-- कांग्रेस ने 'वर्किग जर्नलिस्ट एक्ट 55' के निलम्बन पर करी प्रदेश सरकार की कडी आलोचना
वरिष्ठ कांग्रेस नेता श्री राम टंडन ने मूर्धन्य पत्रकार एवं स्वतंत्रता सेनानी स्व कृष्ण पालीवाल जी की प्रतिमा को किया माल्यापर्ण। |
आगरा: आगरा में 30 मई को हिन्दी पत्रकारिता दिवस इस साल परंपरागत तरीके से नही मनाया जा सका जिन कुछ संगठनों ने मनाया भी तो वह कार्यक्रम ज्यादा प्रचार और पत्रकारिता से सरोकार रखने वालों की भागीदारी अतिसीमित रहने से सुर्खियों से बाहर रहा। लेकिन इस बार कांग्रेसियों ने इसकी भरपायी स्व कृष्णदत्त पालीवाल की प्रतिमा पर माल्यापर्ण कर नयी परंपरा से जरूर की।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता श्री रामटंडन लाकडाउन नियमों का पालन करने की सुनिश्चितता के साथ पालीवाल पार्क पहुंचे ,और वहां लगी स्व श्रीकृष्ण दतत पालीवाल जी की प्रतिमा पर माल्यपर्ण किया। उस ज्ञापन की एक प्रति भी पतिमा के समक्ष रखी जिसे कि मूल रूप से उ प्र के मुख्य सचिव एवं कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष को प्रेषित किया गया है।
श्री टंडन ने कहा कि आज का दिन हिन्दी पत्रकारों के उस लम्बे संघर्ष की याद दिलाता आयाहै जो कि कभी देश की आजादी के साथ साथ 'कलम की आजादी ' लिये हर छोटे बडे कलमकार के द्वारा लडा गया था। अब जब देश आजाद है और हर पेशा करने वालों के सम्मान व स्वभिमान की बैहतरी के लिये कुछ न कुछ हो रहा है तो एसे में पत्रकारिता को पेशे के रूप में अपनाने वालों के लिये बना हुआ वर्किग जर्नलिस्ट एक्ट1955 को लेकर संशय की स्थिति पत्रकारों ही नहीं समूचे श्रमजगत में बनी हुई है। प्रदेश सरकार अब तक सार्वजनिक रूप से स्पष्ट नहीं कर सकी है कि उन अट्ठाइस कानून में कौन कौन से हैं जो कि उसके द्वारा 3 साल के लिये स्थगित किये गयेहैं। इनमें से कितने ऐसे हैजो कि परोक्ष एवं अपरोक्ष रूप से पत्रकारों के हितो से सम्बन्धित है।वरिष्ठ कांग्रेस नेता श्री राम टंडन ने प्रख्यात पत्रकार एवं स्वतंत्रता सेनानी स्व कृष्ण दत्त पालीवाल जी की प्रतिमा को
किया माल्यापर्ण।
श्री टंडन ने कहा कि हिन्दी पत्रकारिता के क्षेत्र में निष्पक्ष एवं स्वतंत्र पत्रकारिता के लिये उ प्र की एक अलग पहचान रही है। स्व गणेष शंकर विद्यार्थी एवं स्व कृष्णदत्त पालीवाल इस विशिष्ट पहचान के प्रतीक हैं। पालीवालजी आगरा के थे इस लिये स्वभाविक रूप से हरअगरावासी की तरह मेरा भी कृतज्ञ होना और गौरान्वित महसूस कर इसकी अभिव्यक्ति करना स्वभाविक है। उन्होंने कहा कि नैतिक एवं पारिदर्शिता का परिचायक होगा अगर उ प्र सरकार श्रमजीवी पत्रकार अधिनियम को लेकर बने हुए संशयों को लेकर स्थिति स्पष्ट कर उ प्र में स्थगित करने के सम्बन्ध में आम पत्रकारों की सहज पहुंच और समझ लायक एक स्पष्ट 'प्रेस नोट 'जारी करे।
राजनैतिक पार्टी ब्रज क्रांति दल की अध्यक्ष श्रीमती सुरेखा यादव एडवोकेट ने कहा है कि वर्किग जर्नलिस्ट एक्ट( WORKING JOURNALISTS AND OTHER NEWSPAPER EMPLOYEES (CONDITIONS OF SERVICE) AND MISCELLANEOUS PROVISIONS ACT, 1955 ) लोकतंत्र के चौथे स्थम्भ को दिनरात मजबूती देते रहने वाले कलमकारों के हितो को सुरक्षित करने वाला कानून है।सरकार ने सामान्य श्रम कानूनो के समान ही इसे भी जिस प्रकार से लिया है ,वह अत्यंत गंभीर है। सरकार को इस कानून को उ प्र में तीन साल के लिये स्थगित करने संबधी भ्रांतियों को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिये।
पत्रकारों की प्रतिक्रियायें
