उनके पास उपलब्ध तकनीकों में अस्पतालों में जमा होने वाले बायोमेडिकल कचरे के कीटाणुशोधन और आवर्तक उपयोग सतहों के स्थायी और सुरक्षित रोगाणुनाशन के लिए नोवल नैनोमैटेरियल और रासायनिक प्रक्रिया नवाचारों के इस्तेमाल से जुड़ी तकनीकें भी शामिल हैं।
ये तकनीकें कुल 10 कंपनियों ने मुहैया करायी हैं जिन्हें सेंटर फोर ऑगेमेंटिंग वॉर विद कोविड-19 हेल्थ क्राइसिस (सीएडब्ल्यूएसीएच) के तहत कीटाणुशोधन और सैनिटाइजेशन के लिए मदद दी गयी थी। यह राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी उद्यमिता विकास बोर्ड (NSTEDB), विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की एक पहल है जिसका सोसाइटी फॉर इनोवेशन एंड एंटरप्रेन्योरशिप (एसआईएनई), आईआईटी-मुंबई ने कार्यान्वयन किया है।
मुंबई आधारित स्टार्ट-अप इनफ्लोक्स वाटर सिस्टम्स ने कोविड-19 संदूषण से लड़ने की खातिर सतह और उपकरण कीटाणुशोधन के लिए एक प्रणाली का डिजाइन और विकसित करने के उद्देश्य से अपनी तकनीक में बदलाव किया। इस तकनीक को उन्होंने वज्र नाम दिया है। यह स्टार्ट-अप जटिल प्रदूषित पानी और अपशिष्ट जल के शोधन की विशेषज्ञता रखता है। वज्र केई सीरीज ओजोनपैदा करने वाले एक इलेक्ट्रोस्टैटिक डिस्चार्ज, और यूवीसीलाइट स्पेक्ट्रम के शक्तिशाली रोगाणुनाशन प्रभावों को शामिल करके कई चरणों वाली एक कीटाणुशोधन प्रक्रिया से युक्त कीटाणुशोधन प्रणाली का इस्तेमाल करता है। वज्र कवच-ई (केई) पीपीई पर मौजूद वायरस, बैक्टीरिया और अन्य माइक्रोबियल उपभेदों को निष्क्रिय करने के लिए उन्नत ऑक्सीकरण, इलेक्ट्रोस्टैटिक निर्वहन और यूवीसी प्रकाश स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल करता है। यह पीपीई, मेडिकल और नॉनमेडिकल गियर को पुन: इस्तेमाल लायक बनाकर लागत बचाता है।