-- सरकारी विज्ञापनों से मिलने वाला भुगतान, वकाया वसूली से संबद्ध किया जाये
आई एफ डव्लू जे के वाइस प्रैसीडैंट हेमन्त तिवारी ने मजीठिया बेज
प्रकरणोंं पर राजीव सक्सेेेेना से की चर्चा। फोटो असलम सलीमी |
आगरा : सभी को न्याय मिले और वित्तीय कारणों से कोई कानूनी हक से बंचित नहीं रहे , उ प्र शासन की नीति भले ही यह हो और उ प्र विधिक सेवा प्राधिकरण व जिला विधिक सेंवा प्राधिकरण जैसी लोकोपयोगी सेवायें संचालित कर रही हो। लेकिन मजीठिया बेज बोर्ड के अनुसार वेतन और अवशेष पाने के लिये पत्रकार और गैर पत्रकार कानूनी संघर्ष के लिये अपने को असाहाय पा रहे फलस्वरूप वित्तीय सीमित साधनों के कारण बीच में ही अपने दावे या मुकदमें को वापस लेना पड रहा है या फिर पैरोकारी को शिथिल करना पडा रहा है।
मजीठिया बेज प्रकरणों की सुप्रीम कोर्ट में लडाई लडते रहे प्रख्यात एडवोकेट श्री परमानंद पांडे ने कहा कि कानूनी लडाई चाहे सहायक श्रम निदेशक के समक्ष...
लडी जाये या फिर अपीलीय प्राधिकरणों या नयायलयों में बेहद खर्चीली है । उन्होंने पत्रकार राजीव सक्सेना के इस सुझाव से सहमति जतायी कि मजीठिया बाद लडने वाले पत्रकारों और गैर पत्रकारों को सरकार को आर्थिक मदद देना शुरू कर देना चाहिये।
श्री पाडेय जो कि इडियन फैडरेशन आफ जर्नलिस्ट ( आई एफ डव्लू जे के ) के जर्नरल सैकेट्री भी हैं, ने कहा कि उ प्र शासन के समक्ष विधिक सहायता का मामला उठाया जायेगा। उन्होने कहा कि श्रम विभाग और उ प्र विधिक सहायता प्राधिकरण के समक्ष यह मामला उठवायेंगे। श्री पाडेय जो दिल्ली से टैलीफोन पर वार्ता कर रहे थे ने कहा कि श्रम उपायुक्त व सहायक श्रमायुक्तों के समक्ष अगर मजीठिया बेज बोर्ड के मामले पर सहमति नहीं बनती है तो श्रम विभाग को प्रकरण श्रम न्यायालय को भेजने के लिये के लिये ही अपेक्षा की है ।उन्होने कहा इलहाबाद उच्च न्यायालय का दरबाजा सीधे खट खटाना व्यवहारिक नहीं है।
मजीठिया बेज प्रकरणों की सुप्रीम कोर्ट में लडाई लडते रहे प्रख्यात एडवोकेट श्री परमानंद पांडे ने कहा कि कानूनी लडाई चाहे सहायक श्रम निदेशक के समक्ष...
लडी जाये या फिर अपीलीय प्राधिकरणों या नयायलयों में बेहद खर्चीली है । उन्होंने पत्रकार राजीव सक्सेना के इस सुझाव से सहमति जतायी कि मजीठिया बाद लडने वाले पत्रकारों और गैर पत्रकारों को सरकार को आर्थिक मदद देना शुरू कर देना चाहिये।
श्री पाडेय जो कि इडियन फैडरेशन आफ जर्नलिस्ट ( आई एफ डव्लू जे के ) के जर्नरल सैकेट्री भी हैं, ने कहा कि उ प्र शासन के समक्ष विधिक सहायता का मामला उठाया जायेगा। उन्होने कहा कि श्रम विभाग और उ प्र विधिक सहायता प्राधिकरण के समक्ष यह मामला उठवायेंगे। श्री पाडेय जो दिल्ली से टैलीफोन पर वार्ता कर रहे थे ने कहा कि श्रम उपायुक्त व सहायक श्रमायुक्तों के समक्ष अगर मजीठिया बेज बोर्ड के मामले पर सहमति नहीं बनती है तो श्रम विभाग को प्रकरण श्रम न्यायालय को भेजने के लिये के लिये ही अपेक्षा की है ।उन्होने कहा इलहाबाद उच्च न्यायालय का दरबाजा सीधे खट खटाना व्यवहारिक नहीं है।
उधर आई एफ डव्लू जे के नेशनल वाइस प्रेसीडैंट हेमंत तिवारी ने कहा कि श्रम न्यायालयों मे मामलों का ज्यादा दिनों तक लटकना एक दम अव्यवहारिक ही है।कार्य के प्रति उदासीन पीठासीन अधिकारियों को स्थानाविधिक प्रक्रिया अपना कर स्थानापित किया जाना जरूरी है। श्री तिवारी ने कहा कि आगरा, मेरठ, कानपुर और लखनऊ बडे प्रिंट मीडिया सैटर हैं। इनके श्रम न्यायालयों में अन्य स्थानो से कही ज्यादा मजीठिया वाद लंबित हैं। राज्य सरकार को श्रम कार्यालयो के क्रियाकलापों पर नजर रखनी चाहिये।
श्रीतिवारी ने कहा कि उ प्र सरकार को श्रम न्यायलयों के द्वारा निर्धारित बकाये का भुगतान सुनिश्चित करवाने को डी ए वी पी और सूचना विभाग से होने वाले सरकारी भुगतानों में से प्रिंट मीडिया के वर्करों अवशेष भुगतान करवाना सुनिश्चित करना चाहिये। श्री तिवारी ने कहा कि जो भी अखवार दो वित्तीय वर्षों की अवधि में भी अपने श्रमिकों को भुगतान नहीं करते है तो उनको डी ए वी पी व यू पी आई डी के विज्ञापन बन्द कर दिया जाना चाहिये। उन्होने कहा कि वह लखनऊ मे प्रमुख सचिव श्रम एवं सूचना तथा और दिल्ली में सूचना एवं प्रसारण मंत्री से मुलकात कर मामले को रखेंगे और अगर सरकारों ने कोई कदम नहीं उठाया तो कोर्ट जायेंगे।