रॉयल कलैक्शन ट्रस्ट की अभिरक्षा में है ताज सिटी का कलात्मक प्रदर्श
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( आगरा का पादान ) |
( राजीव सक्सेना) आगरा के आसपास भी पान की खेती का प्रचलन कभी भी नहीं रहा किन्तु इसके बावजूद पान के कद्र दान हमेशा यहां रहे। दरबारों वाला एतिहासिक शहर होने के कारण यहां के लोग इसे खुद खाने के साथ दूसरों को खिलाने कर खुद को अच्छा 'मेहमानवाज ' सावित करने में ज्यादा सुकून महसूस करते हैं । मुगल दरबारी संस्कृति ने जहां पान को सम्मान से जोड कर 'मान का पान ' प्रचलित किया। वहीं मारवाड और मेवाड के रजवाडों में यहां के मुगल दरबारों के रहे प्रभाव ने ( पान का ) 'बीडा डठाना ' जैसी प्रतिष्ठा से जुडी परंपरा को संस्कृति का अभिन्न अंग बना दिया।
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-- पहले इत्र फिर पान-----------------------
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म्यूनिस्पैल्टी आगरा जिसे कि अब आगरा नगर निगम के
नाम सेे शहरवासी जानते हैं का गिफ्ट था 'आगरा का पानदान'। |
कभी 'नूरजहां ' के शहर रूप में यहां पनप कर प्रचलित हुई परंपरा के अनुसार जब कोयी मेहमान घर के दरबाजे पर आता था तब उसका स्वागत इत्र के साथ होता है और जब वह विदा हो रहा होता हे तो उसे पान खिलाकर विदा किया जाता है। अब यह रबायत समय के साथ बदल चुकी है,किन्तु महमानो के प्रति आदर भाव दर्शाने में पान अब भी अपनी अहमियात रखता है।घरों में पानदान रखने का प्रचलन बीसवीं सदी के अंत तक लगभग अलविदा सा हो गया और गैस्ट को पान खिलाने मौहल्ले या कालोनियों की दूकानों तक ले जाने की रवायत ने जोर पकड लिया। अब तो पनवाडी की दूकान कमोवेश जनजीवन
का हिस्सा ही बन गयी हैं।
का हिस्सा ही बन गयी हैं।
-- पानदान
पान ओर आगरा मे पानदान के प्रचलन की मशूहरात का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि 1875- 76 में महारानी विक्टोरिया के बडे पुत्र और ग्रेट ब्रिटेन के घोषित युवराज (घोषित भावी राजा) प्रिस आफ वैल्स एलवर्ट एडवर्ड अपने दौरे पर भारत आये थे तब उनके सम्मान में आगरा में एक दरबार का आयोजन किया गया और उसमें दरबारियों की ओर से उन्हें आधिकारिक उपहार या भेंट के रूप में एक पानदान 'आगरा का पानदान ' भेंट किया गया।हालांकि तब नार्थ वैस्टर्न प्रौविस के तमाम अफसरों ओर प्रांत के पश्चिमी क्षेत्र के तमाम रजवाणें के शासन प्रमुखों ने इस गिफ्ट के सलैक्शन और बनवाने में योगदान दिया किन्तु इसे सहमति से एक आगरा म्यूनिस्पिलैटी (The Agra Municipalti ) जिसे अब शहर अगरा नगर निगम के रूप में जाना जाता है , का नाम गिफ्ट के बीजक में उल्लेख के रूप में उत्कीर्ण किया गया। ' मेहमान-ए-खुसूसी ' के 'खैरमकदम ' को भेंट करने के लिये ' पानदान ' का चयन यू ही नहीं कर लिया गया था । आगरा दरबार के भागीदार बनने प्रस्तावित सूची के कुलीनों की तत्कालीन नार्थ वैर्स्टन प्रौविस आगरा एंड अवध के लैफ्टीनेट गर्वनर सर जार्ज बेनजर विल्सन कूपर के साथ हुई कई औपचारिक बैठकों के बाद तय हुआ था।
-- सलैक्शन की गाइडलाइंस
