11 अक्तूबर 2016

सारस संरक्षण के लिये मैनपुरी , इटावा में प्रतिकूल हालात

-खेती का रकवा तेजी सिमिटा, नमक्षेत्रों में आयी भारी कमी
आगरा: राज्यत पक्षी सरस का मुख्यर स्थारन मैनपुरी इस समय बेहद तेज विकास प्रक्रिया के दौर से गुजर रहा है फलस्वरूप जिले भर में फैले उसके आशियाने लगातार कम रहे हैं हो। सारस पक्षियों के आश्रय स्थवल सबसे ज्याेदा आगरा-लखनऊ एक्सेप्रेस वे से प्रभावित हुए हैं। धान के खेतों में सारसों के जोडों को मस्ताबते देखना मैनपुरी, इटावा और ऐटा के रास्तों से होकर गुजरने वालों के लिये हमेशा एक बडा आकर्षण रहा है।
सारस के राज्या पक्षीहोने से उसकीसंख्याह की बढोत्तररी और उसके संरक्षण की ओर वन्य जीव अधिकारियों में लगातार संवेदनाये रही हैं किन्तुत वर्तमान में सारसों के संरक्षण के मामले में केवल ओपचारिकता
ही अपनायी जा रही है। पिछले पांच दशकों में मैनपुरी में खतीी की जमीन का अन्यचकार्यों में सबसे ज्यािदा उपयोग हुआ है। यह सर्वविदितहीहैकिखेती की जमीन का वैकल्पिेक उपयोग होना सारस के आशियाने उजडना ही है।
इस साल जरूरत है कि सारस की गणना करवायी जाये, जो कि अब तक होती रही परंपरागतघणनाओंसे फर्क अधिक विश्वरसनिय हो। इसके लिये गैर सरकारी संगठन ज्यारदा उपयुक्तध रहेंगे। यही नहीं आगरा, अलीगढ और कानपुरकमिश्न रीके तहत आने वाले वैटलैंडों का सर्वे करवाया जाये क्योंयकिसरस तभी संरक्षित रह सकेगा जबकि दलदली क्षेत्र सुरक्षित तो रहें ही साथ ही इंसानी दखल से मुक्तनरहें किन्तु् उप्र सरकार इस दिखामेंकुछखास नहीं करपा रही है। वैसे भी इस समय उ प्र केवन्यकजीव विभाग के वरिष्ठोंि की प्रथमिकता सारस नहीं फिशरफारैस्टस (जिलाइटावा) में स्थिितलॉयन सफारी है, न कि सारस।
सारस उ प्र का राज्यह पक्षी किसी की कृपा पर नहीं बना आपितु इसकी उ प्र में देश की संख्या का साठ प्रतिशत होना इसकी मुख्य वहज है। उल्लेदखनीय है कि सारस देश में पाया जाने वाला सबसे बड़ा पक्षी है। राष्ट्रीय पक्षी चयन के लिए राय मशवरे के दौर में सारस को दूसरे स्थान पर सर्वाधिक मत मिले थे। बाद में मोर को राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया गया। दूसरे पायदान पर होने के कारण सारस का अपना महत्व है। बाद में उत्तर प्रदेश में देश के साठ फीसद सारस पाए जाने के कारण राज्य पक्षी का दर्जा दिया गया।