उत्तर प्रदेश सरकार की एक उच्चस्तरीय समिति ने नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे पर रूकी हुई आवासीय परियोजनाओं को जल्दी पूरा करने के साथ ही तय पुरानी कीमतों पर ही भवन निर्माताओं द्वारा खरीदारों को आवासों का कब्जा दिए जाने की सिफारिश की है। केन्द्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में इस समिति का गठन राज्य सरकार के 18 जून को पारित आदेश के तहत किया गया था। समिति को खरीदारों की समस्याओं की पहचान करने और उससे निपटने के उपाय सुझाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। समिति ने
खरीदारों के संगठनों, डेवलपरों, बैंकों, प्राधिकरण प्रशासन और अन्य सभी पक्षकारों के साथ गहन विचार-विमर्श के बाद सुझावों से
संबंधित अपनी रिपोर्ट सौंपी है।
विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आ रही खबरों में समिति के सुझावों को लेकर कुछ भ्रम की स्थिति है और इसलिए ऐसे आरोप लगाए गए हैं कि यह सुझाव खरीदारों की बजाए डेवलपरों और बिल्डरों के हक में है, जबकि सारे सुझाव खरीदारों की समस्या को ध्यान में रखते हुए दिए गए हैं। समिति की ओर से ऐसे दस सुझाव दिए गए हैं, जिनमें परियोजनाओं को पूरा करने के लिए बैंकों की ओर से यथासंभव धन उपलब्ध कराने, परियोजनाओं से संबंधित नीतियों की कमियां दूर करने तथा डेवलपरों द्वारा परियोजना को निर्धारित अवधि
में पूरा करने की लिखित गारंटी देने आदि जैसी बातें शामिल हैं।खरीदारों के संगठनों, डेवलपरों, बैंकों, प्राधिकरण प्रशासन और अन्य सभी पक्षकारों के साथ गहन विचार-विमर्श के बाद सुझावों से
संबंधित अपनी रिपोर्ट सौंपी है।
इन सुझावों से खरीदारों पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं आने वाला है, बल्कि इससे उनकी आवासीय परियोजनाएं जल्दी पूरी हो सकेंगी और उन्हें बिल्डरों द्वारा शुरू में तय की गई कीमतों पर ही आवास उपलब्ध हो सकेंगे।