पिछले साल के मुकाबले इस बार सुधरी पूर्व मानसून हवा की गुणवत्ता
भारतीय विष विज्ञान संस्थान (आईआईटीआर), लखनऊ के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन में मानसून से पहले की हवा की गुणवत्ता में सुधार दर्ज किया गया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि औद्योगिक उत्सर्जन, सड़क यातायात, कचरा जलाने और ईंधन का दहन नगरीय प्रदषूण के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार है। लॉकडाउन के दौरान इन गतिविधियों में कमी आने से प्रदूषण का स्तर भी कम हुआ है। हालाँकि, लॉकडाउन अल्पकालिक है और इसीलिए इस प्रदूषण के स्तर में इस गिरावट को भी अस्थायी माना जा रहा है। पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष की समान अवधि में हवा में पाए जाने वाले सूक्ष्म कण (पीएम)-10 एवं पीएम-2.5, सल्फर-डाईऑक्साइड, नाइट्रोजन-डाईऑक्साइड, लेड व निकेल
जैसी धातुओं और ध्वनि प्रदूषण के स्तर में उल्लेखनीय रूप से गिरावट दर्ज की गई है। लॉकडाउन के दौरान हवा की गुणवत्ता का आकलन करने के लिए लखनऊ में किए गए एक ताजा अध्ययन के बाद सीएसआईआर-आईआईटीआर के शोधकर्ता इस नतीजे पर पहुँचे हैं।