--कभी आगरा में ही लडी गयी थी धारा 144 के विरुद्ध मार्के की लडाई
आगरा: महान समाजवादी
नेता और उ प्र में की समाजवादी सरकार के प्रेरणता डा राम मनोहर
लाहिया की पुणय तिथिका
आयोजन सोमवार को सपा कार्यालय पर श्रद्धाभाव के साथ मनाया गया।इस अवसर पर एक संगोष्ठी
भीअयोजित हुई।पूर्व पार्टी के महानगर रईस उददीन ने उनके चित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित की ओर सभी कार्यकर्ताओ को उनके जीवन से प्रेरणा लेने को कहा।उल्लेखनीय है किडा राम मनोहर लोहिया का आगरा से अत्यंत
गहरा रिश्ता रहा है।यही उनके जीवन की अंतिम गिरफ्तारी भी यहीं
हुयी राजामंडी स्टेशन से हुयी थी ,जब किवह दिल्ली से आगरा पहुंचे थे। यू पी सरकार ने उनके जनपद में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया हुआ था। फलस्वरूप राजामंडी स्टेशन के बुकस्टाल का ही मंच के रूप में प्रयोग करते हुए उन्हे अपना भाषण देना पडा था। इस घटना को जिन पत्रकारों ने कवर किया था उनमें से अब केवल श्री रमाशंकर शर्मा ही हमारे बीच में रह गये हैं।डा लाहिया की यह गिर फ्तारी इस लिये और भी स्मरणीय है क्योंकिशासन के द्वारा अपने विरोधियों को तनियंत्रित करने के लिये आजाद भारत में धारा 144 के बढते दुरेपयोग के विरुद्ध उन्हों ने मकर कानूनीलडाई लडी थी। यह लडाई हालांकितत्कालीन प्रशासनिक अदालत में ही लडी गयी किन्तु इस पर हाईकोर्ट ही नहीं सुप्रीम कोर्ट की न्याय व्यवस्था से जुडों हुए लोगों की भी नजर लगातार रही थी। लोहिया का प्रशासनिक अदालत में दिया गया एक एक तर्क और बयान राष्ट्रीय समाचारों में सुर्खियां पता था। पीठासीन अधिकारी के रूप में मामले की सुनवायी तकलीन तत्कालीन नगर मजिस्ट्रेट ने मामला खत्म होने के बाद बडे ही विनम्रता के साथ डा लाहिया को अपने कोर्ट से तो पूरी अपने पद के साथ जुडी प्रशासनिक सीमा रेखा की मर्यादा का पालन करते हुए ही विदा किया किन्तु बाद में वह उनसे मिलने पहुंचे और भावुक होकर कहने लगे कि यह मुकदामा मेरे लिये ही नहीं आगरा की किसी भी न्यायिक प्रशासनिक अदालत के लिये एक यादगार है।मै इसका प्रशासनिक चेहरा जरूर था किन्तु इसकी एक एक घटना की जबावदेही ऊपर तक होती रही।स्व बालोजी अग्रवाल,प्रताप सिह चतुर्वेदी एडवोकेट,श्रोमणी बंधु स्व लोकश श्रोत्रिय एड,मुफीदे आम इंटर कॉलेज के अध्यापक श्याम पाठक आदितत्कालीन ख्यातिके कई ऐसे नाम हैं जिनके पास इस मामले की स्मृतियों के रूप में काफी कुछ कहने को था।
(सपा कार्यालय में डा लोहिया को पार्टीजनों के बीच श्रद्धासुमन अर्पित करते महानगर अध्यक्ष रईसुद्दीन।) |
हुयी राजामंडी स्टेशन से हुयी थी ,जब किवह दिल्ली से आगरा पहुंचे थे। यू पी सरकार ने उनके जनपद में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया हुआ था। फलस्वरूप राजामंडी स्टेशन के बुकस्टाल का ही मंच के रूप में प्रयोग करते हुए उन्हे अपना भाषण देना पडा था। इस घटना को जिन पत्रकारों ने कवर किया था उनमें से अब केवल श्री रमाशंकर शर्मा ही हमारे बीच में रह गये हैं।डा लाहिया की यह गिर फ्तारी इस लिये और भी स्मरणीय है क्योंकिशासन के द्वारा अपने विरोधियों को तनियंत्रित करने के लिये आजाद भारत में धारा 144 के बढते दुरेपयोग के विरुद्ध उन्हों ने मकर कानूनीलडाई लडी थी। यह लडाई हालांकितत्कालीन प्रशासनिक अदालत में ही लडी गयी किन्तु इस पर हाईकोर्ट ही नहीं सुप्रीम कोर्ट की न्याय व्यवस्था से जुडों हुए लोगों की भी नजर लगातार रही थी। लोहिया का प्रशासनिक अदालत में दिया गया एक एक तर्क और बयान राष्ट्रीय समाचारों में सुर्खियां पता था। पीठासीन अधिकारी के रूप में मामले की सुनवायी तकलीन तत्कालीन नगर मजिस्ट्रेट ने मामला खत्म होने के बाद बडे ही विनम्रता के साथ डा लाहिया को अपने कोर्ट से तो पूरी अपने पद के साथ जुडी प्रशासनिक सीमा रेखा की मर्यादा का पालन करते हुए ही विदा किया किन्तु बाद में वह उनसे मिलने पहुंचे और भावुक होकर कहने लगे कि यह मुकदामा मेरे लिये ही नहीं आगरा की किसी भी न्यायिक प्रशासनिक अदालत के लिये एक यादगार है।मै इसका प्रशासनिक चेहरा जरूर था किन्तु इसकी एक एक घटना की जबावदेही ऊपर तक होती रही।स्व बालोजी अग्रवाल,प्रताप सिह चतुर्वेदी एडवोकेट,श्रोमणी बंधु स्व लोकश श्रोत्रिय एड,मुफीदे आम इंटर कॉलेज के अध्यापक श्याम पाठक आदितत्कालीन ख्यातिके कई ऐसे नाम हैं जिनके पास इस मामले की स्मृतियों के रूप में काफी कुछ कहने को था।
अब तो खैर समय बदल गया है,’एबीसीडी हाय हाय’ का नारा
बुलंद करवाने के इस पुरोधा के खास अनुयायी बताने वाले भी अपने बच्चों को अंग्रेजी
सिखाने के बाद इंग्लिश स्पीकिग की आदत डालने की जोड तोड में लगे हुए हैं।समय के
महान समाजवादी तक फिटेन में चलने का शौक फर्माने लगे हैं।