--श्रम
और राज्य के बाहर जाकर नौकरियों के अवसर भी कम हुए' नौकरी पाने का बेसबरी से इंतजार,लेकिन मौके कम '
कम्यूनिस्ट और कांग्रेस से जुडे श्रमिक संगठन तो जो कह सकते हैं, कह ही रहे हैं।लेकिन संघ परिवार से जुडे भाजयुमो के भी बोल अब सरकारों को कडवे लग रहे हैं। उ प्र में सबसे जटिल स्थिति राज्य के श्रमिकों को दूसरे राज्यों में जाकर काम ढूढने के अवसरों में आयी कमी
को लेकर है। महाराष्ट्र,कर्नाटक और दिल्ली तीना ही राज्यों में बाहर से आने वाले श्रमिकों के लिये अवसर तेजी के साथ कम हुए हैं।विगत 18 माह से महंगाई दर 6 प्रतिशत की
सीमा पार कर चुकी है,जबकि पिछले 5
वर्षों में महंगाई दर 3 से 5 प्रतिशत
के बीच रही।खाद्य पदार्थों एवं दवाइयों के मूल्यों में तीव्र वृद्धि ने जनता एवं
श्रमिकों व कर्मचारियों का जीवन कठिन बना दिया है। खाद्य तेलों और पैट्रोल की
कीमतों में बढोत्तरी से आम उपभोक्ता सबसे ज्यादा नकारात्मक करूप से प्रभावित हुआ
है।
अत्यावश्यक वस्तु अधिनियम की धारा 3 (1) में से खाद्य तेल, तिलहन, दलहन, प्याज और आलू को मुक्त कर दियानम्बर आने का न खत्म होने
वाला सा लगता 'इंतजार '।
देश में भवन
निर्माण कार्य महंगा होता जा रहा है। कम्पनियां आपस सांठ गांठ करके कीमतों में
कृत्रिम बढोत्तरी करके लाभ कमाने का प्रयास कर रही है, जिसे रोका जाना आवश्यक है। धातुओं व अन्य आयातित वस्तुओं
की बढती हुई कीमते लम्बे समय तक चलने वाली उपभोक्ता वस्तुओं की कीमत उत्पादन लागत
से एक अनुपात में होनी चाहिये। लेकिन यह क्रम अब टूआ हुआ सा है। हालांकि श्रमिक
आमदनी को नाकाफी बनाडालने वाला अर्थतंत्र और काम पाने के अवसरों का सीमित होते
जाना सभी को अखर रहा होगा किन्तु इस पर मुखर होकर बोलने का सहात भारतीय मजदूर संघ
ने कर दिखाया।