--अर्थव्यवस्था के जानकार को राहत की उम्मीदें
श्रीमती दीपिका मित्तल |
आगरा: अगर जीडी पी में सुधार हुआ है और देश वित्तीय दुश्वारियों से बाहर आया है ,तो भी आगरा में हालात ज्यादा नहीं बदले हैं,रोजगर, उत्पादन ,सेवा क्षेत्र में स्थितियां पूर्व वत ही बनी हुई हैं। यह बात अलग है कि आगरा की इकनामी को गहनता से समझने वाले सकारात्मक विचार रखते हैं और बजट पूर्व संध्या पर राष्ट्रीय बजट से नागरिकों के लिये काफी आशाये रखते हैं।
सी ए इंस्टीट्यूट की आगरा शाखा सचिव एवं आर्थक मामलों को सामाजिक जरूरतों के परिप्रेक्ष्य में परखती रहने वाली सी ए श्रीमती दीपिका मित्तल का केन्दी्रय बजट पूर्व कहना है कि कोरोना महामारी के इस दौर में लोगों का स्वास्थ्य
खर्च अधिक बढ़ गया है, ऐसे में आगामी बजट में उम्मीद है क़ि सरकार धारा 80 सी के तहत निवेश पर टैक्स छूट का दायरा बढ़ा सकती है ऐसा होने पर ज्यादातर करदाताओं को बड़ा फायदा होगा।
वही दूसरी ऒर वर्क फ्रॉम होम कल्चर ने नौकरीपेशा लोगों का इंटरनेट, फर्नीचर आदि के खर्च को बढ़ाया है। इसको ध्यान में रखकर वर्क फ्रॉम होम के तहत घर से काम करने वालों को अतिरिक्त टैक्स छूट दी जानी चाहियें। अभी मौजूदा टैक्स स्लैब में महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले कोई अलग छूट नहीं मिलती है।
उन्हों ने उम्मीद जतायी है कि कि इस बार बजट में महिलाओं को टैक्स के मामले में पुरुषों से ज्यादा छूट मिल सकती है। वरिष्ठ नागरिकों को कर में और अधिक छूट मिलने की उम्मीद है।श्री राजीव गुप्ता |
श्री गुप्ता का कहना है कि आज जरूरत का सामान और टैक्नेलाजी की सहज उपलब्धता आज की जरूरत है। बजट के माध्यम से सरकार को इसे प्रोत्साहित करना चाहिये। केन्द अगर चालू वित्तीय वर्ष में निजी क्षेत्र की शिक्षा संस्थाओं की आर्थिक मदद को कुछ कर सके तो बहुतो के नौकरी और शिक्षा पाने के अवसर यथावत रह सकेंगे। उन्होंने चिता जतायी कि बडी संख्या में निजीप्रबंधन के शिक्षणा संस्थान भारी आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं।अनेक तो बन्द होने की स्थिति में पहुंच चुके हैं।
बजट के प्रति दिलचस्पी में कमी
भारत सरकार के बजट को लेकर आम जनता में कोयी खास दिलचस्पी नहीं रह गयी है, महानगरों की इकनामी ,गांवों की इकनामी से कहीं खराब है। अधिकांश नागरिकों को बेहद आर्थिक तंगी से जूझना पड रहा है।केन्दीय वित्तमंत्री के द्वारा जी डी पी में काफी सुधार की बात कही है। पता नहीं आम आदमी जीडीपी की इस सुधरी 'रेल गाडी' में अपने को मौजूद भी मानता है या नहीं।
सामन्य वर्ग के आम आदमी की दिक्कतों को अगर नजर अंदाज भी करने के बावजूद 'फ्री का राशन' पाने वाले भी महंगे गैस के सिलेंडर, नौकरी खोने , वेतन कम होने,बिजली की दरों से बेहद परेशान हैं।यू पी में हालांकि पढने लिखने पर सरकार प्रचारात्मक रूप से काफी जोर देती रही है, किन्तु सामान्य परिवारों के लिये इंटर पास करने के बाद आगे की शिक्षा जारी रखने के लिये शिक्षा विभाग/समाज कल्याण विभाग का स्कालरशिप पोर्टल बेहद अनुपयोगी साबित हुआ है। पिछले एवं मौजूदा शिक्षा सत्र के लिये इस पोर्टल के सूचना अपडेशन में शिथिलता के कारण न केवल स्कालरशिप कम बंटे है,बल्कि काफी छात्रों को अपनी पढायी धनाभाव में बीच में ही छोडनी पडी है। सरकार को इस सम्बनध में सर्वेक्षण करवा के सुधार जरूरी है।
जूते पर 12 प्रतिशत जी एस टी लगाया जाना ,टूरिजम उद्योग में गिरावट ,सिविल एवियेशन की ग्रोथ में आगरा की निम्तम भागीदारी , पांच हजार युवाओं को रोजगर देने की छमता वाले केन्द सरकार के साफ्टवेयर टैक्नेलाजी पार्क का पूरा न हो पाना आगरा के राष्ट्रीय आर्थिक विकास(जी डी पी) में पिछडने के मुख्य प्रत्यक्ष कारण हैं।