रेलवे यात्रा के दौरान यात्री हमेशा ए.एच.व्हीलर बुक स्टैंड से कुछ न कुछ अवश्य खरीदते थे। एएच व्हीलर के देश भर के 258 प्रमुख स्टेशनों पर 378 बुक स्टॉल, 121 काउंटर टेबल और 397 ट्रॉलियां थीं । इस कम्पनी की शुरुआत के पीछे एक फ्रांसीसी एमिली मोरो का दिमाग था, जो 1857 के दौरान इलाहाबाद में रहते थे। मोरो एक अंग्रेजी फर्म बर्ड एंड कंपनी के लिए काम करते थे और किताब पढ़ने और संग्रह के बहुत शौकीन थे। फ्रांसीसी मोरो इलाहाबाद से जाना चाहते थे, किन्तु उनके पास पुस्तकों, पत्रिकाओं और के अपने पूरे संग्रह को निपटाने का एक लंबे समय से लंबित मामला था। एक दिन मोरो इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर उन्होंने महसूस कि यात्री समय बिताने के लिए पत्रिकाएँ या जर्नल पढ़ने के इच्छुक थे। यहीं से उन्होंने इसकी संभावना को देखते हुए एक बुक स्टोर स्थापित करने का विचार बनाया। उन्होंने इसका नाम आर्थर हेनरी व्हीलर के नाम पर रखा, जो उनके एक करीबी दोस्त और उस समय लंदन के प्रमुख पुस्तक विक्रेताओं में से एक थे। उन्हें लगा कि एक अंग्रेजी नाम की ब्रांड वैल्यू अधिक होगी। और इस तरह ए.एच.व्हीलर ने 1877 में इलाहाबाद से शुरुआत की।
किन्तु वर्तमान में भारतीय रेलवे ने देश भर के स्टेशनों पर मौजूद एएच व्हीलर बुक स्टॉलों को बहुउद्देशीय स्टॉलों में परिवर्तित कर दिया है।