17 जुलाई 2017

केवल संवैधानि‍क वाध्यता के भरोसे हैं नि‍कायों के नये चुनाव

-समार्ट सि‍टी कंपनि‍यों के लावि‍स्ट नहीं चाहते जल्दी  हों नये चुनाव 
हेस्‍टि‍ग तक  स्थानीय  स्‍वशासन का था पक्षधर,वहीं  नि‍कायों के 
प्रबंधन में कपनि‍यों की  घुंसपैठ का मार्ग प्रशस्‍त करडाला श्री नायडू ने
 आगरा: उ प्र के शहरी नि‍कायों के नये चुनाव  74 वें संवि‍धान संशोघन की बाध्यता के कारण ही होंगे अन्‍यथा सत्‍तादल की लावी वि‍शेष इन्‍हें यथावत टालते रहने की पक्षधर है। प्राप्त जानकारी के अनुसार उ प्र की  अफसरशाही के सुर में सुर मि‍लाने का काम तमाम छुटभैया नेताओं के साथ ही भाजपा के कई बडे नेता कर चुके हैं। 
फि‍लहाल चुनाव करवाने में ‘कानूनी दायरे में डि‍ले टैक्टंट्रि‍क्स’ अपनाये जाने की कोशि‍शें शुरू हो चुकी हैं। कोर्ट-कचहरी का भी इसके लि‍ये सहारा लि‍ये जाने के बारे मे सोचा जा रहा है। चुनाव टलवाने के सबल काराणों में इस समय भाजपा की
लोकप्रि‍यता का ग्राफ अपने न्यूतनतम स्तर पर पहुंचना तो है ही , वहीं दूसरी ओर प्रदेश के 13 नि‍गम वाले नि‍कायों में से कुछ में प्राईवेट कंपनि‍यों का स्माार्ट सि‍टी प्राजैक्टों पर काम शुरू करने के लि‍ये सक्रि‍य स्थिति‍ में पहुंच जाना भी अन्‍य बडा कारण  है। इन कंपनि‍यों में से अधि‍कांश नहीं चाहतीं कि‍ नये मेयर और पार्षद शुरूआती दौर में उनके काम काज में दखल करे।
 उधर प्रदेश के 13 शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए सरकार द्वारा  1500 करोड़ रुपये खर्च करने की तैयारी की जा चुकी  है,प्रदेश के बजट में इसके लि‍ये प्रावि‍धान कि‍या गया  है। लखनऊ, कानपुर, वाराणसी व आगरा में जहां स्मार्ट सिटी मिशन के तहत कई परियोजनाओं को अंतिम रूप दिया जा रहा है, वहीं मेरठ, सहारनपुर, रामपुर, गाजियाबाद और रायबरेली को लेकर भी  कोशिशें शुरू हो गई है। इलाहाबाद, अलीगढ़ और झांसी तीन अन्यो शहर भी स्मार्ट बनने की लाइन में आ खडे हुए हैं। 
परोक्ष रूप से स्मार्ट सि‍टी यानि‍ स्वशासन  पर करारी चोट ही है ।मूलत: भाजपा-गठबन्धन के द्वारा  उप राष्ट्रपति  पद के लि‍ये घोषि‍त  प्रत्यांशी,  वैंकेटा नायडू के शहरी वि‍कास मंत्री पद के कार्यकाल में स्मार्ट सि‍टी के नाम से यह योजना लागू की गयी।जबकि‍ हकीकत में यह नि‍जी नि‍वेशक कंनीि‍यों के लि‍ये नि‍कायों मे नि‍वेश का माग्‍ प्रशस्‍त का प्रयास था, प्रचार के बूते पर सरकार इसे लागू करवाने में कामयाब रही। ईस्ट इंडि‍या कंपनी काल के गर्वनर जरनल वरेन हेस्टि्‍ग ने वि‍देशी होते हुए भी जहां कंपनी के शासन में भी स्थानीय नि‍कायों के माध्यम से सरकारी काम काज में नागरि‍क सहभागि‍ता की जरूरत को बल दि‍या, वहीं श्री नायडू ने नि‍कायों के नागरि‍क भागीदारी वाले प्रबंधन को नजर अंदाज कर शहरी नि‍कायो को कपनि‍यों के हवाले करने की योजना लागू कर डाली। स्माार्ट सि‍टी योजना वाले निकाय नि‍गम न कहलाकर लि‍मि‍टेड कंपनी कहलायेंगे। मसलन आगरा नगर नि‍गम के नये  पार्षद जब भी दुबारा चुनकर पहुंचेंगे तो वे आगरा नगर नि‍गम लि‍मि‍टि‍ड कंपनी का  हि‍स्सा होंगे। इस कंपनी में नि‍जी नि‍वेशको खास कर वि‍देशी कंपनि‍यों को भागीदार बनने का पूरा मौका रहेगा। वि‍त्त मंत्रालय के एक प्रावि‍धान के अनुसार नि‍काये कंपनि‍यों में शत प्रति‍शत वि‍देशी नि‍वेश कि‍ये जाने तक के अवसर स्‍मार्ट सि‍टी कंसैप्‍ट में  वि‍द्यमान हैं।