--राम की बहन ' शांता' को समर्पित घाट हमेशा आनन्द जी का कार्यकाल याद दिलायेगा
![]() |
आनन्द जी के कार्यकाल की आगरा की संस्कृति को समर्पित
स्मृति 'शांता घाट' ।फोटो :असलम सलीमी |
आगरा: राष्ट्रीय चम्बल सैंचुरी प्रोजेक्ट के उपसंरक्षक आनंद श्रीवास्तव पैंतीस साल से अधिक के कार्यकाल को पूरा कर अप्रैल महा में सेवानिवृत्त हो गये। उन्होंने अपना कार्यभार औपचारिक रूप से प्रभागीय निदेशक सामाजिक वानिकी श्री मनीष मित्तल को सौपा ।जबकि औपचारिक रूप से श्री दिवाकर श्रीवास्तव सैचुरी प्रोजेक्ट से संबधित कार्यभार संचालित कर रहेहैं।
श्री श्रीवास्तव का आगरा में रहा कार्यकाल उपलब्धियों से भरपूर रहा। चमबल सैंचुरी प्रोजेक्ट के तहत आने वाले सूर सरोवर पक्षी विहार जहां वन्यजीव संरक्षण संबधी गतविधियों का सबसे बडा केन्द्र रही वहीं चम्बल सैचुरी,पटाना,समान सैंचुरियों में भी वन्यजीवों खासकर यहां आने वाले पक्षियों के अनुकूल स्थितियों बनाये जाने के लिये व्यापक कार्य करवाये। समान तथा पटना सैंचुरी क्षेत्र के नम क्षेत्रों (वैटलैंडो) की जलसंचय क्षमताओं को बढाने को दृष्टिगत जलग्राही क्षेत्रों से जलप्रवाह
सुगम और सहज बना कर सेचुरू क्षेत्र के तालाबों ,पोखरों आदि की जलसंचय क्षमता में बढोत्तरी करवायी। श्री आनंद श्रीवास्तव का कहना है कि पानी रहेगा तो जमीन पर हरियाली रहेगी । अगर नमक्षेत्र सालभर पानी से भरपूर रहेंगे और हरियाली रहेगी तो पक्षियों और वन्यजीवों की मौजूदगी में भी अभिबृद्धि होते रहना स्वभाविक है।
-- संवेदना शून्य भ्रमणार्थी नापसंद
श्री श्रीवास्तव सेंचुरियों को पर्यटकों के लिये आकर्षण तो जरूर मानते है किन्तु एसे महमानों को उन्होंने कभी पसंद नहीं किया जो कि वन्यजीवों और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील नहीं होते और केवल 'मौज मस्ती' के लिये यहां आते हैं।संरक्षित वन्यजीव अभ्यारण्यों में श्री श्रीवास्तव ने ने प्लास्टिक को पूरी तरह प्रतिबंधित रखा । इसी प्रकार अपने आधीनस्थ प्रशासनिक क्षेत्र में खनन की गतविधियों को न केवल सख्ती से रोका साथ इस कार्य में उपयोग लाये जा रहे वाहनों को सीज करवाया और दोषियों को गिरु्तार कर उनके खिलाफ मुकदमे दर्ज करवाये।
फलस्वरूप वन्यजीवों के स्वभाविक आशियानों को अधिक सुरक्षा संभव हुई और वन्यजीवों को लेकर होने वाली अवैध गतविधियां करने वाले हतोत्साहित हुए।
-- पक्षी उत्सव--2020
श्री श्रीवास्तव के कार्यकाल की एक बडी उपलब्धि अंतर्राष्ट्रीय नमक्षेत्र दिवस 2020 के अवसर पर राज्यस्तरीय पक्षी उत्सव--2020 ( Bird Festivals-- 2020 )के रूप में रही जिसमें कि राष्ट्रीश् और अंतर्राष्ट्रीय स्तार के कई संगठनो की भागीदारी रही।
---सूर सरोवर को पौराणिक स्थानीयता से जोडा
सूर सरोवर जलशय हालांकि सिचाई विभाग के द्वारा 1928 में बनवया हुआ माना जाता है जबकि इसकी पैराणिक महत्ता सेसंबाधित जानकारियों के अनुसार यहां राम की बहिन शांता का निवास रहा है। शंता कौशल्या दशरथ की सबसे बडी पुत्री थीं और महाऋषि ऋंगी की पत्नी थीं। जिनका आश्रम अब भी सूरसरोवर से लगे सींगना गांव में बना हुआ है।श्री आननद ने सूरसरोवर के एक घाट का नाम शांता रखा और उसे प्रख्यात मुगलकालीन चितेरे गोबर्धन की गोबर्धन की पेंटिग 'शांता' को वन विभाग के अनुबंधित चितेरे पूरन कुशवाह से पेंटिग के रूप में आंकित करवाया। बाद में इस घाट और पेंटिग का अनावरण आधिकारिक रूप से उ प्र के वन मंत्री श्री दारासिह के द्वारा किया गया। नागरी प्रचारिणी सभा आगरा के द्वारा आपने मानस भवन में पौराणिक साहित्य के प्रति रुझान प्रदर्शित करने पर श्री श्रीवास्तव का आगरा के साहित्यकारों की ओर से सम्मान भी किया था।
--नमक्षेत्र के विस्तार ' लोअर लेक'की महत्वकांक्षी योजना
श्री श्रीवास्तव ने सूरसरोवर वनक्षेत्र के नमक्षेत्र के विस्तार को एक योजना को क्रियान्वयन की दिशा में भी प्रयास शुरू किया किन्तु एक न कए कारण से इसका क्रियान्वयन लटकता रहा। इस योजना के तहत सूरसरोवर से डिसचार्ज होकर जाने वाले पानी को यमुना नदी में पहुंचने से पहले 800मीटर लमबे तथा ढाई सौमीटर चौडे पांच भीटर गहराई क्षमता वाले जलाशय में कीठम लोअर लेक के रूप में रोका जाना था। हालांकि श्री श्रीवास्तव ने उम्मीद जतायी क्यों कि कि यह योजना सूर सरोवर के भविष्य और वन्यजीवों की जरूरत ही नहीं यमुना नदी के प्रदूषण को कम कर नदी जल को जलचरों (Aquatics) के अनुकूल रखने को दृष्टिगत भी अति महत्वपूर्ण है अत: उम्मीद है कि उनका पदभार जो भी अधिकारी संभालेंगे वह इसके क्रियान्वयन को जरूर महत्व देंगे।
-- कतरनिया में बसेंगे
श्री श्रीवास्तव आगरा से सेवानिवृत्त होकर कोरोना वायरस का प्रकोप बने रहने तक तो आगरा में ही रहेंगे किन्तु इसके बाद लखीनपुर खीरी में शारदा नदी के तटीय वनक्षेत्र के समीप के आवासीय क्षेत्र में कतरनियां घाट के पास अपने रैजीडैंस में रहने चले जायेंगे।।