सैनेटाईजेशन के लिये भी किया जागरुक
भा मु वि परिषद के अध्यक्ष समी आगाई,बुन्दन मियां आदि ने किया आटा वितरण :फोटो असलम सलीमी |
आगरा:भारतीय मुस्लिम विकास परिषद के तत्वावधान में नीम दरबाजा मलिन बस्ती में खाद्य खास कर आूटे के पैकिटों का वितरण किया गया। परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष समी आगाई ने वितरण औपचारिकता किये जाने के दौरान साफ , सफाई और सेनेटाईजेशन को लेकर भी जानकारियां दी। सामाजिक कार्यकर्ता श्री बुन्दन मियां ने कहा कि इस बीमारी के लिये किसी दबाई की जरूरत नहीं है,केवल आपस में दूरी बनाये रखने भर से काम चल जायेगा। सर्वश्री मुवीन खान अय्यूव खान,चौधरी कपूर चन्द आदि भी साथ में थे।
नीम दरबाजा
नीम दरबाजा सिटी रेलवे स्टेशन के दायं ओर बना बसी पुरानी बसावट है,म्यूनिस्पिल वार्ड के रूप में भी यहां की अपनी पहचान रही है ।वर्तमान में यहां एक प्राईमरी पाठशाला संचालित है । शिक्षा विभाग के द्वारा यथा संभव उर्दू अध्यापक की भी नियुक्त रखी जाती
रही है,लेकिन अब पता नहीं कि विद्यालय के स्टाफ में उर्दू भाषा-भाषियों के परिवारों से आने वाले बच्चों को इस भाषा को सीखने वाला कोयी है या नहीं। वैसे यह पूरा क्षेत्र दिहाडी श्रमिकों के परिवारों की बसावट वाला है।किन्तु एक सप्ताह से कामकाज बन्द रहने तथा खुलने वाली दूकानों से केवल नकद भुगतान पर ही माल की उपलब्धता संभव होने से महानगर की अनेक बस्तियों के समान ही फाकामस्ती के हालातों से नजदीकी लगातार बढ रही है।
जमघट लगवाया
कभी ठंडी सडक कही जाने वाली आज की एम जी रोड पर बना
रहा पद यात्रियों की आवाजाही: फोटो असलम |
उ प्र परिवाहन निगम की बसों ने जरूरतमन्दों को कागजी हिसाब किताब की कसौटी से जरूर भरपूर सेवा की है, लेकिन आई एस बीटी सहित तमाम बस अड्डों पर जमघट लगवा प्रशासन के इंतजामियां दमखम को चुनौती के हालात उत्पन्न कर डाले हैं। जो ज्यादा जल्दी घर पहुंचने की फिराक मे नहीं हैं उन्हें मजबूरों की इस भीड में खूब छक कर 'लंगर-भंडारे' की सी मौज है।
नजीर के दस लाख से खुला मदद का रास्ता
कोरोना वायरस से मुकाला करने के लिये प्रख्यात शू एक्सपोर्टर जनाब नजीर अहमद के दस लाख के
श्री नजीर अहमद का दिखाया रास्ता बना अपने
आप में एक 'नजीर' --फायल फोटो।
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योगदान को आगे आने से बने माहौल से मजलूमों के बारे मे सोचने का जो महौल बना है उससे लोग भी खुलकर मदद करने लगे जो कि एक ओर कोरोनटाइन और सैल्फ आईसोलेशन की बाते ज्यादा प्रचारित होने से संकोच में थे वहीं सामाजिक सरोकारों के प्रति भी अपने दायित्वों से विमुख नहीं हुए थे। अब तो खैर सेवा भावियों के लिये पुलिस प्रशासन सहायता का माध्यम बन चुके है और मुख्यमंत्री सहायता कोष भी सक्रिय हो चुका है।
यह बात नहीं कि आगरा और मथुरा के प्रशासन ने अपने स्तर से जन मोब को थामने का प्रयास नहीं किया हो किन्तु कारखानों के एक साथ बन्द हो जाने से हालात एक दम काबू से बाहर होने लगे। इसमें भी सबसे बडी मुश्किल यह है कि प्रधानमंत्री के द्वारा घोषित सरकारी सहायता केवल उन लोगों तक ही सिमिट कर रहा गयी जो कि संगठित क्षेत्र के नियमित सेवारत श्रमिक हैं या फिर असंगठित क्षेत्र के श्रम विभाग से पंजीकृत कर्मकार हैं। राशन कार्ड धारक और जनधन खाता धारक भी सरकारी सहयाता के पात्रों में शामिल है किन्तु उ प्र सहित पडोसी राज्य में वे सभी इन सहायता योजनाओं के पात्र नहीं हैं जो कि अपने आवास पता सत्यापित करने वाले साक्ष्य नहीं दे सकते।