24 फ़रवरी 2020

ट्रंप के आगरा दौरे के प्रसारण में ताजमहल को तेजोमहालय बताता रहा एक राष्‍ट्रीय टी वी चैनल

प्रासरण को संज्ञान तक में नहीं ले सका ए एस आई या टूरि‍ज्‍म वि‍भाग
टी वी चैनल 'सुदर्शन ' न्‍यूज पर ताजमहल को बताया जाता
रहा ' तेजोमहालय'। फोटो:असलम सलीमी



आगरा: अमेरि‍कन राष्‍ट्रपति ‍ डोनाल्‍ड ट्रंप के दौरे को मीडि‍या के द्वारा पूरी स्‍वतंत्रता के साथ कवर कि‍या गया । हालांकि‍ कुछ भी कहना या लि‍खना अभि‍व्‍यक्‍ति की अपनी आजादी के हक के रूप में ही लि‍या जाता है और कामवे स्‍वीकारा भी जाता है। कि‍न्‍तु जहां तक खबर कवरेज का सवाल है इसके लि‍ये 'सटीकता' ही व्‍यूअर्स और प्रिंट मीडि‍या के रीडर्स के द्वारा अपेक्षि‍त की जाती है। 
अपने दौरे में ताजमहल का भी ट्रंप परि‍वार के द्वारा भ्रमण कि‍या गया । इसकी कवरेज जहां तमाम प्रिंट और इलैक्‍ट्रानि‍क मीडि‍या के द्वारा परंपरागत रूप  से ही की गयी वहीं देश के प्रख्‍यात चैनलों में शामि‍ल ' सुदर्शन '  टेलीवि‍जन के द्वारा अपने प्रसारण में खासतौर से न्‍यूज अपेडेट देते रहने को की जाती रही स्‍क्रालिग में जहां जहां
भी संभव हुआ 'ताजमहल ' के स्‍थान पर ' तेजोमहालय'  ही लगातार बताया जाता रहा।

इंडस्‍ट्री के प्रति‍नि‍धि‍ रहे खामोश

ताजमहल को अन्‍य नाम से प्रसारि‍त करने पर टूरिज्‍म ट्रेडर्स्र  तथा कई अन्‍य इसे लेकर असहज तो जरूर हुए कि‍न्‍तु कि‍सी के भी  द्वारा अपने प्रति‍क्रि‍या न देकर 'अमेरि‍कन गैस्‍टों ' की मौजूदगी के परि‍प्रेक्ष्‍य में स्‍वयं  को खामोश बनाये रखना  ही हि‍तकर लगा।   
भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण जो कि ताजमहल  का प्रबंधन करने वाला सांस्‍कृति‍क मंत्रालय के तहत कार्य करने वाला वि‍भाग है के द्वारा इसे ताजमहल ही माना हुआ है। इसी प्रकार भारत सरकार के पर्यटन वि‍भाग तथा  उ प्र टूरि‍स्‍ट डिपार्टममेंट  भी शाहजहां और मुमताज के आगरा स्‍थि‍त इस मकबरे एवं भव्‍यर्नि‍माण को ताजमहल प्रचारि‍त करता है। कि‍न्‍तु इनमें से कि‍सी ने भी ताजमहल को ' तेजोमहालय'   के रूप में प्रचारि‍त करने के क्रम को संज्ञान में नहीं लि‍या।  

इति‍हासकार पी एन ओक की थ्‍योरी है 'तेजोमहालय'

अमेरि‍कन राष्‍ट्रपति‍ आगरा में ,मुख्‍यमंत्री योगी आदि‍त्‍यनाथ के
द्वारा कि‍या गया उनका अभि‍वादन।
आागरा के नागरि‍क या वे जो कि ताजमहल से संबधि‍त तमाम वृतांतों को जानते हैं उन्‍हें तो इस चैनल के प्रसारण पर कोयी संशय नहीं हुआ कि‍न्‍तु  उन तमाम लोगों की समझ से यह परे था कि सामान्‍य दर्शक  टेलीवि‍जन प्रसारणों को वास्‍तुस्‍थति‍यों की जानकारी देने वाला मानते हैं।इनमें से भी अधि‍कांश जि‍ज्ञासू की सी स्‍थति‍ में रहे कि‍  ताजमहल का नाम कब बदला या फि‍र शायद टेलीवि‍जन चैनल वालों से भूल हुई है।
दरअसल ताजमहल को ' तेजोमहालय ' बताये जाने की अवधारणा अपने समय के चर्चि‍त इति‍हासकार स्‍व. पी एन ओक की है। इसे लेकर उन्‍होंने कहा था कि  ताजमहल, मूलतः एक शिव मन्दिर या एक राजपूताना महल था, जिसे शाहजहाँ ने कब्ज़ा करके एक मकबरे में बदल दिया। इसे लेकर उन्‍हो ने काफी प्रचारि‍त रही '  ताजमहल: सत्य कथा '  लि‍खी थी। जो अब भी जबतब चर्चा में आती जरूर रही है  कि‍न्‍तु भारतीय इति‍हासकारों के शीर्ष नि‍कायों एवं समूहों ने इसे कभी स्‍वीकार नहीं कि‍या । 

इति‍हास कार राज कि‍शोर राजे का सुझाव

आगरा के प्रख्‍यात इति‍हासकार  राजकि‍शोर राजे जि‍नकी कि‍ 'संदर्भो और तथ्‍यों' से भरपूरता के कारण वि‍वादि‍त मानी जाने वाली हाल में ही प्रकाशि‍त कि‍ताब 'हकीकत ए अकबर ' का कहना है वर्तमान में ताजमहल को कि‍सी अन्‍य नाम से प्रसारि‍त या प्रचारि‍त करना कदापि‍ उचि‍त नहीं है। इस प्रकार के कामों से देश के पर्यटन उद्योग पर प्रति‍कूल प्रभाव पड सकता है। उन्‍होंने कहा कि‍ उनका स्‍व. पी एन ओक से उनके जीवन काल के अंति‍म चरण में काफी खतोखि‍ताब रहा है।वह मानते हैं कि‍ ताजमहल को लेकर तमाम तथ्‍य सामने आने हैं कि‍न्‍तु मौजूदा हालत इसके लि‍ये उपयुक्‍त नहीं हैं।उन्‍होंने ने कहा कि‍ ताजमहल की सुरक्षा के साथ ही उसका इति‍हास भी सुरक्षि‍त रहना जरूरी है । इस लि‍ये उपयुक्‍त होगा कि‍ सुप्रीम कोर्ट के द्वारा गठि‍त ताज ट्रपि‍जि‍यम अथार्टी (टी टी जै ए) के तहत ही ताजसंरक्षि‍त क्षेत्र के एति‍हासि‍क एवं पुरातत्‍ववि‍क सूची में दर्ज इमारतों से जुडे इति‍हास तथा साक्ष्‍यों को भी सुरक्षि‍त करने का कार्य करवाया जाये।