दैनिक जागरण के रिटायर्ड जर्नलिस्ट श्री विनोद भारद्वाज ने कहा है कि श्री टंडन ने हिन्दी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर वर्किग जर्नलिस्ट एक्ट को उ प्र में तीन साल के लिये स्थगित करने के मुददे पर बने हुए संशयों को दूरकरने को लेकर अबतक बनी चल रही चुप्पी तोड कर एक अत्यंत महत्वपूर्ण काम किया है। यह पेशेवर पत्रकारों के स्वावलम्बन से जुडा कानून है। चौथे खम्बे को मजबूती करने के लिये इस मजबूत किया जाना चाहिये था न कि देश के सबसे बडे सूबे में स्थगित करने के प्रयास किये जाने चाहिये थे।
श्रमजीवी पत्रकार यूनियन उ प्र की जिला इकाई के अध्यक्ष सुनयन शर्मा ने कहा है कि वर्ष 2020 का हिन्दी पत्रकारिता दिवस' श्रमजीवी पत्रकार अधिनियम-1955' अगर सरकार ने स्थगित किया है तो की तत्काल बहाली करवाने के प्रयास को समर्पित है जिसे कि बाहरी निवेश के लिये गैरजरूरी होने इस संकल्प को व्यापक बनाने को समर्पित है जिससे हरछोटे बडे पत्रकार भविष्य ही नहीं वर्तमान भी जुडा हुआ है।
श्री शर्मा ने कहा है कि उ प्र सरकार की 6मई 2020 को हुई कैबीनेट बैठक में ' उ प्र में लागू श्रम कानूनो के अधिनियमो से अस्थायी छूट प्रदान किये जाने विषयक अध्यादेश 2020 को मंजूरी के बारे जो अधिकारिक जानकारी सार्वजनिक हुई है उसके कारण संशय की स्थिति दूर तभी हो सकती है जबकि शासन के स्तर से उन कानूनो की सूची अलग अलग सूचियां जारी हों जो कि स्थगित किये गयेे है व जो वर्तमान में भी प्रदेश में प्रभावी हैं।
श्री शर्मा ने कहा है कि उ प्र सरकार की 6मई 2020 को हुई कैबीनेट बैठक में ' उ प्र में लागू श्रम कानूनो के अधिनियमो से अस्थायी छूट प्रदान किये जाने विषयक अध्यादेश 2020 को मंजूरी के बारे जो अधिकारिक जानकारी सार्वजनिक हुई है उसके कारण संशय की स्थिति दूर तभी हो सकती है जबकि शासन के स्तर से उन कानूनो की सूची अलग अलग सूचियां जारी हों जो कि स्थगित किये गयेे है व जो वर्तमान में भी प्रदेश में प्रभावी हैं।
जानिये स्व कृष्णदत्त पालीवालजी को
पालीवाल पार्क शहर के लोगों के लिये एकजाना पहचाना नाम है। स्वंतत्र भारत में इसका नामकरण (Renaming)स्व कृष्धदत्त पालीवाल के नाम पर हुआ। हालांकि आगरा के लोगों के लिये उनके बरे में जानकारी देना जरूरी नहीं है लेकिन नयी पीढी के लिये यह जानना आवश्यक है कि स्व पालीवाल जी ने पत्रकारिता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण काम किया था। कुछ समय गणेश शंकर विद्यार्थी के 'प्रताप' में काम करने के बाद उन्होंने 1925 में आगरा से 'सैनिक' नाम का साप्ताहिक पत्र निकाला। 'प्रताप' की भांति 'सैनिक' भी राष्ट्रीय आंदोलन का ध्वजवाहक था। पालीवाल जी की लेखनी आंदोलनों में आग उगलती थी। इसलिए अपने जीवन काल में 'सैनिक' पर प्रतिबंध लगते रहे। वह बंद होता और निकलता रहा।
पालीवाल जी की क्रांतिकारियों के प्रति सहानुभूति थी। वे 'मैनपुरी षड्यंत्र' में गिरफ्तार भी हुए थे, किंतु अभियोग सिद्ध ना होने पर रिहा कर दिये गए। उनकी गणना उत्तर प्रदेश के चोटी के कांग्रेसजनों में होती थी। वे प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी रहे थे। गांधी जी ने 1940 में उन्हें सत्याग्रह के लिए पूरे प्रदेश का 'डिक्टेटर' नियुक्त किया था। सरकार ने उनको तत्काल गिरफ्तार कर लिया और 1945 में ही वे जेल से बाहर आ सके। 1946 में वे केंद्रीय असेंबली के सदस्य चुने गए। उन्होंने संविधान सभा और प्रदेश की विधानसभा की सदस्यता के साथ-साथ उत्तर प्रदेश की सरकार में मंत्री पद भी संभाला था।