14 जून 2022

' डा भीमराव अम्‍बेडकर वि वि में पूर्णकालिक स्‍थायी कुलपति की तत्‍काल नियुक्‍ति हो'

 --कार्यवाहक कुलपति वि वि में स्‍थायी नियुक्‍तियां करने हक नहीं:सिविल सोसायटी 

सिविल सोसायटी आगरा के अध्‍यक्ष डा शिरोमणी सिंह, अनिल शर्मा और 
राजीव सक्‍सेना ।

आगरा: डा भीमराव अम्‍बेडकर विश्‍वविद्यालय और उससे संबद्ध शिक्षा परिसर में बने हुए माहौल और अनियंत्रित अनियमित्‍ता की स्‍थितियों में सुधार को तत्‍काल पूर्णकालिक कुलपति नियुक्‍त किया जाये, कार्यवाहक कुलपति वि वि परिसर में व्‍याप्‍त अनियमित्‍तओं को दूर कर प्रभावी एवं स्‍वच्‍छ संचालन देन  में सक्षम प्रतीत नहीं होते,कम से कम अब तक आ रहे फीडबैक से तो यही प्रतीत हो रहा है। यह कहना है,सिविल सोसायटी ऑफ आगरा का ,जिसके अध्‍यक्ष एवं पार्षद डा शिरोमणी सिहं ,जनरल सैकेट्री अनिल शर्मा और राजीव सक्‍सेना  का। उन्‍हों ने  मंगलवार को अशोक सिंघल रोड (घटिया आजम खां)  स्‍थित हरियाली वाटिका में आयोजित पत्रकार वार्ता में

कहा कि डा भीमरव अम्‍बेडकर वि वि  डा. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय की एवं कुलाधिपति के द्वारा कराई जाँच,निष्पक्षता से परे होगी इस पर उन्‍हें संदेह है। है।

पूर्णकालिक कुलपति

सिविल सोसायटी के अध्‍यक्ष डा शिरोमणी सिंह ने कहा कि  कहा कि जो जानकारी उन्‍हें  है उसके मुताबिक मा.कुलाधिपति के प्रतिनिधि(OSD) महोदय ने 13जून 2022 को विश्वविद्यालय जून को जो निरीक्षण किया उसके मुताबकि  विश्वविद्यालय के काम का आकलन,  नियुक्तियों कि जांच  और  नवनिर्मित सम्पतियों पर व्यय किये धन की जांव उनके निरीक्षण का लक्ष्‍य था। लेकिन इस निरीक्षण के बाद उपरोक्‍त में से शायद ही  किसी पर कार्रवाही संभव हो सके। उन्‍हों ने कहा कि जब तक विवि को पूर्णकालिक कुलपति नहीं मिल सकेगा तब तक वि वि के काम काज और अनियमित्‍ताओं पर अंकुश लगाया जाना मुश्‍किल है। उन्‍हें आश्‍चर्य है कि वि वि के लिये कुलाधिपति स्‍थायी पूर्णकालिक कुलपति देने में क्‍यों असमर्थ हैं।

उच्‍च शिक्षा मंत्री का जनपद

डा शिरोमणी सिह ने कहा कि आगरा प्रदेश के उच्‍च शिक्षा मंत्री का जनपद है,तमाम प्रयासों के बावजूद जब कार्यवाहक कुलपति वैकल्पिक रूप से काम किये जा रहे हैं और वि वि के प्रति कुलाधिपति कार्यालय कुलपति देने के आधार भूत  दायित्‍व निर्वाहन में असमर्थ है तो प्रदेश के अन्‍य उच्‍च शिक्षा परिसरों की स्‍थिति क्‍या होगी , इसकी परिकल्‍पना सहज ही की जा सकती है। 

अधिकार क्षेत्र उल्‍लंघन 

सोसायटी के जनरल सैकेट्री अनिल शर्मा ने कहा कि हम नहीं जानते कि जांच कि रिपोर्ट किस रूप में पेश की जाएगी. किन्तु यह तय है की इसमें पूर्णकालिक कुलपति की नियुक्ति पर कोई  बात नहीं  होगी। ना ही कार्यवाहक कुलपति द्वारा अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर लिये गये से निर्णय निरस्‍त होंगे। उन्‍हों ने कहा कि विश्वविद्यालय एक्ट और शासन की उच्‍च शिक्षा नीति  से चलता है अधिकारियों की मनमानी से नहीं।

