8 सितंबर 2016

आगरा के अपस्ट्रीटम में 650 क्यूसेक गंगा जल,यमुना में हुआ करेगा डिस्चार्ज

बृंदावन के घाटों के सौंदर्यीकरण को सौ करोड उपलब्धव करवाये गये

केसी घाट बृंदावन ,जहां समाता है20क्‍यूसिक  नाले का
पानी यमुना में:फाइल फोटो
आगरा: आगरा में बनेगा तो केवल रबड डैम, जबकि बृंदावन में डैम बने या नहीं किन्तु घाटों का सौदर्यीकरण होगा साथ ही 650 क्यूससेक गंगाजल भी यमुना नदी में डाला जायेगा। नदी के बृंदावन स्थित घाटों के सौंदर्यीकरण के लिये बृहद परियोजना के तहत 100 करोड की राशि द्वितीय किश्त के रूप में उपलब्ध करवाये जाने को शासनादेश जारी हो गया है।उ प्र के अनुपूरक बजट में इसके लिये प्राविधान किया गया था। धनराशि को प्रमुख अभियंता सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के लिये अवमुक्त किया गया है। इस धन में से बडा भाग मथुरा बृंदावन
प्राधिकरण और जलनिगम के माध्यम से ही खर्च होना है।
स्वीकृत धन से जो काम होने हैं उनमें दिल्‍ल्‍ी के ओखला बैराज से सौ कयूसेक डिसचर्ज वाली यमुना नदी में 650 क्यूसेक गंगाजल की आपूर्ति सुनिश्चित की जायेगी। यह वह पानी है जिसका उपयोग मांट ब्रांव से पोषित कमांड एरिया के किसान तीन फसली खेती में करते हैं। फिलहाल सरकार की मंंशा इस समय गांगा नदी के पानी का उपयोग कर मंट ब्रांच से बृंदावन के अपस्ट्रीम में दाहिने किनारे पर हरनाल एस्केसप से यमुना नदी केे पानी पानी में मिलाकर उसका प्रदूषण कम करने तथा बृंदावन के घाटों भरपूर जलयुक्‍त करने की है। सिंचाई विभाग ने योजना केे लिये धन को उपलब्धल करवाये जाने सहित स्वीकृति की औपचारिक्‍ता  तो जरूर करदी है किन्तुं साथ ही अपने निर्णयों के परिणामों के प्रति अााश्वस्त नहीं है। इसी लिये विभाग ने भी धन उपलब्‍ध करवाने संबधी शासनादेश तक में यह भी सुनिश्चित करने को कहा है कि खेती को पानी मिलता रहे साथ ही पानी की यमुना नदी में भी कमी नही हो।परियोजना के तहत जो मुख्‍य कार्य होने हैं उनके मुताबिक 20 क्यूमसेक ओद्योगिक ओर घरेलू एफ्यूलेंट का पानी के सी घाट (बृंदावन) के पास नदी में डाला जाना है। छै नालों को टेप कर इसे यहां तक ​​लाये जाने के लिये 2000 मीटर का इंटरसैप्टिंग ड्रेन बनाया फिर ट्रीटमेंट कर नदी में डिस्‍चार्ज लायक मानकों का बनाये जाने की कोशिश होगी।
यमुना नदी में नौवाहन पक्ष को दृष्टिगत योजना के लिये ' इन्लैंड वाटर वे अथार्टी आफ इंडिया ' की अनुमति  लिये जाने का भी उल्लेेख किया गया है, किन्तुं साथ ही अथार्टी के किसी नोटिफिकेशन का उल्‍लेख कर यह  भी जोड दिया गय हैै कि अगर जरूरी समझा गया तभी इसके लिये कोशिश होगी।

मांट ब्रांच को लेकर रही है न्यायिक सक्रियता :

खुर्जा के पास बालनपुर से निकली नहर 'मांठ ब्रांच ' की कुल क्षमता 1525 क्यूसेक है। यह नहर मथुरा जिले के भूरेका गांव के पास आकर दो भागों में विभक्त हो गई है। मांट ब्रांच (गंगा  नहर) और हाथरस ब्रांच। कोर्ट के आदेश के तहत इसमें से मांट ब्रांच (गंगा  नहर) को कुल उपलब्ध पानी का 53 प्रतिशत और हाथरस ब्रांच को 47 प्रतिशत पानी दिए जाने का प्रावधान है। मांट ब्रांच के पानी में सेे ही  हरनौल गांव के पास बनाए गए एस्केप केे माध्‍यम से आगरा की जलापूर्ति के लिये यमुना नदी के पानी की गुणवत्ता बनाये रखने के लिये 150 क्यूसेक गंगाजल दिये जाने का प्राविधान है।
जबकि हकीकत यह है कि 10.500 क्यूसेक क्षमता वाली अपर गंगा नहर से बालनपुर  स्‍थित मांठब्रांच के हैडपर पर सामान्य तौर पर 810 क्यूसेक गंगाजल मिल पाता है। कुल क्षमता से कम पानी मिलने के कारण मांट ब्रांच में वर्तमान में 416 क्यूसेक गंगाजल ही रह जाता है। फलस्‍वरूप हरनौल एस्केप में तो 150 क्यूसेक के बजाय बमुश्किल 70-80 क्यूसेक गंगाजल डिस्‍चार्ज होपाताहै।.वर्तमान में जब भी सरकारी और राजनैतिक दबाब में 650 क्यूसेक डिस्चाकर्ज यमुना नदी में करना पड जाती है  तब पूरे मंठ कमांड एरिया की खेती को पानी की भारी किल्ल्त पड जाती है।