--चालीस साल से सजावट करते आ रहे हैं सूफी
बुंदन मियां

(सूफी बुंदे मियां पैगम्बर को समर्पित
चर्चित रही अपनी सबीच के साथ)
--फोटो :असलम सलीमी

चर्चित रही अपनी सबीच के साथ)
--फोटो :असलम सलीमी
आगरा: इबादत और जज्बातो के शहर आगरा में
हर दिन एक न एक नया काम होता रहता है,इसी क्रम में हाल में ही शहर का पुराना बसा टीला
पाय चौकी मौहल्ला उस समय सुर्खियों में रहा जबकि यहां के सूफी बुंदन मियां के
द्वारा सजायी गयी सबील पर पैगम्बर साहब के 28 अलग अलग नामों,सम्बोधनों को आंकित
किया गया।प्लाईबुड पर कांच और फाईवर का
उपयोग इन नामों आंकित करने को किया गया ।
उपयोग इन नामों आंकित करने को किया गया ।
इस कलात्मक समुच्य के पीछे जन्नत का
दरवाजा भी बनाकर सजाया गया , जिस पर लिखा गया था कि- इस राज से वाफिक
हैं,जमाने वाले,जिदा हैं मोहम्मद के घराने वाले ,मिट गये, मिटते हैं,मिट
जायेंगे आखिर आखिर शब्बीर तेरा नाम मिटाने वाले।
बुंदन मिया बताते हैं कि सबील सजाने की
परंपरा को वह चालीस साल से निर्वाह करते आ रहे हैं।यूं तो हर बार ही इसके माध्यम
से इंसानियत का संदेश और कुछ न कुछ रूहानी सुकून देने वाला पैगाम देने की कोशिश
रही हे किन्तु इस बार की सजावट कुछ ज्यादा ही लोगों को भाई।सबसे अहम रहा कि जो एक बार जो खुद सबील को देख गया वह दुबारा
भी अपने घरवालों और पडोसियों के साथ दीदार को आया।