--लोधी राजपूत समाज ने भी मनाया जल दिवस
आगरा:विश्व जल
दिवास पर जहां आगरा के चर्चित ‘रिवरकनैक्ट‘ अभियान के तहत यमुना भक्तों ने
. विख्यात शास्त्रीय संगीत गायकसदानंद भट्ट और मधुकर चतुर्वेदी ने होली गीत गाये, तथा यमुनामैया की विशेष आरतीकाआयोजन भी किया गया।
(यमुना तटपर 'एत्मादौला व्यू पौइंट' पर होली की बाहर) |
होली के माध्यम से यमुना तटीय बृज सांस्कृति और नदी की जलशून्य बदहाल
हालात की ओर जनमानस का ण्यान आकर्षित किया वहीं लोधी समज ने जागरकता का परिचय देते
हुए आगरा के गहराते ज संकट के प्रति चिंता जताशाम यमुना भक्तों ने
समाज
समाज
गायन कर, यमुना किनारे
होली उत्सव मनाया
. विख्यात शास्त्रीय संगीत गायकसदानंद भट्ट और मधुकर चतुर्वेदी ने होली गीत गाये, तथा यमुनामैया की विशेष आरतीकाआयोजन भी किया गया।
जिसमे कुसचिव चंद्रकांत त्रिपाठी, शशि कांत , राहुल चतुर्वेदी,अविनाश राणा, रंजन शर्मा, शैलेंन्द्र शिंग नरवार, राज कुमार माहेश्वरी, विशाल झा, ज्योति, पद्मिनी, मार्क जाट,ललित, अंकित, अमित, अजय सिंग, शिव प्रताप, आदि उपस्थित रहे. श्री मथुराधीश मंदिर के गोस्वामी नंदनश्रोत्िरीय और जुगल किशोर ने आरती कराई.
रिवर कनेक्ट के ब्रज खंडेलवाल ने बताया की यमुना आरती के माध्यम से शहरवासियों को नदी को बचाने की मुहिमसे जोड़ने का प्रयास निरंतर चल रहा है. एक एप्रिल को पूरा एक वर्ष हो जाएगा.
यमुना के प्रवाह पथ के गतिरोधों को दूर करें
विश्व जल दिवस के अवसर पर अखिल भारतीय लोधी राजपूत टेलीफोन
डायरेक्टरी के तत्वाधान मैं पश्चिमपुरी में जल संरक्षण संगोष्ठी का आयोजन किया
गया। जिसमे समाज के जल प्रेमियों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर अखिल भारतीय लोधी
राजपूत टेलीफोन डायरेक्टरी ने यमुना मुक्तीकरण अभियान के तहत यमुना नदी की सफाई व
इसमें अविरल जल प्रवाह की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन का समर्थन किया। और केन्द्र
सरकार से हथिनीकुंड बैराज से यमुना जल की एक अविरल धारा छोड़ने की मांग की।
जल संरक्षण संगोष्ठी मैं अखिल भारतीय लोधी राजपूत टेलीफोन
डायरेक्टरी के सम्पादक मानसिंह राजपूत विचार व्यक्त करते हुये कहा कि सृष्टि की
रचना के साथ ही प्रकृति ने हमें निर्बाध रूप से हवा, पानी व प्रकाश
प्रचुरता में उपलब्ध कराया है। प्राणी मात्र के लिए प्रकृति प्रदत्त पंचतत्व
अमूल्य हैं। सृष्टि रचना में इनका महत्वपूर्ण योगदान है। अतः प्रकृति के नियमों के
तहत ही हमें इनका उपयोग करना होगा। उन्होंने कहा की देश में पानी की कमी नही है, बल्कि इसके संरक्षण एवं रखरखाव के लिये पारम्परिक तरीके जैसे
तालाब, बावडिया आदि को पुनर्जीवित कर तथा शहरों के
अन्धाधुन्द विकास पर नियन्त्रण करते हुये ग्रामीण विकास की नीति को अपनाते हुए
इसके संरक्षण सम्वर्धन की नीति समग्र बनायी जाए।
अखिल भारतीय लोधी राजपूत टेलीफोन डायरेक्टरी के उपसम्पादक
