6 दिसंबर 2025

वो अनाम कलाकार सीता राम , जिसने आगरा की गलियों और किलों को रंगों में बचाया

 

19वीं सदी की शुरुआत में भारत एक बदलते हुए दौर में था। ब्रिटिश शासन ने देश की राजनीति, कला और जीवनशैली पर गहरा प्रभाव डाला। उसी समय, एक भारतीय कलाकार ने अपने ब्रश और जलरंग के माध्यम से उन बदलती दुनियाओं का दस्तावेज़ तैयार किया। उनका नाम था सीता राम। आज उन्हें इतिहासकार “अनाम कलाकार” कहकर याद करते हैं, लेकिन उनके बनाए चित्र 200 साल पहले की आगरा और भारतीय जीवन की जीवंत झलक देते हैं।

19वीं सदी की आगरा और कंपनी स्कूल का प्रभाव

सीता राम की पेंटिंग्स का प्रमुख योगदान “कंपनी स्कूल ” की शैली में था। उस समय ब्रिटिश अधिकारी भारत की वास्तुकला, नदी-तटों, बाजारों और जीवनशैली को अपने नज़दीकी रिकॉर्ड में रखना चाहते थे।सीता राम  ने इन निर्देशों के तहत काम किया, लेकिन उनकी दृष्टि पूरी तरह भारतीय थी। यूरोपीय तकनीक का इस्तेमाल उन्होंने किया, लेकिन रंगों, प्रकाश और भावनाओं का संचार पूरी तरह भारतीय था।

उनकी पेंटिंग्स आगरा के किले, महलों और यमुना तट की नाजुक छवियाँ दिखाती हैं। हर चित्र में न केवल वास्तुकला की सुंदरता है, बल्कि उस समय की जीवनशैली की झलक भी है। नावों में सफर करते लोग, बाज़ार की हलचल, किले की दीवारों पर चमकती ईंटें — ये सब उनके चित्रों में जिंदा महसूस होते हैं।

सीता राम की नजरों से आगरा

 सीता राम के ब्रश ने आगरा की छोटी-छोटी गलियों से लेकर बड़े किलों तक की हर स्थिति को कैद किया। उनके चित्रों में गंगा और यमुना के किनारे बहती हल्की धुंध, खेतों में काम करते लोग और सड़क पर चलती-फिरती हलचल साफ दिखाई देती है। उन्होंने केवल इमारतों का चित्र

नहीं बनाया, बल्कि उस समय की हवा, रोशनी और रोजमर्रा की जिंदादिली को भी अपने जलरंग में उतारा।

उनकी सबसे प्रसिद्ध पेंटिंगों में ताज महल, आगरा किला, और यमुना किनारे का दृश्य शामिल है। इन चित्रों की खासियत यह है कि हर चित्र जैसे अपने आप में एक कहानी कहता है। लोग, नावें, पेड़-पौधे, बाजार की छोटी झलकें — सब कुछ बहुत जीवंत और सजीव दिखाई देता है।

भूलाए गए कलाकार से इतिहास के दस्तावेज तक

Sita Ram का नाम लंबे समय तक अनजान रहा। जब उनके बनाए एल्बम ब्रिटेन में नीलामी के लिए आए, तो उन्हें “अनाम कलाकार” माना गया। लेकिन बाद में शोध और हस्ताक्षर के माध्यम से उनका असली नाम सामने आया। आज इतिहासकार उन्हें केवल कलाकार नहीं, बल्कि समय का दस्तावेज़ तैयार करने वाला मानते हैं। उनके चित्र उस समय की वास्तुकला, समाज और सांस्कृतिक जीवन की अमूल्य झलक हैं।

आज की दृष्टि से Sita Ram की पेंटिंग्स का महत्व

आज भी सीता राम की पेंटिंग्स का अध्ययन करने वाले कला-प्रेमी और इतिहासकार उनकी कला में न केवल सुंदरता देखते हैं, बल्कि उस युग का जीवन, सामाजिक गतिविधियाँ और भारतीय संस्कृति की गहराई भी समझते हैं। उनकी पेंटिंग्स फोटोग्राफी के पहले का रिकॉर्ड हैं और हमें 19वीं सदी के भारत का दृश्य अनुभव कराती हैं।

उनकी जलरंग तकनीक, रंगों का संतुलन और दृष्टि की संवेदनशीलता ने उन्हें भारतीय कला में एक विशेष स्थान दिया। उनके चित्र न केवल आगरा के लिए, बल्कि पूरे भारत के इतिहास और सांस्कृतिक अध्ययन के लिए अमूल्य हैं।