आगरा,हर साल की तरह से इस बार भी ताजमहोत्सव तो जरूर फरवरी में होगा किन्तु प्रबंधन के नये प्रयोग के साथ।
ताज महोत्सव आयोजन समिति ने वर्ष 2015 में ताज महोत्सव को सेल्फ स्पांसर्ड बेसिस पर कराने का निर्णय लिया था। इसके तहत टेंडर के अधार पर ठेका लेने वाली कंपनी को टिकट बिक्री, सजावट, दुकानों का आवंटन, कलाकारों का चयन आदि आदि सहित सभी कार्य स्वयं ही करने हैं। आयोजन समिति ने टेंडर जारी कर 16 सितंबर तक टेंडर मांगे थे। कई इवेंट कंपनियों ने महोत्सव के संबंध में पर्यटन विभाग से जानकारी तो जुटाई, मगर एक भी टेंडर जमा नहीं हुआ। अब पर्यटन विभाग ने कोई टेंडर न जमा होने पर डेट आगे बढ़ा कर 29 सितम्बर तक टेंडर मांगे हैं। समिति जो कि काफी लोकप्रिय मानकर उम्मीद जता रही थी कि महोत्सव को सेल्फ स्पांसर्ड बेसिस पर कराने के लिये बडी कंपनियों में कडी प्रतिस्पर्धा होगी।जबकि प्राइवेट ईवेंट कपनियों के प्रतिनिधि केवल पूछ ताछ तक ही सीमित रहे।
देर सबेर और सरकारी तंत्र के दबाव और अघोषित रियायतों का आश्वासन के कारण आने वाले वक्त में हो सकता है कि ठेका उठा भी जोये किन्तु आगरा के कलाजगत से जुडे रंगकर्मियों,संगीतकारों और अन्य विधाओ से जुडे संस्कृति कर्मियों को कमेटी का निर्णय आगरा के संस्कृति के हित में नहीं लगा।
आयोजन समिति में बदलाव जरूरी
इनमें से अधिकांश का मानना है कि आयोजन समिति अपने लक्ष्य और उद्धेश्यों में पूरी तरह से असफल रही है।सोसाइटी एक्ट के तहत गठित इस समिति का शासन को पुनर्गठन करना चाहिये।पदेन सदस्य तो स्वयं ही बदल जाते हैं किन्तु गैर सरकारी सदस्यों का बदलाव वर्षों से नहीं हुआ है।आयोजन की आर्थिक असफलता के पीछे यही बडा कारण है।जनता की भागीदारी इस आयोजन की आत्मा थी जो कि समिति के अदूरदर्शी फैसलों के चलते अब महोत्सव की 'टिकट विडों' तक ही सीमित रह गयी है।पर्यटन विभाग खुद नोडल एजेंसी के रूप में पूरी तरह से फ्लाप साबित हुआ है।ताजमहल के एकदम निकट का आयोजन होने के बावजूद विदेशी ही नहीं देश के पर्यटक भी कभी पर्याप्त संख्या में नहीं पहुंच सके हैं।
गजल गायक करतार सिह कमेटी के निर्णय से खफा
प्रख्यात गजल गायक करतार सिह यादव ने कहा है कि ताजमहोत्साव के नाम पर जो चलता रहा है,वह अफसोस जनक है। समिति को भंग कर शासन स्तर से जनप्रतिनिधयों की सहमति से इसका पुनर्गठन किया जाना चाहिये।
सपाई भी प्रशासन के निर्णय से नाखुश
समाजवादी पार्टी के कई प्रमुखजन भी ताजमहोत्साव ठेके पर करवाये जाने के पक्ष में नहीं हैं।इनमें से अधिकांश का मानना है कि इससे आगरा का पर्यटन बढे या नहीं ,किन्तु आगरा के सांस्कृतिक माहौल को झटका जरूर लगेगा।जनपद के जनप्रतिनिधयों तक ने आयोजन समिति के निर्णय से असहमति जताते हुए कहा हे कि उन्हें नहीं मालूम इसका गठन कब होता है और इसमें किन लोगों को शामिल किया जाता है।नागरिक भागीदारी के नाम पर केवल कुछ ही लोगों को वर्षों से लगातार शामिल रखने पर भी आश्चर्य जताया है। कई बार के एक विधायक ने कहा कि उन्हें तो हरबार केवल उद्घाटन का कार्ड ही मिलता रहा है।लगता है कि इस बार वह भी 'ठेकेदार 'के आदमी दे जायेंगे।
ठेकेदारी शुरू करने के कारणों की जनकारी करेंगे रॉय
प्राप्त जाकारी के अनुसार समाजवादी पार्टी के विरष्ठ नेता एवं राज्य मंत्री डा सी पी राय से भी कई कलाकार और आयोजन से जुडे रह कुछ लोग मिले ।बताया जाता है कि इस जानकारी पर डा रॉय ने भी आर्श्चय जताया कि पूरे ही आयोजन को ठेके पर आयोजित करवाने की तैयारी है।
डा रॉय जो कि ताजमहोत्सव को प्रारंभ करवाने वालों में से एक हैं ,ने कहा कि अपनी राजनैतिक व्यस्तताओं के कारण उन्हे भी इस मामले जो समित सूचनाये हैं उसके अधार पर तत्काल तो वह कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं हैं किन्तु इसकी जानकारी जरूर करेगे कि आयोजन को ठेकेपर करवाने की नौबत क्यों आयी।