11 नवंबर 2021

तराजू, बाँट,मीटर, लीटर मॉपकों पर जी एस टी , दर कम की जायें

-- बजट पूर्व सुझावों को लेकर चैंबर के अलावा आगरा में अधिकांशत उदासीनता

आगरानेशनल चैंबर आफ इंडस्‍ट्रीज ने बिना विद्युत नापतोल उपकरणों पर जी एस टी की मौजूदा दर 18प्रतिशत से कम कर करने की मांग भारत सरकार से की है. इन उपकराणों का कारोबारियों के द्वारा खरीद-  बिक्री में मापतौल के लिये इस्‍तेमाल होता है.  बिना विद्युत वाले इन नापतोल उपकरणों के तहत   तराजू, बाँट,मीटर, लीटर आदि आते हैं.इनको  उपयोग में लाने वालों में सबसे ज्‍यादा छोटे दुकानदार जैसी रेहड़ी, ठेले, फेरीवाले, छोटे दूधिये आदि होते है.

चेंबर अध्‍यक्ष मनीष अग्रवाल  के अनुसार इन उपकरणों की बिक्री से पूर्व इनके निर्माता को बांट तथा माप  विभाग से परीक्षण एवं मुद्रांकन करवाना आवश्यक होता है।  जिसका शुल्क उसकी क्षमता के अनुसार अलग-अलग होता है तथा उस शुल्क पर भी जीएसटी अठ्ठारह प्रतिशत ही जी एस टी लगाई जाती

है . चैंबर अध्‍यक्ष के अनुसार अठ्ठारह प्रतिशत जीएसटी लगने से ये उपकरण काफी महंगे हो जाते हैं जिसके कारण इन छोटे दुकानदार एवं गरीब तबके के लोगों पर महंगाई का सीधा प्रभाव पड़ता है।

उपरोक्‍त सुझाव चैंबर के द्वारा भारत सरकार के वित्त मंत्रालय को आगामी सत्र के बजट हेतु भेजा गया है.मंत्रालय की ओर से   कराधान पर सुझाव मांगे गए हैं। उद्योग एवं व्यापार निकायों को को इस संबध में एक परिपत्र भी जारी किया गया था.

चैंबर की जीएसटी प्रकोष्ठ के चेयरमैन अमर मित्तल के अनुसार इन नाप तौल उपकरणों पर जी एस टी की कमी सामायिक जरूरत है, इसका प्रत्‍यक्ष लाभ छोटे कारोबारियों को मिलेगा  परिणामस्वरूप,  गरीब जनता पर लाभान्‍वित होगी। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार इस वस्तु से संपूर्ण भारतवर्ष से लगभग 15 से 20 करोड़ का ही राजस्व प्राप्त होता है। अतः इस वस्तु पर जीएसटी की दर घटाने से सरकार की राजस्व पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ेगा और गरीब जनता को राहत मिलने से आगामी बजट की सार्थकता पर्याप्त रूप से सरकार के प्रति सकारात्मक हो जाएगी।

आगरा के ट्रेडर्स और इंडस्‍ट्रियलिस्‍ट की व्‍यापार क्षेत्र में आयी कमी को दृष्‍टिगत कई बडी रियायते बजट में शामिल करवाये जाने की अपेक्षा है. हालांकि राजस्‍व की मौजूदा स्‍थिति को द्ष्‍टिगत किसी बडी उम्‍मीद की संभावना कम ही है.आगरा मंडल को संसद के सदनों में प्रतिनिधित्‍व करने वाले जन प्रतिनिधियों की ओर से अब तक अपनी पहल पर कोयी प्रस्‍ताव या सुझाव वित्‍तमंत्रालय को नहीं भेजा है.कम से कम सार्वजनिक जानकारी में नहीं आ सका है.