--सांस्कृतिक,साहित्य एवं फिल्म जगत की कई हस्तियां भाग लेंगी
आगरा, अमृतसर आधारित फाकलोर रिसर्च एकेडैमी के
तत्वावधान में सार्कदेशों के नागरिकों में भाईचारा बढये
जाने के लिये दो दिवसीय आयोजन आगरा में 17 व 18 अक्टूवर को होने जा रहा है।सम्मेलन में सार्कदेशों के नागरिक प्रतिनिधि भाग लेंगे।जिसमें पत्रकार, सांस्कृतिक कर्मी,साहित्यकार सम्मलित होंगे।यह जानकारी सार्क सम्मिट इंचार्ज एवं उप्र के एकैडैमी कॉर्डीनेटर श्री अनिल शर्मा ने एक जानकारी देते हुए कहा कि सीमापार
मुल्कों से आने वाले प्रतिनिधियों सम्मेलन में भाग लेने के लिये विदेश मंत्रालय ने अनुमति प्रदान कर दी है।इन प्रतिनिधियों के द्वारा अपने अपने देशों में स्थित भारतीय दूतावास से आगरा सम्मेलन के लिये वाकायदा बीजा प्राप्त लिया गया है। हालांकि कई देशों के मामले में आवेदनों के सापेक्ष काफी कम लोगों को ही बीजा प्रदान किया गया है।
जाने के लिये दो दिवसीय आयोजन आगरा में 17 व 18 अक्टूवर को होने जा रहा है।सम्मेलन में सार्कदेशों के नागरिक प्रतिनिधि भाग लेंगे।जिसमें पत्रकार, सांस्कृतिक कर्मी,साहित्यकार सम्मलित होंगे।यह जानकारी सार्क सम्मिट इंचार्ज एवं उप्र के एकैडैमी कॉर्डीनेटर श्री अनिल शर्मा ने एक जानकारी देते हुए कहा कि सीमापार
मुल्कों से आने वाले प्रतिनिधियों सम्मेलन में भाग लेने के लिये विदेश मंत्रालय ने अनुमति प्रदान कर दी है।इन प्रतिनिधियों के द्वारा अपने अपने देशों में स्थित भारतीय दूतावास से आगरा सम्मेलन के लिये वाकायदा बीजा प्राप्त लिया गया है। हालांकि कई देशों के मामले में आवेदनों के सापेक्ष काफी कम लोगों को ही बीजा प्रदान किया गया है।
इस अवसर पर प्रख्यात गांधीवादी नेता
स्व श्रीमती निर्मला देश पांडेय की स्मृति में शांति और न्याय पुरुस्कार का
तीसरा पुरुस्कार कार्यक्रम भी होगा । प्रख्यात गांधीवादी नेता डा सुब्बाराव सम्मेलन
के दौरान अपने अपने क्षेत्र के कुछ अन्य प्रख्यात विषय विशेषज्ञों के साथ
मौजूद रहेंगे।
श्री शर्मा ने बताया कि एकैडैमी के
राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेश यादव आगरा आ चुके है।उन्होंने सम्मेलन की तैयारियों
का जायजा लिया तथा स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों से भी वार्ता की।श्री यादव
ने आगरा के साहित्यकारो,पत्रकारों और सांस्कृतिक कर्मियों से अपेक्षा की है
कि बडी संख्या में उनकी भी आयोजन मे भागीदारी रहेगी।
उल्लेखनीय है कि यह सम्मेलन उस
दौर में हो रहा है जबकि सार्क देशों में से कई अपनी आंतरिक आर्थिक और राजनैतिक
चुनौतियों से जूझ रहे हैं।साथ ही संगठन के औचित्य पर ही दुनियां की वे बडी
ताकतें प्रश्न चिन्ह लगा रही हैं जो कि दक्षण ऐशियाई देशों के बीच बढते
भाईचारा को अपने हको के खिलाफ मानती हैं।
