--सीनियर एडवोकेट के सी जैन का बन्दर रैस्क्यू सेंटर की स्थापना पर बल
समिति की बैठक में जिलाधिकारी आगरा द्वारा कलैक्ट्रेट में बन्दरों की समस्या का भी सन्दर्भ दिया और बन्दर काटने के उपचार के लिए वैक्सीन की कमी की बात भी कही गयी। उनके द्वारा समस्या का कारगर समाधान नगर निगम के नगरआयुक्त एवं वन विभाग द्वारा ढूँढा जाना है ताकि इस समस्या का निदान हो सके।
अधिवक्ता जैन द्वारा कहा गया कि प्रशासनिक प्रयास समस्या के समाधान के लिए महत्वपूर्ण हैं और वन विभाग व नगर निगम के समन्वय से ही बन्दर रेस्क्यू सेन्टर की स्थापना सम्भव होगी। बन्दरों की नसबन्दी भी आवश्यक है लेकिन यदि नसबन्दी के बाद बन्दरों को शहर में ही छोड़ दिया जायेगा तो समस्या ज्यों कि त्यों बनी रहेगी। नगर निगम द्वारा जो योजना एस0ओ0एस0 वाइल्ड लाईफ के द्वारा बनवायी गयी है उसमें बन्दर रेस्क्यू सेन्टर की बात नहीं है केवल बन्दरों की नसबन्दी की बात है।
प्रशान्त जैन द्वारा भी बताया गया कि ताजमहल पर हुयी अभी हाल की घटना जिसमें बन्दरों ने दो पर्यटकों को चोटिल कर दिया को भी इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष लम्बित जनहित रिट याचिका में न्यायालय के संज्ञान में लाया जायेगा ताकि 17अगस्त को होने वाली सुनवाई में पर्यटन और पर्यटकों को होने वाले नुकसान की ओर भी न्यायालय का ध्यान आकर्षित किया जा सके। श्री जैन ने कहा कि ताजमहल में बन्दरों के द्वारा किये जाने वाले आतंक से आगरा शहर की छवि धूमिल हो रही है।उल्लेखनीय है कि बन्दरों का मामला अत्यंत गंभीर है, पूर्व में अमेरिकन राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रंप के ताजमहल का भ्रमण करने आने के वक्त बन्दरों पर निगरानी करने को ताजमहल के फोर कोर्ट के पास लंगूरों को तैनात करना पडा था। भारत में प्रचलित मान्यता के अनुसार बन्दर लंगूरों की मौजूदगी में अपने को असुरक्षित महसूस करते हैं ,और भाग जाते हैं। संसद भवन ,नार्थ ब्लाक, साऊथ ब्लाक से लेकर आगरा कैलैक्ट्रेट परिसर तक में लंगूरों की उनको पालने वाले कंलंदरों की निगरानी में कांट्रैक्ट पर तैनाती होती रही है।
बहुत ख्याती है 'आगरा के बन्दरो' की
आगरा के बन्दरों की ख्याति सात समुंदर पार अमेरिका में भी है।अमेरिका के राष्ट्रपति की सीक्यूरिटी सिस्टम से जुडे लागों तक को इनके बारे में खूब विस्तार से जानकारी है। दरअसल विलक्लिंटन के आगरा दौरे के बाद बन्दर की ख्याति अमेरिका तक जा पहुंची जब राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रंप अपनी पत्नी मेलानिया ट्रंप के साथ दो साल पूर्व आगरा आये थे ,तब सुरक्षा इंतजामों में बन्दरों के उत्पात से निपटना भी शामिल हो गया था। अमेरिकन सीक्यूरिटी सिस्टम की सहमति से पांच लंगूरों को भी सुरक्षा इंतजामों में शामिल किया गया था।दरअसल लंगूरों से बन्दर डरते हैं,अगर कोई बन्दर ज्यादामनमानी करता है और लंगूरों के सामने पड जाता हे तो उसे अपनी पूछ से उठाकर दूर फेंकदेते हैं।टंप 24फरवरी 2020 को ताजमहल देखने आगरा आये थे,उनके दौरे के दो दिन पहले तो ताजमहल ही नहीं ताजगंज क्षेते के बन्दरों को जंगल(ताज फारैस्ट ब्लाक) की ओर हांकने का प्रयास किया गया ।बन्दरों का अनावश्यक उत्पीडन नहीं हो इसके लिये कई स्वयं सेवी संगठनों के प्रतिनिधि बन्दरों को भगाने वालों की कारगुजारियों पर अपने कैमरों से कडी नजर लगाये रहे। बन्दर मुक्त ताजगंज हो जाने के बावजूद रही बची संभावनाओं को भी दूर करने के लिये पांच लंगूरों को सुरक्षा इंतजामों में जगह दी गयी।इन पांचों लंगूरों को बन विभाग के गैस्ट के रूप में हरेभरे पेडों के बीच रहने का अवसर रहा । दो बार लंगूरों से संबधित इंतजामों का रिहर्सल भी हुआ।इनको भरपेट फल और रोटी की लगातार दाबतें रहीं।ट्रंप के दौरे के दौरान लगातार पांच घंटे तक इनकी तैनाती पूर्वी गेट पर फुटपाथ के पीछे रही ।
बन्दर को आगरा के पास बसावट की योजना
मथुरा-बृंदावन में भी बन्दरों का जमावडा है, तीर्थ यातियों के छक्के छुडा देना इनके बांये हाथ का काम है। कई वी आई पी दौरों के समय इनके द्वारा किये गये उत्पात के कारण मथुरा में बन्दरों के उत्पात को कम करने के लिये दो साल पूर्व ही प्रयास प्रारंभ हो गये थे। इसके लिये वैटनरी कॉलेज मथुरा में एक सैमीनार भी हुई थी। बहुत जल्द मंकी रेस्क्यू सेंटर बनेगा। इसको लेकर वन विभाग ने केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण, नई दिल्ली (सीजेडए) को एक प्रस्ताव भेजा था जिसे कि स्वीकृति मिल गयी है। 25 से 33 एकड जमीन इस सैंटर के लिये जरूरी होगी। जो स्थान इसके लिये चिन्हित किये गये हैं ,उनमें एक भूखंड आगरा की सीमा के ठीक निकट 'चुरमुरा'गांव में भी है। फिलहाल बनविभाग की ओर से की गई बंदरों की गणना मेंके अनुसार करीब 22 हजार बन्दर मथुरा, वृंदावन, गोवर्धन, गोकुल, बरसाना, नंदगांव क्षेत्र में रहते हैं।