ब्रहमानंद राजपूत ने कहा की विश्व जल दिवस दिन है पानी बचाने के संकल्प का दिन।
पानी के महत्व को जानने का दिन और पानी के संरक्षण के विषय में समय रहते सचेत होने
का दिन। आँकड़े बताते हैं कि विश्व के 1.5 अरब लोगों को पीने का शुद्ध पानी नही
मिल रहा है। प्रकृति जीवनदायी संपदा जल हमें एक चक्र के रूप में प्रदान करती है, हम भी इस चक्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। चक्र को गतिमान
रखना हमारी जिम्मेदारी है, चक्र के थमने
का अर्थ है, हमारे जीवन का थम जाना। प्रकृति के खजाने
से हम जितना पानी लेते हैं, उसे वापस भी
हमें ही लौटाना है। हम स्वयं पानी का निर्माण नहीं कर सकते अतः प्राकृतिक संसाधनों
जैसे हमारी प्रमुख नदिया गंगा, यमुना को
दूषित न होने दें और पानी को व्यर्थ न गँवाएँ यह प्रण लेना आज के दिन बहुत आवश्यक
है। इसके साथ ही उन्होंने भूमिगत जल स्तर की निरन्तर कमी पर भी चिंता व्यक्त की।
ब्रहमानंद राजपूत ने कहा कि आगरा में यमुना को स्वच्छ बनाए रखने
और उसके संरक्षण के लिए जरूरत है एक दृढ संकल्प की। यमुना का आधार धार्मिक, आर्थिक और सांस्कृतिक है। इस नदी का गौरवशाली इतिहास रहा है, इसलिए यमुना को प्रदूषण मुक्त कर उसकी गरिमा लौटने की मुहिम
यमुना किनारे बसे हुये लोगों को चलानी चाहिये जिससे की देश की अंधी सरकारों का इस
ओर ध्यान आकर्षित हो सके। उन्होंने देशभर के सभी बुध्दजीवियों से कहा है कि वे
यमुनातट पर बसे लोगों को यमुना की दुर्दशा के बारे में बताएं और उन्हें जागरूक
करें। बडे उद्योगों और शहरों की गंदगी और प्रवाह पथ में गतिरोध यमुना प्रदूषण का
बडा कारण है। यमुना करोडों लोगों की प्यास बुझाती है और लाखों लोगो को रोजगार देती
है आज जल दिवस के दिन सभी लोगों को जल संरक्षण के साथ-साथ यमुना संरक्षण का संकल्प
लेना चाहिये।
पवन राजपूत ने जोर देते हुए कहा की समय आ गया है जब हम वर्षा का
पानी अधिक से अधिक बचाने की कोशिश करें। बारिश की एक-एक बूँद कीमती है। इन्हें
सहेजना बहुत ही आवश्यक है। यदि अभी पानी नहीं सहेजा गया, तो संभव है पानी केवल हमारी आँखों में ही बच पाएगा। पहले कहा
गया था कि हमारा देश वह देश है जिसकी गोदी में हजारों नदियाँ खेलती थी, आज वे नदियाँ हजारों में से केवल सैकडों में ही बची हैं। कहाँ
गई वे नदियाँ, कोई नहीं बता सकता। नदियों की बात छोड दो, हमारे गाँव-मोहल्लों से तालाब आज गायब हो गए हैं, इनके रख-रखाव और संरक्षण के विषय में बहुत कम कार्य किया गया
है।
समाज सेवी बाबा दौलत राम ने कहा की पानी का महत्व भारत के लिए
कितना है यह हम इसी बात से जान सकते हैं कि हमारी भाषा में पानी के कितने अधिक
मुहावरे हैं। आज पानी की स्थिति देखकर हमारे चेहरों का पानी तो उतर ही गया है, मरने के लिए भी अब चुल्लू भर पानी भी नहीं बचा, अब तो शर्म से चेहरा भी पानी-पानी नहीं होता, हमने बहुतों को पानी पिलाया, पर अब पानी
हमें रुलाएगा, यह तय है।