21 अप्रैल 2015

जलवायु परिवर्तन एक चुनौती - प्रकाश जावड़ेकर

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि जलवायु परिवर्तन एक चुनौती है न कि व्‍यावसायिक अवसर। वाशिंगटन आयोजित आर्थिक मंच की प्रमुख बैठक में श्री जावड़ेकर ने कहा कि विकसित विश्‍व को आपदा से फायदा नहीं लेना चाहिए। इस वर्ष पेरिस में निष्‍पक्ष और न्‍यायसंगत समझौते के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए उन्‍होंने कहा कि हमें पृथ्‍वी को बनाने के लिए चींटियों की तरह काम करना पड़ेगा। श्री जावड़ेकर ने कहा कि पेरिस को तभी सफलता मिलेगी जब हम यह सुनिश्चित करेंगे कि प्रत्‍येक देश अपना आईएनडीसी प्रस्‍तुत करे और उसे लागू किया जाए। इसके पालन के लिए विकासशील विश्‍व को अपनी वित्‍तीय प्रतिबद्धताओं को पूरा करना होगा। यह भी सुनिश्चित करना होगा कि महत्‍वपूर्ण प्रौद्योगी सस्‍ती दरों पर उपलब्‍ध हों...
विकसित विश्‍व को आपदा से लाभ नहीं लेना चाहिए। जलवायु परिवर्तन एक चुनौती है न कि व्‍यावसायिक अवसर। भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा के लिए एक महत्‍वाकांक्षी योजना बनाई है और भारत ऊर्जा क्षमता के रास्‍ते पर प्रभावशाली तरीके से चलेगा। हमारी उत्‍सर्जन तीव्रता हमारी योजना के अनुसार कम हुई है। यहां तक कि आईपीसीसी उत्‍सर्जन कमी रिपोर्ट ने प्रमाणित किया है कि भारत परिपालन में बिन्‍दु पर है..
 श्री जावड़ेकर ने कहा, भारत चाहता है कि प्रत्‍येक पक्ष को ऐतिहासिक जिम्‍मेदारियों के आधार पर तालमेल और वैश्विक वायुमंडलीय स्रोतों और कार्बन स्‍पेस को न्‍यायसंगत तरीके से बांटने के बारे में विचार करना चाहिए जो गरीबी उन्‍मूलन, सभी की ऊर्जा तक पहुंच और विकासशील देशों के निरंतर विकास के लिए जरूरी है। भारत को उम्‍मीद है कि 2020 से पहले आवश्‍यक और तत्‍काल महत्‍वाकांक्षी कार्य किए जाएंगे। विकासशील देशों को इसमें देरी नहीं करनी चाहिए।