--‘द टिन ड्रम’ पुस्तक पर मिला था नोविल पुरुस्कार
--कलकत्ता से खास लगाव रखते थे गुंटर
(जर्मन गुंटर ग्रास) |
कलकत्ता : नेताजी सुभाष चन्द्रबोस
के जीवन का गहनता से अध्ययन करने वाले नोविल पुरुस्कार विजेता गुंटर ग्रास का
निधन हो गया ,कोलकाता के जनजीवन को उजागर करने वाले और समसामायिक दुनिया में
युद्ध एवं हिंसा का विरोध करने वाले नोबेल पुरस्कार विजेता जर्मन लेखक गुंटर ग्रास
का जर्मनी के ल्युबेक शहर में निधन हो गया वह 87 वर्ष के थे।वह दो बार कोलकत्तता आये
थे और यहां के जनजीवन में मां दुर्गा की सवेभौमिक्ता पर आश्चर्य चकित रह गये
थे। यही नहीं इस महानगर में गाय,
गोबर, गटर और गंदगी के बीच मानवीय संवेदना
और जिजिविषा किस तरह कायम है इसका भी गहनता के साथ अध्ययन किया अपनी पुस्तकों
में उल्लेख भी किया था।
उनकी कोलकता की राजनीति, धर्म और सामाजिक
जीवन पर ‘शो योर टंग’ शीर्षक से लिखी पुस्तक खास तौर चर्चित रही थी। बंगाली राजनीति
में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के प्रभाव को भी उन्होंने आंका था तथा इसे विरोधाभासी
माना था...
उनके अनुसार नेताजी ने एक ओर लोकतंत्र और स्वतंत्रता के दुश्मन जर्मन तानाशाह हिटलर से हाथ मिलाया था वहीं दूसरी ओर वह भारत के लिये महान राष्ट्रवादी नेता थे। उनके अनुसार नेताजी के व्यक्तित्व के कारण ही भारत उपनिवेशवाद का सामना कर पाया था। ग्रास नेताजी के जीवन पर एक नाटक लिखना चाहते थे जो सपना पूरा नही हो पाया।
उनके अनुसार नेताजी ने एक ओर लोकतंत्र और स्वतंत्रता के दुश्मन जर्मन तानाशाह हिटलर से हाथ मिलाया था वहीं दूसरी ओर वह भारत के लिये महान राष्ट्रवादी नेता थे। उनके अनुसार नेताजी के व्यक्तित्व के कारण ही भारत उपनिवेशवाद का सामना कर पाया था। ग्रास नेताजी के जीवन पर एक नाटक लिखना चाहते थे जो सपना पूरा नही हो पाया।
लेकिन उनका नाम उनके पहले उपन्यास ‘द
टिन ड्रम’ से हुआ था जो कि 1959
में छापा था इसी पर चालीस साल के बाद
उन्हें नोबेल पुरस्कार मिला।