इस बार दिल्ली विधानसभा चुनावों में मायावती की पार्टी बसपा अकेले ही भाग्य आजमाना चाहती है। बहुजन समाज पार्टी सभी 70 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की संभावना है, जबकि सपा ने दिल्ली चुनावों से दूर रहने का फैंसला किया है।धर्मनिरपेक्ष वोटों के विभाजन को रोकने के लिए अखिलेश यादव दिल्ली चुनावों से अलग रहना चाहते हैं । दोनों पार्टियों ने गठबंधन में 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन चुनाव पूर्व गठबंधन दोनों के लिए अपेक्षा से दूर रहा । बसपा ने दिल्ली में अब भी थोड़ा भहुत स्थान कायम कर रखा है। विशेष रूप से दलित और प्रवासी मतदाताओं की महत्वपूर्ण संख्या के कारण बसपा अब भी मौजूद है। बतादें 2008 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में बसपा ने दो सीटें हासिल की थीं, लेकिन 2015 में सभी 70 सीटों पर चुनाव लड़ने के बावजूद कोई भी सीट नहीं मिली थी था।