परिपत्र भेजे गये थे उनमें से एक गिफ्ट सलैक्शन की गाइडलाइंस का था। इसमें निर्देशित किया था कि शाही मेहमान को भेट किये जाने वाले उपहारों पर बहुत अधिक अपव्यय नहीं किया जाये। इसके स्थान पर ये उपहार केवल जानकारी परक, पुराने हथियार और स्थानीय परंपरागत प्रचलित प्रदर्शों के रूप में हों।इस परिपत्र में यह भी बताया गया कि मेहमान के रूप में आ रहे प्रिस औफ वैल्स एलवर्ट एडवर्ड एक कला प्रेमी व्यक्ति हैं।
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एलवर्ट एडवर्ड उनकी पत्नी प्रिसिस एलैग्जैंडरा भी इस ट्रर में उनके साथ थीं। |
वैसे टूर प्रिपेशन के लिये तत्कालीन वासराय लार्ड नार्थब्रोक ने
ब्रटिश इंडिया की सभी रियासतों और प्रौविसों गर्वनरों को जो
शाही परंपराओं के पोषक होने के बावजूद उपहारों आदि पर ज्यादा व्यय किया जाना पसंद नहीं करते ।
प्रिस आफ वैल्स जब जनवरी 1876 में आगरा आये तो शहर में प्रवेश करने पर उनका भवय स्वागत किया गया।बेहतर किस्म का इतर इंतजाम किया गया था यह बात अलग है कि कार्यक्रम को तेजी से संपन्न करवाने के प्रयास में इस इतर (इत्र)को लगाने की रस्म तो नहीं हो सकी। लेकिन गिफ्ट के तौर पर तैयार करवाया गया चांदी का पान दान उन्हें जरूर तयशुदा कार्यक्रम के तहत गिफ्ट किया गया ।
-- पानदान की सजावट
चांदी का यह उपहार आगरा की प्रचलित स्वागत परंपरा का प्रतीक तो था ही।साथ ही स्वर्ण और रजत पत्रों पर कलात्मक सजावट करने की सिद्धहस्ताता का परिचायक भी।
पानदान पर जडे चांदी के पत्तर पर हिन्दू धर्म से संबधित स्वस्तिक ,ओम आदि जैसे चिन्हों के अलावा ज्योतिष का आधार रही राशियों को भी सजावटी अंदाज में उकेरा गया है। पानदान में सोने का बर्क चढें पान के एक बीडे के अलावा नागर में पधारने पर उनके स्वागत में पढे जाने भाषण की कैलीग्रिक लिखावट कागज भी रखा था।उनको अपने सम्मान में इस भाषण पाठ हो जाने के बाद प्रत्युत्तर में एक भाषण स्वयं भी देना था। पानदान में रखा भाषण तो अब भी उसमें ज्यों का त्यो रखा हुआ है । यह बात अलग है कि तब इसे पढा भी जा सका था या नही यह स्पष्ट नहीं है। यही नहीं इस टूर की तमाम जानकारियां उकेरा में उपलब्ध होने के बावजूद यह भी स्पष्ट नहीं है कि प्रिस आफ वेल्स ने खुद जो कहा था उसमें आगरा के इस गिफ्ट 'पानदान ' का जिक्र भी था या नहीं।
म्यूजियम में प्रदर्श
अब यह प्रदर्श 'आगरा का पानदान' महारानी क्विन एलिजाबेथ के रॉयल कलैक्शन ट्रस्ट की अभिरक्षा में है तथा इन्वेट्रियों की 2017 में अपडेटिड हुई सूची में यह दर्ज है।आभूषण कारोबार से जुडे कलात्मक सजावट उकेरने वाले कलाकारों को जरूर अखरने वाली हो सकती है कि इस पानदान की डमी तो आगरा में ही तैयार की गयी किन्तु अखरने वाली है वह है कि इसे अंतिम रूप से बनाने और संवारने वाले के रूप में एडिबर्ग की गोल्ड स्मिथ मार्शल फर्म का पडा हुआ है। जो रॉयल फैमली का सोने,चांदी के आभूषणों एवं उपहारों का प्रबंधक एवं विपणनकर्त्ता था।
(फोटो एवं संदर्भ सभार Royal Collection Trust / © HM Queen Elizabeth II 2017 RCIN 11229, )
(फोटो एवं संदर्भ सभार Royal Collection Trust / © HM Queen Elizabeth II 2017 RCIN 11229, )