--नये निवेशकों के लिये कई बडे और कडे फैसले लेने होंगे सरकारों को
--फाइल फोटो |
उ प्र में नये निवेशकों का इंतजार करने की अपेक्षा अगरसरकारें (केन्द्र व राज्य) औद्योगिक इकाईयों की स्थापना करने वालों के लिये घोषित सहूलियतें जमीनी स्तर पर ला सकें तो निवेशक स्वयं ही आने ही
नहीं लगेंगे अपितु उनमें निवेश करने को लेकर आपसी होड की स्थिति बन जायेगी।
यूपी में नये औद्योगिक क्षेत्र तेजी के साथ विकसित किये जाने की जरूरत है, हालांकि काफी प्रचार व योजनायें जनजानकरी नागरिकों के समक्ष लायी जाती रही हैं,किन्तु जमीनी हकीकत थोडी फर्क ही है।
सबसे मुश्किल काम नये कारखानों के लिये जमीन की उपलब्धता है, एन्वयरमेंट क्लीयरेंस दूसरी सबसे बडी चुनौती मानी जाती रही है। ईको सेंस्टिव जोन ,फ्लड प्लेन संबधी कानून,आदि वे प्रमुख कारण है।जो उद्यमी अपनी क्षमता के बाहर मानते हैं। स्पेशल इकनामिक जोन यू पी में भी हैं किन्तु नये इकनॉमिक जोन शुरू करने के लिये निवेशक आगे नहीं आ रहे। सरकारी तंत्र और इकनामिस्ट नये निवेश की बात तो जरूर करते रहे हैं,इंडस्ट्रियल सम्मिट तक हुए हैं किन्तु परिणाम के रूप में केवल नये निवेश की जानकारी ही मिलती रही है, जबकि आम जनता की दिलचस्पी निवेश के सापेक्ष औद्योूगिक इकाईयों की संख्या और उनके माध्यम से मिलने वो रोजगार के अवसर की जानकारी ज्यादा महत्वपूर्ण है।
इनसे भी अधिक उलझा पेंच महानगर योजनाओं के तहत जोनल प्लानिंग व नगरीय सीमा का विस्तार है। पश्चिमी उ प्र में अब तक जो भी महानगरों के मास्टर प्लान बने हैं उनमें नये औद्योगिक क्षेत्रों का विकास हो सकना काफी मुश्किल भरा है। अगर यहां नये औद्योगिक क्षेत्र बनाने की जो संभावनाये है भी उन्हें पूरावा पाना केवल सरकारों की ही क्षमता का है।फिलहाल उ प्र चुनाव के दौर में है,लेकिन जो भी सरकार बने उसको राज्य के इंडस्ट्रियल सैक्टर के बारे में नये सिरे से विचार कर ठोस निर्णय लेने होंगे।