुर्ग  ननकू पाठक की ज्योतिष में अत्याधिक रुचि थी। वे 27 वर्ष की युवास्‍था  में ही घर से भागकर नेपाल चले गए। वहां  दो वर्ष तक विभिन्न ज्योतिषियों के संपर्क में रहकर ज्योतिष का अध्‍ययन कि‍या। उनकी गहन अध्‍ययन क्षमता को दृष्‍टि‍गत एक महात्मा ने चलते समय आशीर्वाद स्वरुप उन्हें हस्त लिखित रावण संहिता प्रदान की। पोथी के पन्ने अत्यंत जर्जर हो चुके थे। जि‍सका उन्‍हों ने अत्‍यंत जतन के साथ   ग्रंथ के रूप में   संपादन कर दूसरी प्रतिलिपि बनाई और अपने छोटे भाई बागीश्वरी पाठक को उसका मर्म समझाते  रहे। मृत्यु के एक माह पूर्व  उन्होंने असली व प्रतिलिपि ग्रंथ अपने भाई को लोक कल्याण के निमित्त सौंपा। वर्ष 2000 तक बागीश्वरी पाठक ने रावण संहिता के माध्यम से लोगों के च्योतिषिय समस्या का समाधान किया। तत्पश्चात ग्रंथ को अपने तृतीय पुत्र पं. कामाख्या प्रकाश पाठक को सौंप वर्ष 2003 में वह भी  चिर निद्रा में लीन हो गए तब से यह ग्रंथ  पं. कामाख्या प्रकाश पाठक के  पास ही यह सुरक्षि‍त है।
-- रावण संहि‍ता कार्यालय  
अब गुरवलिया गांव में इस ग्रंथ के प्रायोगि‍क  'एप्‍लयड ' पक्ष की स्‍वीकार्यता को दृष्‍टि‍गण वाकायदा एक  रावण संहि‍ता कार्यालय  ही संचालि‍त हो रहा है।  अपना भूत, भविष्य व वर्तमान जानने को कई जो  प्रख्‍यात राजनैतिक हस्तियां अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुकी है। देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी, स्व. चौधरी चरण सिंह, गवर्नर सीपीएन सिंह और वर्ष 2010 में कांग्रेस के नेता राहुल गांधी भी शामि‍ल हैं। 
--रावण पर शोध प्रबध 
डा. मधु भारद्वाज
प्रख्‍यात लेखि‍का एवं भारत सरकार के जालि‍मा कुष्‍ठ उपचार के शोध संस्‍थान (CMR National JALMA Institute for Leprosy & Other Mycobacterial Diseases )आगरा की पूर्व हि‍न्‍दी अधि‍कारी डा मधुभार द्वाज का रावण पर पूरा शोध प्रबंध है। इसको मैने कभी पढा तो नहीं है कि‍न्‍तु उनकी बौद्धि‍क परपक्‍वता और साहि‍त्‍य सर्जन के प्रति‍ प्रति‍बद्धता को दृष्‍टि‍गत सहजता से माना जा सकत है कि‍ तमाम तथ्‍य परक जानकारि‍यां उसमें होंगी। जि‍नको बाल्‍मीकि‍ रामायण के अलाव अन्‍य प्रचलि‍त रामायणों में उपयुक्‍त महत्‍व नहीं मि‍ल सका।