11 अक्टूबर 2015

‘लो बैक पेन’ की सर्जरी भी अब टाकों रहित होगी

--एनेस्थीसिया 37वीं कार्यशाला की ‘सोवि‍नि‍यर’  का भी कि‍या वि‍मोचन

आगरा। अब तक सर्जरी की प्रचलि‍त तकनीकि‍यों मे समय के साथ तेजी से बदलाव आया है,और
(सोवि‍नि‍यर का वि‍मोचन कि‍या मंचस्‍थ
चि‍कि‍त्‍सा वि‍शेषज्ञों ने)
आने वाले वक्‍त में बैक पेन जैसी सर्जरी भी एंडोस्‍कोपि‍क तकनीकि‍ (टांका रहि‍त)होगी।यह जानकारी प्रख्‍यात सर्जन डॉ. एसपीएस राणा ने होटल डबल ट्री (हिल्टन) में आयोजित इंडियन सोसायटी ऑफ एनेस्थीसिया, यूपी चैप्टर की 37वीं कार्यशाला में दी। उन्होंने कहा कि एनेस्थीसियोलॉजिस्ट की भूमिका सिर्फ ऑपरेशन से पहले मरीज को बेहोश करने में ही नहीं बल्कि ऑपरेशन के दौरान और बाद में

भी बहुत महत्वपूर्ण होती है।
 वर्कशाप को सम्‍बोधि‍त करते हुए वशेषज्ञ  डॉ. अपूर्व अग्रवाल ने गम्भीर रूप से घायल ट्रोमा सेन्टर तक पहुंचने वाले मरीजों के इलाज के दौरान बरतने वाली सावधानियों और तकनीकि पहलू पर प्रकाश डाला। डॉ. राहुल आनंद ने पैरा ऑपरेटिव यानि ऑपरेशन के दौरान कुछ आवश्यक पहलुओं पर एनेस्थीसियोलॉजिस्ट की भूमिका के बारे में बताया।
कार्यक्रम के दौरान सोवीनीयर का विमोचन भी मुख्य अतिथिरुरल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस सैफई के निदेशक डॉ. टी प्रभाकर, एसएन मेडिकल कॉलेज के कार्यवाहक प्राचार्य डॉ. अजय अग्रवाल, सोसायटी के नेशनल जीसी मैम्बर, वीरेन्द्र शर्मा, आईएसए यूपी अध्यक्ष डॉ. अनीता मलिक, सचिव डॉ. भारत भूषण, डॉ. मोनिका कोहली, डॉ. उमा श्रीवास्तव, डॉ. त्रिलोक चंद, डॉ. रणवीर त्यागी ने संयुक्‍त रूप से कि‍या।
कार्शाला में जुटे 250 एनेस्थीसियोलॉजिस्टों ने वि‍भि‍न्‍न सत्रों में अपने क्षेत्र की नई तकनीक और नए आयामों पर मंथन किया। इस मौके पर मेडिको छात्र-छात्राओं के लिए विभिन्न प्रतियोगिताएं भी आयोजित की गई।
पोस्टर प्रतियोगिता में मेरठ सुभारती कॉलेज की दलजीत कौर, क्विज में बीएचयू के अभिनव व अम्रता रथ को प्रथम पुरस्कार मिला। कॉम्पटेटिव पेपर में विवेकानंद कॉलेज लखनऊ की डॉ. निमिषा मलिक सबसे आगे रहते हुए पुरस्कार पाया। आर्गनाइजिंग कमेटी की चेयरपर्सन डॉ. उमा श्रीवास्तव, सचिव डॉ. त्रिलोक चंद, डॉ. अम्रता गुप्ता, डॉ. योगिता द्विवेदी, डॉ. अपूर्व मित्तल, डॉ. राजीव पुरी, डॉ. अर्पिता सक्सेना, डॉ. अर्चना अग्रवाल आदि की आयोजन में अनवरतता बनाये रखने में सक्रि‍य सहभागि‍ता रही।
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अंग दान में महिलाएं ही नहीं पुरुष भी आगे आएं


आगरा। परिवार के किसी सदस्य को यदि अंग प्रत्यारोपण की जरूरत पड़े तो सबसे पहले महिलाएं ही आगे आती हैं। लखनऊ एसजीपीजीआई के डॉ. प्रभात तिवारी ने बताया कि 90 फीसदी मामलों में अपने परिजन को अंग दान महिलाएं ही करतीं हैं। इस मामले में कभी पत्नी तो कभी मां को ही आगे आना होता है। जबकि पुरुष कोई न कोई बहाना कर इससे बच निकलते हैं।