26 अप्रैल 2022

जनस्‍वास्‍थ्‍य की बैहतरी के लिये पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण और शुद्धजल सबसे अहम

 -- यू एन मानकों के परिप्रेक्ष्‍य में आगरा की सीवर समस्‍या को समझेगे मि. विगांड कोरबर 

 जल औरवायु प्रदूषण जनित जनस्‍वास्‍थ्‍य के लिये बनी चुनौतियों पर जर्मन
पर्यावरण विद्वान विगांड कोरबर ने व्‍यक्‍त किये विचार। फोटो:असलम सलीमी

आगरा। प्रदूषण लोगों के जीवन को लील रहा है। जरूरत इस बात की है कि लोग आगे आएं औऱ खासकर पेयजल को प्रदूषण से मुक्त करने के लिए हर स्तर पर प्रयास करें। यह कहना है, यदि हर किसी को पीने के पानी शुद्ध मिलेगा तो कई बीमारियां लोगों से दूर रहेंगी। पीने के लिए शुद्ध पानी मिले इसके लिए स्वैच्छिक स्वयंसेवी संगठन (एनजीओ) बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।डा.मार्टिन लूथर वि वि, हाले विटेनवर्ग (जर्मनी) के विगांड कोरबर। श्री कोरबर जर्मनी से भारत आए हुए हैं।  आगरा कॉलेज , के विधि संकाय के द्वारा आयोजित  ' वाटर रिलेटेड इन्डीकेटर्स इन डोमेस्टिक पॉलिटक्स एंड लॉ विषयक संगोष्ठी ' को संबोधित करते हुए श्री कोरबर ने कहा कि संपोषित विकास के लक्ष्य के अन्तर्गत जल सम्बधी सूचकांकों में घरेलू राजनीति ओर विधि के प्रभाव एक स्‍वभाविक प्रक्रिया है और वह शुद्ध पेयजल और जनसामान्य के स्वास्थ्य पर

पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन कर रहे हैं।

वह यहां की सीवर समस्या के बारे में भी शोध कर रहे हैं।पं. दीनदयाल उपाध्याय ग्राम्य विकास संस्थान (डॉ. बीआरए विवि. आगरा) के प्रभारी निदेशक  डॉ. मनोज सिंह राठौर की अध्यक्षता में आयोजित इस संगोष्‍ठी में में बोलते हुए कहा कि जरूरत इस बात की है कि लोग आगे आएं औऱ खासकर पेयजल को प्रदूषण से मुक्त करने के लिए हर स्तर पर प्रयास करें। उन्होंने कहा कि यदि हर किसी को पीने के पानी शुद्ध मिलेगा तो कई बीमारियां लोगों से दूर रहेंगी।पीने के लिए शुद्ध पानी मिले इसके लिए स्वैच्छिक स्वयंसेवी संगठन (एनजीओ) बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।

पर्यावरण एवं जलप्रदूषण पर आयोजित संगोष्‍ठी में सहभागी आगरा
 कॉलेज विधि संकाय के स्‍टूडैंट एव फैकेल्‍टी मेम्‍बर।फोटो:असलम सलीमी

संपोषित विकास के लक्ष्य को समझाते हुए श्री कोरबर ने कहा कि भारत ही नहीं बल्कि समूचे विश्व में प्रदूषित जल जनसामन्य के स्वस्थ जीवन के लिए खतरा है, जिससे विभिन्न रोग स्वास्थ्य और मानव जीवन को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है। उन्होंने कहा कि विश्व के सभी लोगों को शुद्ध पेयजल का लक्ष्य संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा निर्धारित किया गया है। इसी क्रम में भारत सरकार ग्रामीण पेयजल योजना, नमामि गंगे योजना और यमुना शुद्धीकरण योजना के अलावा अन्य जल स्रोतों के संरक्षण एवं सम्बर्धन के लिए कार्य कर रही हैं।  

प्रंारंभ में  जर्मनी मेहमान ने मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्जवलित कर किया।सर्वश्री डॉ. मनोज सिंह राठौर और संगोष्ठी के आयोजन सचिव एवं विधि संकाय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शिति कण्ठ दूबे। आयोजन समिति के सचिव एवं एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शिति कण्ठ दूबे ने कहा कि विश्‍व समुदाय के लिये यह अत्‍यंत संतोष की बात है कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने संपोषित विकास का लक्ष्य रखा है इसके अन्तर्गत मानव के स्वस्थ जीवन के लिए जल सूचकांको का उत्तम प्रबंधन शामिल किया गया है। इस कार्य योजना से पेयजल की गुणवत्ता में व्यापक सुधार अपेक्षित  है। वक्‍ताओं ने कहा कि प्रदूषण मुक्त पेजयल के लिए  भारत की न्यायपालिका ने भी समय-समय पर दिशा-निर्देश जारी किए हैं। खास बात यह है कि भारत सरकार भी इस दिशा में निरन्तर सार्थक पहल कर रही है।

संगोष्ठी का संचालन डॉ. (श्रीमती) निधि शर्मा ने किया। अन्त में आभार डॉ. शिवबीर सिंह यादव ने व्यक्त किया। डॉ. डी.सी. मिश्रा, डॉ. मोअज्जम खान, डॉ. शोभ नाथ जैसल, डॉ. उमेश कुमार, डॉ. रीता निगम डॉ. सुधेन्द्र नाथ, आयोजन सचिव डा शिति कण्‍ठ दुबे ,डॉ. अमर नाथ, डॉ. मनीष शंकर तिवारी, डॉ. फिरोज अंसारी, डॉ. कृष्णवीर सिंह यादव, डॉ. अजहर अली, डॉ. अर्चना यादव, आदि भी वैचारिक -बौद्धिक संबर्धन में सहभागी थे।