20 अप्रैल 2020

बि‍सरख गांव ने नहीं बि‍सरा अपने 'रावण' को

--रामकथा के वि‍द्वान खलनायक का मन्‍दि‍र भी है ग्रेटर नौयडा के गांव में 
आगरा: यमुना नदी,  तटीय गांवों में  जि‍न कई संस्‍कृति‍यों के उदभव का स्‍थान होने का साक्षी रहे हैं उनमें ‍ ऋषि विश्रव की तपोभूमि वि‍सरख गांव भी शामि‍ल है। त्रोता युग  में ऋषि विश्रव का जन्म हुआ था। वह प्रकांड वि‍द्ववान होने के साथ ही अनन्‍य शि‍व भक्‍त थे। गांव के जीर्णोद्धार करवाये गये  प्राचीन शि‍वालय में स्‍थि‍त शि‍व लि‍ग की प्रति‍ष्‍ठा उन्‍हीं के द्वारा की गयी थी। प्रचलि‍त मान्‍यता के अनुसार भव्‍यमंन्‍दि‍र का स्‍वरूप लेने की ओर अगसर गांव के   शि‍व मंन्‍द्रर में स्‍थापि‍त अष्टभुजी शिवलिंग की स्‍थापना उन्‍हीं के द्वारा की गयी थी।


 -- आस्‍था का प्रतीक शि‍वलिग

पौराणिक काल की शिवलिंग बाहर से देखने में महज 2.5 फीट की है, लेकिन जमीन के नीचे इसकी लंबाई लगभग 8 फीट है। इस गांव में अब
तक 25 शिवलिंग मिले हैं।पुरातत्‍व वि‍भाग के द्वारा तो गांव में पुरातत्‍वि‍क
अन्‍वेषण के लि‍ये कोयी बडा
महत्‍वपूर्ण प्रयास अब तक नहीं कि‍या कि‍न्‍तु इसके बावजूद वि‍भि‍न्‍न कारणों से जो खुदायी आदि यहां हुई हैं उनमें नरकंकाल, बर्तन और मूर्तियों के अलावा कई अवशेष मिले हैं। मंदिर के महंत रामदास हैं और उनका मत है कि जो भी खुदयी में मि‍ला है वह त्रेता युग का ही है।
 इस मंदिर के बाहर लंकेश रावण के चित्र भी बने हुए हैं। इस मन्‍दि‍र के अलावा गांव के मन्‍दि‍रों में से तीन और ऐसे हैं जहां कि रावण के पि‍ता के द्वारा पूजा अर्चना कि‍या जाना माना जाता है। 
 -- रामण ही हैं गांव की पहचान
 हालांकि ऋषि विश्रव की वि‍द्धता भी अपने आप में बे मि‍साल है कि‍न्‍तु बि‍सरख गांव की पहचान उनके सबसे बडे पुत्र रावण के जन्‍म स्‍थान के रूप में ही  है। दि‍ल्‍ली  से करीब 15 किलोमीटर दूर ग्रटर नौयडा के इस गांव के बारे में जानकारी काप्रचार भले ही मीडि‍या क्रांति के युग में ज्‍यादा हुआ हो कि‍न्‍तु स्‍थानीय लोगों के लि‍ये यह नई नहीं है। रावण का गांव या रावण धाम से पहचान वाले इस गांव में रावण को प्रकांड पण्‍डि‍त ओर गांव का बेटा ही मानते हैं। फलस्‍वरूप यहां न रामलीला होती है, न हीं दशहरे पर रावण दहन।  जनश्रुति‍यों  और पौराणि‍क साहि‍त्‍य के अनुसार रावण के पिता विश्रव ब्राह्मण थे और उनके दो पत्‍नीयां थीं।  जि‍नमें से बडी राक्षसी राजकुमारी कैकसी थी जि‍सकी सबसे बडी संतान रावण था तथा कुंभकरण, सूर्पनखा और विभीषण उसकी अन्‍य संताने थीं । इन सभी का जन्‍म भी बि‍सरख में ही हुआ माना जाता है।
-- कुबेर का नाता भी गांव ( वि‍सरख ) से
कुबेर भी  ऋषि विश्रव के ही पुत्र थे और प्रचलि‍त मान्‍यता के अनुसार  विश्रवा की अन्‍य संतानों के समान  उनका जन्‍म भी ( वि‍सरख ) में ही हुआ था ।  माता भारद्वाज ऋषि कि कन्या इड़विड़ा थीं।  शास्त्र पुराणों में कुबेर के पिता विश्रवा एवं पितामह प्रजापति पुलस्त्य होने का उल्लेख मिलता हैं। इस प्रकार कुबेर रामण के सौतेले भाई थे। रामण की लंका मूल रूप से कुबेर की ही थी। जि‍से उसने अपने बल से छीन लि‍या था।
-- दशहरा नही मनाया जाता
यही वजह है कि जब पूरा देश अच्छाई की बुराई पर जीत के रूप में रावण के पुतले का दहन करता है, तब इस गांव में मातम का माहौल का सा सन्‍नाटा बनाये रखने का प्रचलन है।   बिसरख में  रामलीला आयोजित करते हैं और न कभी रावण का दहन करते हैं। बल्कि दशहरा पर यहां शोक मनाया जाता है। इस परंपरा को तब और बल मि‍ला जबकि  यहां दो बार रावण दहन किया गया, लेकिन दोनों ही बार रामलीला के दौरान किसी न किसी की मौत हुई।