3 नवंबर 2021

विकलांगता नियंत्रण को दबा से भी कहीं जरूरी है शुद्ध पानी की उपलब्धता

 -- वाटर हार्वेस्टिंग अभियान सक्रिय रहे  विष्णू कपूर ने मनाया अपना छियासी वां जन्म दिवस

विकलांगों के सदाबाहर मित्र विष्‍णू कपूर ने परिजनों
के साथ मनाया जन्‍म दिवस.फोटो : असलम सलीमी

आगराप्रख्यात समाज सेवी विष्णू कपूर ने कहा
 कहा हैकि आगरा सहित अनेक पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जनपदों में पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था में अपेक्षित सुधार करना चाहिये, इस बात को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता कि सुरक्षित एवं उपयुक्त गुणवत्ता वाला पानी नागरिकों की आधारभूत जरूरत है. वह छियासीवें अपने जन्म दिवस के अवसर आयोजित कार्यक्रम के अवसर पर परिजनों के बीच बोल रहे थे. उन्होंने अपने पांच दशकों तक विकलांगों के बीच किये सेवा कार्यों का स्मरण करते हुए कहा कि दुर्घटाओं के कारण होने वाली विकलांगता को तो नहीं रोका जा सकता है किन्तु प्रदूषण युक्त तथा मानकों से अधिक रासायनों की मौजूदगी वाले  पानी के उपयोग से बचा जा सकता है.

पल्स पोलियों अभियान

से अपने जुडाव की यादें ताजा करते हुए श्री कपूर ने कहा कि पोलियों सहित कई अन्य शारीरिक विकृतियां केवल  गुणवत्ता वाले मानकों वाले पानी के उपयोग मात्र से दूर रखी जाती हैं. उन्होंने कहा कि विश्वस्वास्थ्य संगठन ने ही नही ,भारत सरकार ने भी पेयजल के रूप में उपयोग लो जाने वाले पानी के लिये मानक घोषित किये हुए हैं. इनके लिये सरकार और समुदायिक स्तर पर कोशिश होनी चाहिये.

श्री कपूर ने आगरा मंडल के पहले स्वयं सेवी प्रयास के रूप में संचालित हृदयाल विकलांग सेवा केन्द्र के साथ जुडकर रही अपनी विकलांगता को कम करने के प्रयासों को जीवन का सुखद अनुभव माना. उन्होंने कहा कि शुद्ध पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करवाना भी विकलांगता रोकथाम का आरंभिक कार्य है.

उन्हों ने गंगाजल पाइप लाइन प्रोजेक्ट को सीमित काल अवधि वाला तथा आगरा की जरूरत के लिये अपर्याप्त बताया .उन्होंने मानसून काल के पानी को यथा संभव संरक्षित करने को कहा.

इस अवसर पर श्री कपूर ने अपनी पत्नी श्रीमती प्रमिला कपूर के साथ केक काटा,उनकी पुत्रियां और  एक दमाद अवसर में सहभागी बनने के लिये जहां बाहर से आये हुए थे ,

वहीं अनेक स्थानिय मित्रों की मौजूदगी रही.

उल्लेखनिय है कि सरदार पटेल के प्रति अपनी खास श्रद्धा  रखने वाले श्री कपूर ने उनकी जन्म शती के उपलक्ष्य में उपनी उम्र (उस समय शायद 79 साल थी),के बराबर ही 79टन  लोहा संग्रह कर आगरा से सरदार सरोवर बांध तक पहुचाने के लिये भी अभियान चलाया था.  

वह लंबे समय तक रोटेरियन भी रहे.अंग्रेजी भाषा के प्रचलित नामों के खिलाफ उन्‍होंने एक बडा अभियान चलाया .