-- ‘देसी धनुष’ की लोकप्रियता को लेकर मुख्यमंत्री को काफी आशान्वित
(रजत,हिना बिज , नितिनकोहली मुख्य मंत्री केसाथ।) |
आगरा, उ प्र
में क्रिकेट जैसे प्रचलित परदेसी खेलों की लोकप्रियता के ग्रफ पर तो फिलहाल कोई असर
नहीं पडने वाला है किन्तु परंपरागत कब्बडी,अखाडा कुश्ती और नदी तैराकी जैसे
परंपरागत खेलों में अब ‘देसी धनुष’ भी शामिल हो गया है’।आने
वाले समय में यह कडी प्रतिस्पर्धावाला खेल बनकर गुरुदुरणाचार्य और उनके परंप्रिय शिष्य
अर्जुन की कला को
फिर से जीवंत कर भारतीय संस्कृति को और समृद्ध करेगा।
फिर से जीवंत कर भारतीय संस्कृति को और समृद्ध करेगा।
मुख्यमंत्री
अखिलेश यादव ने 17 मार्च को आगरा के एकलव्य स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित
करते हुए स्वंयभी माना था कि खेलों को प्रचलित बनाये जाने के काम में सरकार या किसी
भी अन्य ऐजेंसी से कहीं अधिक भूमिका खेल प्रमियों की होती है।‘क्रास
वो’ के संदर्भ में उन्हों ने रजत बिज,हिना
बिज और नितिन कोहली की रही सक्रिय भूमिका का खास तौर से उल्लेख किया था।लांचिंगसैरेमनी
के इस यादगार मौके पर पूर्व कैबीनेट मंत्री राजा अरदमन सिह, डा सी
पी राय,मेयर इन्द्र जीत सिह आर्य,पवन सिंह
सतीश अरोडा आदि सहित दो दजर्न से अधिक राजनेता, वरिष्ठ खेल अधिकारी और खेल प्रेमी
बडी तादाद में मौजूद थे।
जहां
तक खेलों के प्रोत्साहन की बात है, प्रदेश का खेल निदेशालय वर्तमान
में दिशाहीनता की स्थिति में है।खेलों के नाम पर बातें तो बहुत होती हैं किन्तु जमीनी
काम नहीं दिख रहे। आगरा की ही लें तो यहां पिछले पचास साल से एकलव्य स्पोर्ट स्टेडियम
पर बढ रहे खेल आयोजनों के दबाव को बांटने के लिये कोई नया स्टेडियम अब तक नहीं बन
सका है। फैरेशनों और राष्ट्रीय संघों से एफीलियेटिड तमाम राज्य व जनपद के तमाम खेल
संगठन हैं किन्तु इनमें से लखनऊ के बाहर एक का भी अपना खेल विशेष की पहचान वाला ग्राऊंड
या स्टेडियम नहीं है।जहां तक मौजूदा स्थिति का सवाल है, एकल्व्य
स्पोर्ट स्टेडियम भी ब्रटिश कालीन लीगेसी का ही नतीजा है। पहले यह आगरा क्लब ग्राऊंड
के नाम से पहचान रखता था। स्व पंडित जवाहर लाल नेहरू ने इसी ग्राऊंड में आगरा में
अपना अंतिम भाषण दिया था,और उसके
बाद आगरा के स्थानीय अधिकारियों से कह गये थे कि यहां स्टेडियम बनवादो। जिसमें भाषण
और खेल दोनों ही एक साथ हो जायेंगे। जहांतक गोल्फ कोर्स का सवाल है,यह देश
का कलकत्ता के बाद का सबसे पुराना गोल्फकोर्स है,1904 में यह बना था।उससे पहले
यह पोलो ग्राऊंड था।सिधिया की सेनो के घडसबार आगरा में स्थित स्टैटिक फर्मेशन के
जनरल डी बोगई के यूरोपीयन औहदेदार जैम्स स्कैनर ने इसे विकसित किया था। मूल रूप से
सेना के कैवेलरी फोर्स(घुड सवार दस्ते)का यहां प्रशिक्षण होता था।बाद मे सेना के अफसर
पोलो खेलने लगे थे। जेम्स् स्कैनर बाद में ईस्टइंडिया कंपनी की बंगाल आर्मी में
आ गये । भारतीय सेना की यलो वाइज के नाम से विख्यात घुड सवार ब्रिगेड मूल रूप से स्कैनर
की घुड सवार सेना का मौजूदा रूप है।