11 अगस्त 2022

आगरा के साहित्‍य सर्जक संजय गुप्‍ता की पुस्‍तक ‘अमृत महोत्‍सव 75’ का हुआ विमोचन

 -- आजादी की भावना को बल देने के लिये साहित्‍य सर्जन भी आवश्यक : रानी सरोज  गौरिहार  

सोम ठाकुर, रानी सरोज गौरिहार, महंत योगेश पुरी राजेन्‍द्र
मिलन ने‘अमृतवाणी 75’  का किया लोकापर्ण।फोटो :असलम
 
 

 आगरा :स्वतंत्रता सेनानी रानी सरोज गौरिहार ने कहा है कि देश की आजादी के हीरक जयंती वर्ष में मनाए जा रहे 'अमृत महोत्सव ' पर्व में देशभक्ति की भावना जागृत करने वाले साहित्य का सृजन होना अति आवश्यक है । वर्तमान दौर में देशभक्ति की बातें अधिक हो रही हैं लेकिन समर्पण भाव में निरंतर ह्लास  हो रहा है ।

वह डा भीम राव अम्बेडकर वि वि के सांस्कृतिक भवन में स्वधीनता सेनानी एवं पत्रकार स्व.रोशन लाल गुप्त 'करुणेश' को समर्पित साहित्य सेवी ,कवि संजय गुप्त की नवीनतम कृति  '75 अमृत वाणी' के

अद्योतन समारोह की अध्यक्षता करते हुए संबोधित कर रहीं थीं।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मनकामेश्वर मंदिर के महंत श्री योगेश पुरी में कहा कि अमृत महोत्सव में श्रावण मास में पुस्तक के उद्योतन भगवान शंकर की असीम कृपा से ही संभव है । डॉ. सोम ठाकुर ने पुस्तक में राष्ट्रभक्ति के भाव रचनाओं के लिए बधाई दी।

 केंद्रीय हिंदी संस्थान की निदेशक प्रो. बीना शर्मा ने कहा कि पुस्तक की रचनाओं में देशप्रेम झलकता है । डॉ. राजेंद्र मिलन ने कहा कि संजय गुप्त के मन में देशभक्ति के भाव इनके पिता करुणेश जी संस्कार में मिले ।

मुख्य वक्ता प्रो. लवकुश मिश्र ने कहा कि ऐसे साहित्य नई पीढ़ी को प्रेरणा देते हैं । विशिष्ट वक्ता राज बहादुर सिंह राज ने कहा कि यह पुस्तक स्वाधीनता सेनानियों को सच्ची श्रद्धांजलि है ।

पुस्तक के रचनाकार संजय गुप्त ने कहा कि 75 अमृतवाणी में भारत और भारत वासियों के कल्याण के लिए रचना की गई कविताओं का संग्रह है । उन्हों ने कहा कि पुस्तक को अपने पिताजी स्व. रोशन लाल गुप्त करुणेश जी को समर्पित किया है ।

कार्यक्रम में वर्ष 2021 के किए उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा सम्मान के चयनित आगरा के साहित्यकारों सुशील सरित, डॉ. विक्रम सिंह, प्रो. बीना शर्मा, राज गोपाल सिंह वर्मा और कुमार ललित का शाल पहना कर सम्मानित किया ।  उमा शंकर मिश्र, अनिल जैन, डॉ. असीम आनंद, डॉ सुनीता चौहान,  वंदना चौहान, पदमावती पदम,  प्रेम सिंह राजावत आदि कार्यक्रम में उपस्थित रहे। संचालन किया अशोक अश्रु विद्यासागर ने और धन्यवाद ज्ञापन किया आदर्श नंदन गुप्त ने ।