एक जानकारी में श्री शर्मा ने कहा कि उन्‍हें नहीं लगता कि सबकुछ जानते हुए भी जांच करने आये ओ एस डी महोदय कार्यवाहक कुलपति द्वारा दिया गया असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर की नियुक्ति का विज्ञापन (Notification/ Advertisement No. RW/01/2022 05 May, 2022) निरस्त करने की संस्‍तुति अपनी जांच रिपोर्ट में कर पायेंगे, जब कि सर्वविदित है कि इस प्रकार की नियुक्‍तियां केवल स्‍थायी एवं पूर्णकालिक कुलपति होने से ही संभव हो सकती हैं। उन्‍हों ने कि राज्‍यपाल महोदया को कुलाधिपति के रूप में स्‍वत: संज्ञान में लेना चाहिये कि  पूर्व कुलपति डा अशोक मित्तल को गलत नियुक्तियों के कारण जिस जांच समिति ने हटाया था कार्यवाहक कुलपति उसके मेम्बर थे ।

एक जानकारी में सिविल सोसायटी के अध्‍रूख ने कहा कि पूर्व कुलपति डा अरविंद दीक्षित ने बिना ए डी ए से नक्शा पास करवाये  कई सौ करोड़ से अधिक राशि से सीमित उपयोगिता वाले  निर्माण करवाये थे ।ये कितने वैध या अवैध हैं, लेकिन प्रथम दृष्‍टय: निजि कालेजों से प्राप्‍त राजस्‍व की  बर्बादी ही प्रतीत हो ते हैं। अन्‍य अनियमित्‍ताये तो जांच होने पर ही सामने आ सकेंगी किन्‍तु यह तो अपने आप में स्‍थापित अनियमितता है कि इस बिल्डिंग निर्माण के सापेक्ष लेबर डिपार्टमेंट को देये एक प्रतिशत सेस की लगभग एक करोड राशि तक श्रम विभाग को जमा नहीं करवायी गयी है। 

एफ डी की जगह सेविंग की दर से ब्‍याज

विवि के कर्मचारियों के जनरल प्रोविडेंट फण्ड को  यूनिवर्सिटी प्रबंधन और इंडियन बैंक ने न जाने किन कारणों से सीमित लाभ वाला बना रखा है।  सर्व विदित है कि विश्वविद्यालय के कर्मचारियों और शिक्षकों के वेतनों से काटी जाने वाली राशियों पर बयाज आये सामान्‍य से कहीं कम हो रही है। जी पी एफ पर कर्मचारियों को साधारण ब्याज मिल रहा ना कि जी पी एफ का आठ प्रतिशत   ब्याज। यूनिवर्सिटी सभी कर्मचारियों को जी पी एफ की पुस्तिका जारी करने  और पिछला सारा ब्याज देने पर भी कोई जांच या निर्णय नहीं लिया गया है। जबकि यह मामला भी कुलाधिपति कार्यालय की जानकारी में लाया जा चुका है। 

श्री अनिल शर्मा ने कहा कि विश्वविद्यालय से महाविद्यालयों कि सम्बंध्त्ता को लेकर दिशा हीनता की स्थिति है. सम्बद्धता सम्बन्धी नए आवेदनों और पूर्व से सम्बंधित महाविद्यालयों के संबंधता नवीनीकरण आदि के सम्बन्ध में होने वाले पत्राचार के प्रति विश्वविद्यालय का सम्बंधता विभाग पूरी तरह से उदासीन है. फलस्वरूप महाविद्यालयों को अनिश्‍चितता के दौर का सामना करना पड़ रहा है।

मुख्‍यमंती बनाये जयें कुलाधिपति

जर्नलिस्‍ट राजीव सक्‍सेना ने कहा कि कुलाधिपति पद के साथ अधिकांश राज्‍यों में राज्‍यपाल दायित्‍व निर्वाहन नहीं कर पा रहे हैं, राज्‍य के विश्‍व विद्यालयों के संचालन में यूनीवर्स्‍टी एक्‍ट के पालन की स्‍थति में लगातार कमी आ रही है, नयी शिक्षा नीति को प्भावी बनाये जाने का काम भी शिथिलता से चल रहा है ।बैहतर हो कि शिक्ष परिसरों और उच्‍च शिक्षा के प्रसार व गुणवत्‍ता के लिये कुलाधिपति पद का दायित्‍व मुख्‍यमंत्री को सौंपा जाये। प.बंगाल और तमिल नाडू में यह प्रयोग हो चुका है और कामयाब माना जा रहा है।